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Pragya Amrit
थोड़ा हंस लू बेवजह, थोड़ा हंसने पर मजबूर करूं, कुछ याद भी आए गम जो जरा, मैं पल भर में काफुर करूं, हर दिन मेरा एक जन्म तो हैं, वो रात जो बीती दफन हुई, इस दिन से प्रीत की रूबरू करूं। #आज की खुशी आज ही
VD GK STUDY
आज मैंने बहुत दिनों बाद, उगते हुए सूरज को देखा है। उगते हुए सूरज से एक बात सीखा है कि आ जाएं कितनी भी मुश्किलें राह में मगर भटकना नहीं है। करना है कुछ ऐसा काम जो पूरा जहां देखे। उगते हुए सूरज ने मुझसे एक बात कहा कि कर कुछ ऐसा कमाल, जिससे सारा जहां तेरा हो जाए। तू क्यों किसी एक के प्यार के लिए तरसता है, जब सारा कायनात तुमसे प्यार करती है। आज मैंने स्वयं को प्रकृति के प्रति झुकाव को देखा है। आज ही मैंने प्रकृति की सुंदरता को पहचानना सीखा है। आज ही मैंने अपने अन्दर सुधार होते देखा है। आज ही मैंने अपने अंदर सबकुछ कर सकते हैं, ऐसा विश्वास होते देखा है। आज ही मैंने अपने अन्दर छुपे हुए कवि को देखा है ©VINOD DWIVEDI #आज ही मैंने.....
Parasram Arora
"आज इतना ही " ये एक ऐसा मंत्र है मन के लिए जिसका हम कभी भी कहीं भी प्रयोग कऱ सकते है खास कर तब ज़ब मन बेहोशी के कगार पर पहुंचने वाला हो तो हम "अाज इतना ही " दोहरा कर अपनी संभावित मूर्छा क़ो प्रतिबंधित कर सकते है ©Parasram Arora आज इतना ही
Mahendrasinh(Mahi)
चलो आज इतवार है, नहीं हे कोई दोस्त या प्यार, एक चाय और थोड़ा म्यूजिक लगाके मजा लूटते हे। ©Mahendrasinh(Mahi) आज इतवार ही...
Neophyte
यकीन नही है कल पर आज ही मिलो ! क्या पता अपने सपने पर नज़र हो किसी की क्या पता अपने कदमों की ख़बर हो किसी को कुछ तो हकीक़त में बदल लें ऐसे ही चली आओ,बिना किसी साज़ ही मिलो आज ही मिलो! बहुत कुछ अभी पढ़ना है तुम्हारी आँखों मे बहुत कुछ मैंने भी छुपा रखा है अपनी शाखों में आओ अब हर बंधन भूल जाते है जो राज़ है उसे रहने दो राज़ ही मिलो आज ही मिलो ! #NojotoQuote आज ही मिलो !
Arora PR
आज ही तो.. टकराये थे हम उनसे अचानक राहो मे... फिर उनसे मिलने क़ी . आस मे हम सांस . अपनी अटकाये हुए है ©Arora PR आज ही तो
Kajal Chouhan
छोड़कर मुझे मेरे हाल पर बहुत दूर खड़ा है वह जिसने आज ही के दिन मुझसे कहा था मैं तुम्हें कभी भी छोड़कर नहीं जाऊंगा kajal chouhan # आज ही के दिन
शैलेन्द्र यादव
आज ही के दिन, तुम्हे हॉस्पिटल ले जाया गया था, आज ही के दिन, तुम्हारी साँसे उखड़ने लगी थी, आज ही के दिन, मेने साँसों की कीमत जानी थी, आज ही के दिन, मेरी आँखों मे तुम्हारे लिए ऑंसू थे, आज ही के दिन, भगवान के सामने मेने हाथों को फैलाया था, आज ही के दिन, अपने परायों का भेद समझ आया था, आज ही के दिन, तुम चुप सी थी, बोलना बहुत कुछ चाहती थी, आज ही के दिन... आज ही के दिन... आ ज ही के दी न....... ©शैलेन्द्र यादव #आज ही के दिन