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Gopal Mewara
किसी महिला पत्रकार ने कहा था कि आदित्य ठाकरे शिवसेना का पप्पू साबित होगा आज पप्पू की तरह पुत्र मोह में उद्धव जी शिवसेना को पतन की राह पर ले जा रहे हैं साहब, अहंकार मत पालीये, वक्त के सागर में बड़े-बड़े सिकंदर डूब गए जो तंज शिवसेना ने बीजेपी के लिए कहे थे आज वही सब उस पुत्र मोह में अपने ऊपर साबित हो रहे हैं जो दूसरों के लिए खड्डे खोदते हैं वह स्वयं उसमें गिर जाते हैं
Manas Raj Singh
ज़िंदगी 'एक सफर'-Rap खोट में जिंदगी नही, ज़िन्दगी में खोट है रोड में खड्डे की खड्डे में रोड़ हैं है जज़्बा तो.....तो बड़ा झटका भी, मामूली सी चोट है जीवन इतना सरल नहीं, हर चीज़ में खींच फरोत है जिंदगी की रेस में... वही बंदा बढ़ता है, जो कम अकड़ता है, सड़ता है, फड़ता है, मुश्किल से लड़ता है.... ज़िंदगी से आंखें चार करता है... आंखें चार करता है.... करता है करता हैं.... Written by- Manas Raj Singh ज़िंदगी 'एक सफर'-Rap खोट में जिंदगी नही, ज़िन्दगी में खोट है रोड में खड्डे की खड्डे में रोड़ हैं . है जज़्बा तो.....तो बड़ा झटका भी, मामूली सी चो
yogesh atmaram ambawale
चुकी महानगरपालिकेची आणि ओरड मात्र मी खाल्ला, खड्डेच खड्डे सर्वत्र कुठेच रस्ता न चांगला, येत असता बाप्पा घरी त्यांच्या ही पाठीचा मणका दुखला, ह्या खराब रस्त्यांमुळेचं बाप्पालाही त्रास झाला, खोटे नाही सांगत खरंच हा प्रसंग घडला, स्वप्नात येऊन माझ्या मला हेच बाप्पा बोलला, आगमन तर केले माझे विसर्जनाच्या वेळेस तरी रस्ते बनवा, शुभ संध्या मित्रहो आताचा विषय आहे आपल्या लाडक्या बाप्पा वर.. बाप्पा बोलला.. विचार करा कधी बाप्पा बोलु शकला तर त्याला तुम्हाला काय सांगायच अस
Harbans Singh
Harsh R
उनके खून की प्यास बस वही हैं दिल की आस (Piece in caption) It was in 1947 when in First tasted your blood और तबसे बस उसका नशा होगया, चाय मोहब्बत हैं हमारी और एक दफा आपके साथ चाय पीना चाहते हैं,
AhMeD RaZa QurEsHi
■■■■बचपन की यादें■■■■ ____________________________ आज की बारिश ने मुझे अपना बचपन याद दिला दिया क्या खूबसूरत वक्त था ना बचपन का उस वक्त नहाने पर बीमार नही होते थे और आज थोड़ा भीगने पर बीमार हो जाते है,बचपन मे दोस्तो के साथ खूब बारिश के बहते बहाव में कागज़ की नाव चलाया करते थे और फिर उसी नाव में पानी भरता देखते थे कि कब ये नाव डूबती है और किसकी नाव ज्यादा आगे तक जाती है साईकल के पुराने टायर से दौड़ लगाते थे, कांच की गोलियों से खूब अलग अलग तरह के खेल खेला करते थे जिन्हें अंचिया कहते थे इनसे गोला, गिच, नक्का-चौक में साफ्कुच,धड़का,सीध,गुड़काश वगैरह जैक का इस्तेमाल करते थे जीतने के लिए। इसके अलावा लट्टू, पोसम्भा-भई-पोसम्भा, लोहा-लकड़ी, धरती-भाटा, गिल्ली-डंडा, भागम-भाग, सितोलिया, पतंग लूटना, केसीट की रील निकलना, चिड़िया उड़, राजा रानी चोर सिपाही, आसपास-थप्पी, छापे, चकन-पे, चोर-पुलिस, घर-घर, बर्फी, निसरणी,गुलाम-लड़की, कबड्डी, कुच्चा-दड़ी, माल-दड़ी ओर कही खेल खेलते थे बहुत आनंद भरा बचपन था हमारा। गुड़िया के बाल, संतरे, खोपरे ओर काले-नमक व ज़ीरे की गोलियां, इमली, अठन्नी ओर रुपये वाली पेप्सी , भोगले जिन्हें फिंगर कहते है आजकल, इसके अलावा आमलिकंठे, पारलेजी-किसमी, पारले जी बिस्किट, इनाम वाली चूरन ओर बहुत कुछ जो शायद अब यादों से भी ओझल हो गया है क्या खूबसूरत था हमारा बचपन। बारिश के बाद मेंढक फ़ूडकलो ओर मकोड़ो का आतंक, घास में चलती मखमल की डोकरी, ओर साँप की छतरी, सांप की मौसी ओर बहुत से टिड्डे जिन्हें अल्लाह का घोड़ा कहते थे कितना खूबसूरत था हमारा बचपन, वो रूठने पर कट्टी हो जाना और वापस मनाए पर अब्बा हो जाना भी याद है, कितना आसान था ना रूठो को मना लेना काश आज भी लोग इसी अब्बा से फिर एक हो जाते पर अब ऐसा नही होता, अफसोस बचपन हमसे रुखसत हो गया। पेपर से कितने तरह के खिलौने बनाया करते थे हम हवाई जहाज़, नाव, गुलाब का फूल, मेंढक, हवा में उड़ने वाली फिरकी, ओर बहुत कुछ जो शायद अब ख्यालो में
sandy
🌿🌺 पूर्ण वाचा घरातील निगेटिव्ह ऊर्जा घालवण्याचे साधे सोपे उपाय .... """""""""""""""""""""""""""" आपल्या घरात छोटे मोठे वाद होत आसतील.सतत स्व
sandy
#मी_बाळ_बोलतोय! कसली भारी शंभो घालते मला आजी माझी. मला थोडथोडसं आठवतं,आईच्या पोटात होतो तेंव्हाचं. आईने काही जास्त,तिखट,तेलकट खाल्लं की मला