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Amit Kumar

एक मूलतः विचार

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हवा से आँख लड़ाने  आसमां की  सैर  करो 
हौसलों की उड़ान  भी  पंखों के  बगैर  करो 
साहस मन में भरो आगे बढ़ने की चाहत रखो 
ना किसी से दोस्ती रखो ना किसी से बैर करो 

-अमित "अनभिज्ञ" एक मूलतः विचार

Anekanth Bahubali

यह कविता मूलतः मैंने कन्नड़ में लिखी थी, उसका अनुवाद है। बरखा #rain #yqbaba #yqdidi

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बरखा

पीने को पानी लायी थी, फसलों की जान बचाई थी,
अब पीठ दिखाकर क्यों चली गई तू बरखा?
किसान के दिल को घायल कर कहाँ चली गई तू बरखा?

नदियां अब सो गई हैं, हँसते थे फूल अब मुरझा गए हैं,
तपते हुए तालाब का पानी भी अब आईने की तरह ताक रहा है,
अब देर न कर उसे चूम ले बरखा,
अब देर न कर तू झूम ले बरखा। यह कविता मूलतः मैंने कन्नड़ में लिखी थी, उसका अनुवाद है।
बरखा #rain #yqbaba #yqdidi

Anekanth B

यह कविता मूलतः मैंने कन्नड़ में लिखी थी, उसका अनुवाद है। बरखा #rain #yqbaba #yqdidi

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बरखा

पीने को पानी लायी थी, फसलों की जान बचाई थी,
अब पीठ दिखाकर क्यों चली गई तू बरखा?
किसान के दिल को घायल कर कहाँ चली गई तू बरखा?

नदियां अब सो गई हैं, हँसते थे फूल अब मुरझा गए हैं,
तपते हुए तालाब का पानी भी अब आईने की तरह ताक रहा है,
अब देर न कर उसे चूम ले बरखा,
अब देर न कर तू झूम ले बरखा। यह कविता मूलतः मैंने कन्नड़ में लिखी थी, उसका अनुवाद है।
बरखा #rain #yqbaba #yqdidi

Anekanth B

माँ यह कविता मूलतः मैंने कन्नड़ में लिखी थी, उसका यह हिंदी अनुवाद है। #Mother #Mom #yqdidi #Hindi #yqbaba

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कैसे जलाऊं तेरी चिता को बोल ना माँ

हाथ पकड़कर तूने ही मुझे चलना सिखाया,
दही चावल खिलाते खिलाते चंदा मामा को दिखाया,
आंसू भरी आंखों को पोंछा तो तेरा चेहरा नज़र आया,
कैसे जलाऊं तेरी चिता को बोल ना माँ,
अब कैसे जलाऊं तेरी चिता को बोल ना माँ।

पापा की पिटाई भी तूने खाई,
घर छोड़कर भागा तो बुलाने आई,
माइका छोड़ आई थी तू अब मुझे यतीम बना गई
कैसे जलाऊं तेरी चिता को बोल ना माँ,
अब कैसे जलाऊं तेरी चिता को बोल ना माँ।

पढ़ा लिखाकर सज्जन मानुस बना गई,
शादी कराई, बच्चों की लोरियाँ गा गई,
अब चुपचाप सी खामोश होकर तू कहाँ चल दी बोल ना माँ,
मैं भी साथ चलूं क्या बोल ना माँ।
 माँ
यह कविता मूलतः मैंने कन्नड़ में लिखी थी, उसका यह हिंदी अनुवाद है। #Mother #Mom #YQDidi #Hindi #YQBaba

Anekanth Bahubali

माँ यह कविता मूलतः मैंने कन्नड़ में लिखी थी, उसका यह हिंदी अनुवाद है। #Mother #Mom #yqdidi #Hindi #yqbaba

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कैसे जलाऊं तेरी चिता को बोल ना माँ

हाथ पकड़कर तूने ही मुझे चलना सिखाया,
दही चावल खिलाते खिलाते चंदा मामा को दिखाया,
आंसू भरी आंखों को पोंछा तो तेरा चेहरा नज़र आया,
कैसे जलाऊं तेरी चिता को बोल ना माँ,
अब कैसे जलाऊं तेरी चिता को बोल ना माँ।

पापा की पिटाई भी तूने खाई,
घर छोड़कर भागा तो बुलाने आई,
माइका छोड़ आई थी तू अब मुझे यतीम बना गई
कैसे जलाऊं तेरी चिता को बोल ना माँ,
अब कैसे जलाऊं तेरी चिता को बोल ना माँ।

