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अद्वैतवेदान्तसमीक्षा

प्रयत्न बिना प्राप्ति नहीं। प्रयत्न से ही प्रत्येक प्राप्ति #विचार

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*हर प्रयत्न में सफलता न मिल पाए शायद*

* लेकिन*

*हर सफलता का कारण प्रयत्न ही होता है !!* प्रयत्न बिना प्राप्ति नहीं।
प्रयत्न से ही प्रत्येक प्राप्ति

Saurav Dangi

ज्ञान की प्राप्ति

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अधिक मूर्खतापूर्ण कार्य कर
 अधिक अनुभव की सहायता से 
अधिक ज्ञान की प्राप्ति की जा सकती है ज्ञान की प्राप्ति

Ek villain

मोक्ष की प्राप्ति #Society

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भगवान श्री कृष्ण ने गीता में बताया है कि मनुष्य का काम क्रम में से भी चाहता है जिसके फलस्वरूप यह देवताओं की पूजा करता है माया रुपी संसार में मनुष्य श्रेणी वस्तु तथा संपति हर की सामग्री के लिए हर संभव प्रयास में रहता है परंतु शैक्षणिक सुख देता है

©Ek villain मोक्ष की प्राप्ति

Rakhi Yadav

# लक्ष्य की प्राप्ति

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लक्ष्यों की प्राप्ति के लिए
 समय प्रबंधन और मन स्थिति 
 प्रबंधन ठीक होना चाहिए I

©Rakhi Yadav # लक्ष्य की प्राप्ति

Mamta kumari

स्वर्ग की प्राप्ति ।

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Heaven  जो बच्चे अपने माता-पिता को ईश्वर मानते हैं
उस बच्चे का खयाल माता-पिता के साथ-साथ ईश्वर भी रखते हैं 
इसलिए बड़े बुजुर्ग कहते जो माता -पिता का सेवा -सत्कार किया है
उन्हे माता -पिता के साथ -साथ ईश्वर का भी आशीर्वाद मिला है ।
और उन्हें स्वर्ग की प्राप्ति भी हुई है । स्वर्ग की प्राप्ति ।

Kamlesh Chaple

ईश्वर की प्राप्ति।।

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Aklesh Yadav

लक्ष्य की प्राप्ति #विचार

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Bachan Manikpuri

लक्ष्य की प्राप्ति #प्रेरक

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Ek villain

#ईश्वर की प्राप्ति #VantinesDay #Society

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जड़ जगत की रचना के लिए ईश्वर की जो शक्ति काम करती है उसे प्राकृतिक कहते हैं और चैतन्य जगत की रचना करने वाले शक्ति को जीव कहते हैं जिस प्रकार दोनों हाथ एक ही शरीर के दो भाग हैं उसी प्रकार जी और प्राकृत दोनों ही ईश्वर तत्व के दो उनसे आध्यात्मिक तत्वों के जिज्ञासु ईश्वर की उपासना करते हैं असल में मैं अखिल आधार शक्ति का सतोगुण हमसे मानवीय उन्नति तो शत्रुघ्न को प्राप्त करने से ही हो सकती है तो तत्वों की प्राप्ति करने से ही हो सकती है इसलिए उनको छोड़ो की एक मानसिक प्रतिमा बनाकर उपासना करने का विधान किया गया ईश्वर का सत्व गुण आदर्श रूप से हमारे निकट ही वर्तमान है उसे अधिक मात्रा में प्रेम श्रद्धा विश्वास और ध्यान अभ्यास की आवश्यकता होती है और होगी भी उतना ही आकर्षित होगा अंदर बाहर लेना ही प्रेम श्रद्धा विश्वास और ध्यान की आवश्यकता होती है इन चारों के समवाय को पास में कहा जाता है उपासना की प्राप्ति प्रेम दया करुणा सहानुभूति उदारता त्याग समता और अन्याय आदि सद्गुणों का निष्ठावान जितना अधिक चिंतन किया जाता है उतनी अधिक उनके प्राप्ति होती है उन्नति का करम है हमसे सादगी और चल रहा है जिनसे जितना ही सद्गुण अपने में धारण कर लिया आध्यात्मिक दृष्टि से भी उतना ही उन्नति कहा जाएगा यदि एक भक्त सत्य तत्वों की उपासना करता है तो कोई कारण नहीं कि उस पर प्राप्त ना हो ईश्वर की उपासना का तात्पर्य उसके निर्देशक तत्व की आराधना है श्रद्धा विश्वास प्रेम जब तक ध्यान आदि से जीवन को ईश्वर ईश्वर तत्व में सरोवर मिलता है

©Ek villain #ईश्वर की प्राप्ति

#VantinesDay

Ek villain

#शिव तत्व की प्राप्ति #Nofear #Society

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भगवान शिव अनादि अनंत निवासी निर्गुण निराकार ई वही नृत्य संगीत आदि समस्त कलाओं की अध्यक्षता है तांडव नृत्य के समय उन्होंने डमरु निदान से अफसरों की उत्पत्ति हुई यदि शिव को संसार का देवता माना जाता है किंतु उन्हें रोम रोम में शिव तत्व है शिव का अर्थ है कल्याण इसलिए भगवान शिव सृष्टि के कल्याण करता है उनके संसार में भी जीव और जगह दोनों का कल्याण नींद है शिव सृष्टि की आदि भी है अवसान भी है सर जब भी है संहारक भी है उनका संहारक नर्वस अर्जन के लिए है महाशिवरात्रि का महापर्व शिव और पार्वती के मिलने का पर्व है प्रवृत्ति प्राकृतिक स्वरूप है और शिव परब्रह्म परमात्मा महाशिवरात्रि प्रकृति और आदि पुरुष के मिलने का पर्व है तुलसीदास जी शिव और पार्वती को श्रद्धा और विश्वास का मूर्तिमान स्वरूप कहा है यह पर्व श्रद्धा और विश्वास के मिलने का पर्व भी है जो अभीष्ट फल का प्रदाता है जिसका परिणाम शुरू सदा मंगलकारी होता है शिव देवाधिदेव महादेव है किंतु कोई यू नहीं महादेव नहीं बनता इसके लिए लोक कल्याण अर्थ संसार का ग्रिल भी पानी पीना पड़ता है समुद्र मंथन के समय जब अमृत के साथ विष निकला तो अमृत के लिए सभी झगड़ने लगे पर विश्व पान के लिए कोई तैयार नहीं हुआ तब लो रक्षक अर्थ शिव के गरल पान कर उसे कंठ में धारण कर लिया इसी तरह प्रत्येक मानव को महान बनने के लिए संसारी करण पीकर विश्व प्रिय बनना पड़ता

©Ek villain #शिव तत्व की प्राप्ति

#Nofear
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