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    PopularLatestVideo

Tarun Vij भारतीय

#RIP #हिंदी साहित्य जगत के लिए एक #दुखद घटना #yqdidi

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"ना उदय हुए ना हुए अस्त"

किस कदर एक पंक्ति में पूरी जिंदगी बयां हो गई...
अश्रुपूर्ण श्रृद्धांजलि हिंदी जगत के दो महान कवियों को जो कल रात एक दुर्घटना में सदा के लिए खो गए।

हास्य कवि श्री के डी शर्मा हाहाकारी जी
 व 
गीतकार श्री प्रमोद तिवारी जी #rip
 #हिंदी साहित्य जगत के लिए एक #दुखद घटना

#yqdidi

#Seema.k*_-sailent_*write@

जीवन चक्र जीवन चक्र #Life

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जब भी किनारे पर मैं पहुंचूं/
ना जाने क्यूं मन घबराए!

बीते पल के छलावे 
क्यों मुझे छलते जाएं-

आशा थी जो मन को मेरे/ 
मन के भीतर आग लगाएं!!

©seema kapoor जीवन चक्र

जीवन चक्र

#Life

Tara Chandra

#चक्र

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दूर क्षितिज पर प्रेम पिपासु,
वर्षण को आतुर बादल,
जल बाणों की बौछारों से,
धरा आह्लाद करें बादल।। 

आन्दोलित हो अपनी सारी,
सम्पत्ति वार दिये बादल,
यही समर्पित प्रेम निशानी,
खुद को मिटा चले बादल।। 

धरती भी ऋण सिर ना धारे,
फिर पोषित करती बादल,
देख आसमां पर फिर से,
छा कर उभरे हैं बादल।।















✍️...

©Tara Chandra Kandpal #चक्र

Rahul Sontakke

चक्र

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जीना मरणा 
खाना पिना 
सुख दुःख 
ये चक्र हमेशा चलता रहेगा

©Rahul Sontakke चक्र

Anjana Gupta Astrologer

चक्र

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*माटी का संसार है,*
*खेल सके तो खेल,*

*बाज़ी रब के हाथ है,*
*पूरा विज्ञान फेल..!!* चक्र

Kishore Nallanchakravartula

एक घटना
ये तब की बात है जब मैं दिल्ली में कार्यरत था।  अपनी घरवाली और बच्चे को ससुराल से लेकर आ रहा था।  हम दिल्ली सेंट्रल स्टेशन पहुंचने वाले थे।  मेरी पत्नी फ्रेश होने बाथरूम गई थी और अचानक मेरा छोटा सा हीरो मेरे करीब आया और उसने पूछा "केला खाओगे"। मैने कहा "अभी नहीं बेटा घर जाने के बाद खाऊंगा"!  वो चुपचाप खिड़की से बाहर देखने लगा ।  थोड़ी देर के बाद वो फिर मेरे करीब आया और बोला "केला खाओगे"। मैने कहा नहीं बेटा अभी नहीं घर जाके खाऊंगा। इस तरह तीन चार बार उसने यही सवाल किया और मैंने भी वही जवाब दिया।  अंत में उसने दो उंगलियां अपने मुंह की तरफ दिखाई और बोला "केला खाओगे"। और मेरी समझ में आया कि केला उसको खाना था।  भूख लगी थी और उसे केला खाओगे ही बोलना आता था।

©Kishore Nallanchakravartula ,#घटना

Rakesh Singhal

जीवन चक्र

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*सफलता क्या है ?*... 

4 वर्ष की उम्र में सफलता है कि आप अपने कपड़ों में सूसू नहीं करते..
8 वर्ष की उम्र में सफलता है कि आप अपने घर वापिस आने का रास्ता जानते है...
12 वर्ष की उम्र में सफलता है कि आप अपने मित्र बना सकते है...
18 वर्ष की उम्र में ड्राइविंग लायसेंस पा लेना सफलता है.....
25 वर्ष की उम्र में जॉब पा लेना सफलता है...
30 वर्ष की उम्र में एक पारिवारिक व्यक्ति बन जाना सफलता है...
35 वर्ष की उम्र में आपने कुछ जमापूंजी बनाना सीख लिया ये सफलता है...
45 वर्ष की उम्र में सफलता है कि आप अपना युवापन बरकरार रख पाते हैं...
55 वर्ष की उम्र में सफलता है कि आप अपनी जिम्मेदारियाँ पूरी करने में सक्षम हैं...
65 वर्ष की आयु में सफलता है निरोगी रहना...
70 वर्ष की उम्र में सफलता है कि आप आत्मनिर्भर हैं किसी पर बोझ नहीं...
75 वर्ष की उम्र में सफलता है कि आप अपने पुराने मित्रों से रिश्ता कायम रखे हैं...
80 वर्ष की उम्र में सफलता है कि आपको अपने घर वापिस आने का रास्ता पता है...
और 85 वर्ष की उम्र में फिर सफलता ये है कि आप अपने कपड़ों में सूसू नहीं करते...

*यही तो जीवन चक्र है....*

😊😊😊

©Rakesh Singhal जीवन चक्र

Parasram Arora

जीवन चक्र......

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अनगिनित  जीवन चक्रो  की तुम यात्रा क़र चुके.
लेकिन वही कर्म फिर से  दोहरा  रहे हो
जो तुमने  पिछले जन्मों मे  किये थे.
मुझे लगता है  इस बार  तुम्हेइस उबाउ आवागमन  से
मुक्ति पाने  का   अनुष्ठान अवश्य. क़र लेना..
चाहिए..... अन्यथा  मन को तुम्हे  संकलपित
कर लेना  चाहिए  कि आने वाले  अगले चक्र. मे
तुम  इस जन्म से कुछ  अलग कुछ हटकर कुछ
बेहतर  ही  करोगे

©Parasram Arora जीवन चक्र......

ajay

समय चक्र

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प्रारम्भ भी तुझसे अंत भी तुझसे  
कल में नही था तब भी तू था  आज में हूं तब भी तू है कल में नही हूँ  फिर भी तू है
तू ही निरन्तर तू ही अनन्त 


          निरापुरे समय चक्र

PANKAJ KUMAR SINHA

जीवन चक्र

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------ जीवन चक्र----

  तारा टुटा तरने के लिए ।।

         आशा टुटा नवआश के लिए।।

         जीवन छुटा नयि जान के लिए।।

          मरण छुटा नयि प्राण के लिए।।

          कुछ खोया कुछ पाने के लिए।।

यही चक्र है जीवन के लिए ।।

यही सत्य है मृत्यु के लिए ।।

यही सास्वत है अस्तित्व के लिए  ।।

यही कर्तव्य है जडत्व के लिए ।।

         मुझे पकने दो अभी परोसने के लिए।।

         मुझे सहने दो अभी साक्ष्य के लिए ।।

         मुझे रहने दो अभी रहस्य के लिए ।।

          मुझे कहने दो अभी काव्य के लिए ।।

कोशिश करो कुछ कोश बाकी आपका  ।।

प्रतिज्ञा करो कुछ प्रण बाकी आपका ।। 

खड्ग उठाओ कुछ खण्ड बाकी आपका ।।

जागो,उठो कुछ कालखंड बाकी आपका ।।

  🖋  पंकज सिन्हा
           अहमदाबाद जीवन चक्र
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