पढ़ा लिखाकर सज्जन मानुस बना गई,
शादी कराई, बच्चों की लोरियाँ गा गई,
अब चुपचाप सी खामोश होकर तू कहाँ चल दी बोल ना माँ,
मैं भी साथ चलूं क्या बोल ना माँ।
 माँ
यह कविता मूलतः मैंने कन्नड़ में लिखी थी, उसका यह हिंदी अनुवाद है। #Mother #Mom #YQDidi #Hindi #YQBaba

Anekanth Bahubali

अर्धकथानक (Half A Tale) यह शीर्षक मूलतः जैन कवि पंडित बनारसी दास की जीवनी का शीर्षक है। #BirthDay #yqbaba #yqdidi

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अर्धकथानक

उनतीस साल गुज़र गए, अब बस उन तीस सालों का ख़याल है,
नौकरी तो चल रही है, बस बीवी बच्चों का सवाल है,
उनतीस सालों में सब उतार चढ़ाव देख लिए मगर,
कुछ भी हासिल न कर पाने का मन में मलाल है,
उनतीस साल गुज़र गए, अब बस उन तीस सालों का ख़याल है।

स्कूल की यादें और कॉलेज के किस्से कमाल हैं,
याणा के जंगल, कुल्लू मनाली के कैम्प फायर की धमाल है,
आइजॉल की पहाड़ियां नीली और बेंगलूरु के ट्रैफिक सिग्नल अब भी लाल हैं,
उनतीस साल गुज़र गए, अब बस उन तीस सालों का ख़याल है। अर्धकथानक (Half A Tale) 
यह शीर्षक मूलतः जैन कवि पंडित बनारसी दास की जीवनी का शीर्षक है। #birthday #yqbaba #yqdidi

Anekanth B

अर्धकथानक (Half A Tale) यह शीर्षक मूलतः जैन कवि पंडित बनारसी दास की जीवनी का शीर्षक है। #BirthDay #yqbaba #yqdidi

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अर्धकथानक

उनतीस साल गुज़र गए, अब बस उन तीस सालों का ख़याल है,
नौकरी तो चल रही है, बस बीवी बच्चों का सवाल है,
उनतीस सालों में सब उतार चढ़ाव देख लिए मगर,
कुछ भी हासिल न कर पाने का मन में मलाल है,
उनतीस साल गुज़र गए, अब बस उन तीस सालों का ख़याल है।

स्कूल की यादें और कॉलेज के किस्से कमाल हैं,
याणा के जंगल, कुल्लू मनाली के कैम्प फायर की धमाल है,
आइजॉल की पहाड़ियां नीली और बेंगलूरु के ट्रैफिक सिग्नल अब भी लाल हैं,
उनतीस साल गुज़र गए, अब बस उन तीस सालों का ख़याल है। अर्धकथानक (Half A Tale) 
यह शीर्षक मूलतः जैन कवि पंडित बनारसी दास की जीवनी का शीर्षक है। #birthday #yqbaba #yqdidi

ƒяεε ƒ¡яε łσvεя

जन गण मन, भारत का राष्ट्रगान है जो मूलतः बंगाली में गुरुदेव रवीन्द्रनाथ टैगोर द्वारा लिखा गया था। भारत का राष्ट्रीय गीत वन्दे मातरम्‌ है। # #Lights #समाज

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“

जन-गण-मन अधिनायक जय हे,
भारत भाग्य विधाता!
पंजाब-सिंध-गुजरात-मराठा,
द्राविड़-उत्कल-बंग
विंध्य हिमाचल यमुना गंगा,
उच्छल जलधि तरंग
तव शुभ नामे जागे,
तव शुभाशीष मागे
गाहे तव जय गाथा।
जन-गण-मंगलदायक जय हे,
भारत भाग्य विधाता!
जय हे! जय हे! जय हे!
जय जय जय जय हे!

”

वाक्य-दर-वाक्य अर्थसंपादित करें

जन गण मन अधिनायक जय हे भारत भाग्य विधाता!
जनगणमन:जनगण के मन/सारे लोगों के मन; अधिनायक:शासक; जय हे:की जय हो; भारतभाग्यविधाता:भारत के भाग्य-विधाता(भाग्य निर्धारक) अर्थात् भगवान
जन गण के मनों के उस अधिनायक की जय हो, जो भारत के भाग्यविधाता हैं!


