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Dhaneshdwivediwriter
#FourLinePoetry मेरे अतीत पर मुझे कोसते हैं लोग उससे क्यों पूछूं क्या सोचते हैं लोग अभी तो गुमनाम हूँ गली मोहल्ले में परचम लहराते ही रंग बदलते हैं लोग ©Dhanesh Dwivedi मेरे अतीत पर मुझे कोसते हैं लोग उससे क्यों पूछूं क्या सोचते हैं लोग अभी तो गुमनाम हूँ गली मोहल्ले में परचम लहराते ही रंग बदलते हैं लोग #f
Mayank Sharma
जिस रस्ते से मैं रोज गुज़रता तुम उस रस्ते से स्कूल जाती मैं स्लो साइकिल की रेस लगाता तुम घंटी सुन कर घूम जाती! पूरी कविता इधर है काश.. कि उन दिनों कुछ ऐसा होता जैसा चाहता मैं, बस वैसा होता बच्चों की इक कहानी बन जाती मैं राजा होता, तू रानी बन जाती!
Sangeeta Rathore (Shayra)
"खुशनसीब" हूं..."महबूबा" नहीं... (अनुशीर्षक में पढ़े) ●●● -s_r_writes ✍ मुझे मेरे महबूब ने एक महताबी दुपट्टा दिया था...तोहफे में.. उसकी आरियो पर "खुशनसीबी" की कढ़ाई थी और नज्मों की तुरपाई...मैंने प्रेम की कड़ी धू
Kulbhushan Arora
हम चाहते कुछ हैं, होता कुछ और है, हम सोचते कुछ हैं, होता कुछ और है... इस चाहने और होने में जिसका हाथ है उसपे विश्वास रखना वो ख्याली है खयालात समझने वाला हमसे बेहतर हमारे हालात समझने वाला।। ये कहानी नहीं मगर लगेगी कहानी जैसी ही, इससे पहले कि मैं इस बात का ज़िक्र करूं बता दूं हमारी दो दुकान है दवा कि एक मैंने 1980 में शुरू की और
Kulbhushan Arora
*ईश्वर* समय पर अपने प्रतिनिधि को भेजते हैं😇😇😇 ये कहानी नहीं मगर लगेगी कहानी जैसी ही, इससे पहले कि मैं इस बात का ज़िक्र करूं बता दूं हमारी दो दुकान है दवा कि एक मैंने 1980 में शुरू की और
Gian Gumnaam
तू चंचल सी तू कोमल जैसे बहती है जल की धारा मैं रेगिस्तान में पेड़ के जैसा ढूंढता हूं तेरा किनारा तुम बिन जीवन गुरबत है मेरा कैसे बता मैं करूं गुज़ारा भ्टक रहा हूं कोई ग़म नहीं है पहले ही हूं गम का मारा एक प्यासा है कुआ खोजता लोग कहते हैं मुझे आवारा तुम तो हो एक हवा का झोंका किस से पूछूं पता तुम्हारा किस से पूछूं
शुभम
एक बात पूछूं बताओगी क्या तुझे अपना बनाना चाहता हूं मैं, तुम भी बनाओगी क्या एक बात पूछूं #miss #you
adhuri kahani
*हर वक्त मिलती रहती है* *अनजानी सी सजा..* *मैं कैसे पूछूं तक़दीर से* *मेरा कसूर क्या है..* *हर वक्त मिलती रहती है* *अनजानी सी सजा..* *मैं कैसे पूछूं तक़दीर से* *मेरा कसूर क्या है..*