Find the Latest Status about जीवनधारा गाना from top creators only on Nojoto App. Also find trending photos & videos about, जीवनधारा गाना.
Shivram Masurkar
बेशक, मै एकेला खडा हु.. कोई गम नहीं! पत्ता-पत्ता दाली-दाली सुखा.. कोई पर्वा नहीं.. बस्स..मुझे इंतजार हैं एक बुंद का जो बरसेगा उस आखोंसे.. जिनसे मेरी तमन्ना हैं!. जीवनधारा
Tara Chandra
एक नदी के दो किनारे, नदी को उसकी हद में रखते, उद्गम से सागर गिरने तक, चलें साथ पर कभी न मिलते।। आने वाले हर प्राणी को, नदी का रौद्र रूप बतलाते, पत्थर, मिट्टी पर घावों के, संकेतों से हैं समझाते।। इसी नदी के, 'जल' व जलचर, जीवों का समुचित संरक्षण, यही किनारे कर रहे हैं, जबसे पैदा नदी हुई है।। ऐसे ही दो पुष्ट किनारे, हर मानव जीवन में है, एक लोक, परलोक दूसरा, बीच प्रवाहित जीवन है।। एक प्रकृति, ईश्वर दूजा, बीच समाहित जीवन है।। ✍️... ©Tara Chandra Kandpal #जीवनधारा
Ekta Gour
जीवनधारा हर दिशा से, तु मिलती जाती हैं तेरी ही बहाओ में तु खूद को ले कर बहती जाती हैं तेरा संगम लहरों से, दरियो से होता रहता हर शहरों से꫰ #जीवनधारा #yqhindi
Anamika
बोलने पे हर कोई पत्थर मार गया बन गूंगा वो सबको भा गया... #cinemagraph #गूंगा #बुढापा जीते-जी औलाद देती नहीं दाना, मरने पे खिलाती लोगों को खाना... #अंतिम_सत्य #जीवनधारा #तूलिका
VED PRAKASH 73
असहाय अनुभव करना बड़ी भारी भूल है किसी से सहायता की याचना मत करो अपनी सहायता हम स्वयं हैं यदि हम अपनी सहायता नहीं कर सकते तो हमारा सहायक कोई नहीं है तुम्ही एकमात्र अपने बंधु हो तुम्हीं एकमात्र अपने शत्रु हो... -स्वामी विवेकानंद ©VED PRAKASH 73 #जीवन_धारा
VED PRAKASH 73
अज्ञानवश परमात्मा को न देख सकने के कारण उसके अस्तित्व में संदेह मत करो समुद्र में मोती अवश्य रहते हैं किंतु वे परिश्रम के बिना नहीं मिलते इसी प्रकार संसार में ईश्वर विद्यमान रहने पर भी बिना प्रयास के नहीं मिलता.. . -रामकृष्ण परमहंस ©VED PRAKASH 73 #जीवन_धारा
VED PRAKASH 73
विचारों के संप्रेषण के लिए शब्दों का उपयोग किया जाता है लेकिन जब विचारों को समझ लिया जाता है तब मनुष्य शब्दों को भूल जाता है पूर्वी रहस्यवादी भी यह मानते हैं कि परम सत्य कभी तर्क का विषय नहीं हो सकता... -फ्रित्जाॅफ काप्रा ©VED PRAKASH 73 #जीवन_धारा
VED PRAKASH 73
मेरे पिता सब कुछ झेल सकते थे बशर्ते उनकी रोटी का इंतजाम हो और ध्यान के उनके निश्चित समय में खलल न पड़े सबसे ज्यादा चिढ़ उन्हें तब होती थी जब शाम के वक्त खुले में बैठकर तारों को निहारते समय कोई उन्हें टोक देता था... -जी आई मुर्जिएफ ©VED PRAKASH 73 #जीवन_धारा
VED PRAKASH 73
संसार अस्तित्व के एक अनियंत्रित खेल की तरह आगे बढ़ रहा है अगर हम अपनी असल शक्ति को नहीं पहचानेंगे तो इस प्रचंड तूफान में हमारी हैसियत सागर में तैरती नन्ही चींटियों से ज्यादा कुछ नहीं होगी... -परमहंस योगानंद ©VED PRAKASH 73 #जीवन_धारा