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khadimali lalani
पुष्प की अभिलाषा कविता का अर्थ इस कविता द्वारा माकन लाल जी ने यह बताने की कोशिश की हैं कि जब कभी माली अपने बगीचे से फूल तोड़ने जाता है तो जब
RK SHUKLA
पुष्प की अभिलाषा चाह नहीं, मैं सुरबाला के गहनों में गूँथा जाऊँ, चाह नहीं प्रेमी-माला में बिंध प्यारी को ललचाऊँ, चाह नहीं सम्राटों के शव पर हे हरि डाला जाऊँ, चाह नहीं देवों के सिर पर चढूँ भाग्य पर इठलाऊँ, मुझे तोड़ लेना बनमाली, उस पथ पर देना तुम फेंक! मातृ-भूमि पर शीश- चढ़ाने, जिस पथ पर जावें वीर अनेक! माखनलाल चतुर्वेदी पुष्प की अभिलाषा
Pradyumn awsthi
चाह नहीं मैं सुरबाला के गहनों में गूंथा जाऊं, चाह नहीं, प्रेमी माला में बिंध प्यारी को ललचाऊं, चाह नहीं, सम्राटों के शव पर हे हरी ,मैं डाला जाऊं, चाह नहीं ,देवों के सिर पर चढ़ूं भाग्य पर इठलाऊं, मुझे तोड़ लेना ओ बनमाली ! उस पथ पर मुझे तुम देना फेंक, मातृभूमि पर शीश चढ़ाने जिस पथ पर जाएं वीर अनेक ©"pradyuman awasthi" #पुष्प की अभिलाषा
priya
मुझे तोड़ लेना बनमाली, उस पथ पर देना तुम फेंक! मातृ-भूमि पर शीश- चढ़ाने, जिस पथ पर जावें वीर अनेक! माखनलाल चतुर्वेदी पुष्प की अभिलाषा #flowers