पंजाब सिन्धु गुजरात मराठा द्राविड़ उत्कल बंग
विंध्य हिमाचल यमुना गंगा उच्छल जलधि तरंग
पंजाब:पंजाब/पंजाब के लोग; सिन्धु:सिन्ध/सिन्धु नदी/सिन्धु के किनारे बसे लोग; गुजरात:गुजरात व उसके लोग; मराठा:महाराष्ट्र/मराठी लोग; द्राविड़:दक्षिण भारत/द्राविड़ी लोग; उत्कल:उडीशा/उड़िया लोग; बंग:बंगाल/बंगाली लोग
विन्ध्य:विन्ध्यांचल पर्वत; हिमाचल:हिमालय/हिमाचल पर्वत श्रिंखला; यमुना गंगा:दोनों नदियाँ व गंगा-यमुना दोआब; उच्छल-जलधि-तरंग:मनमोहक/हृदयजाग्रुतकारी-समुद्री-तरंग या मनजागृतकारी तरंगें
उनका नाम सुनते ही पंजाब सिन्ध गुजरात और मराठा, द्राविड़ उत्कल व बंगाल
एवं विन्ध्या हिमाचल व यमुना और गंगा पे बसे लोगों के हृदयों में मनजागृतकारी तरंगें भर उठती हैं


तव शुभ नामे जागे, तव शुभाशीष मागे
गाहे तव जय गाथा
तव:आपके/तुम्हारे; शुभ:पवित्र; नामे:नाम पे(भारतवर्ष); जागे:जागते हैं; आशिष:आशीर्वाद; मागे:मांगते हैं
गाहे:गाते हैं; तव:आपकी ही/तेरी ही; जयगाथा:वजयगाथा(विजयों की कहानियां)
सब तेरे पवित्र नाम पर जाग उठने हैं, सब तेरी पवित्र आशीर्वाद पाने की अभिलाशा रखते हैं
और सब तेरे ही जयगाथाओं का गान करते हैं


जन गण मंगलदायक जय हे भारत भाग्य विधाता!
जय हे, जय हे, जय हे, जय जय जय जय हे।।
जनगणमंगलदायक:जनगण के मंगल-दाता/जनगण को सौभाग्य दालाने वाले; जय हे:की जय हो; भारतभाग्यविधाता:भारत के भाग्य विधाता
जय हे जय हे:विजय हो, विजय हो; जय जय जय जय हे:सदा सर्वदा विजय हो
जनगण के मंगल दायक की जय हो, हे भारत के भाग्यविधाता
विजय हो विजय हो विजय हो, तेरी सदा सर्वदा विजय हो 

संक्षिप्त संस्करणसंपादित करें

उपरोक्‍त राष्‍ट्र गान का पूर्ण संस्‍करण है और इसकी कुल अवधि लगभग 52 सेकंड है।
राष्‍ट्र गान की पहली और अंतिम पंक्तियों के साथ एक संक्षिप्‍त संस्‍करण भी कुछ विशिष्‍ट अवसरों पर बजाया जाता है। इसे इस प्रकार पढ़ा जाता है:
“
जन-गण-मन अधिनायक जय हे
भारत-भाग्‍य-विधाता। 
जय हे, जय हे, जय हे, जय जय जय जय हे। 
”
संक्षिप्‍त संस्‍करण को चलाने की अवधि लगभग 20 सेकंड है। जिन अवसरों पर इसका पूर्ण संस्‍करण या संक्षिप्‍त संस्‍करण चलाया जाए, उनकी जानकारी इन अनुदेशों में उपयुक्‍त स्‍थानों पर दी गई है।

©shashank rai जन गण मन, भारत का राष्ट्रगान है जो मूलतः बंगाली में गुरुदेव रवीन्द्रनाथ टैगोर द्वारा लिखा गया था। भारत का राष्ट्रीय गीत वन्दे मातरम्‌ है।

#

Tarun Vij भारतीय

एक #हाइकु हर रोज। हाइकु जापानी कविता का एक प्रकार है जिसमें लघु कविताएं लिखी जाती है जो कि मूलतः 575 के रूप में होती है। जिसमे अक्षर 5, 7, #Poetry #shortpoem #hindiwriters #lekhak #hindikavita #OpenPoetry #hiku #hikoo

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#OpenPoetry किरदार जो
किसी शांत पानी सा
गहरा घना। एक #हाइकु हर रोज।
हाइकु जापानी कविता का एक प्रकार है जिसमें लघु कविताएं लिखी जाती है जो कि मूलतः 575 के रूप में होती है। 
जिसमे अक्षर 5, 7,
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