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Sunil Sharma...
मुद्दतों बाद किसी ने पूछा कहां रहते हो मैंने मुस्कुराकर जवाब दिया ओरो की जरूरतों मैं और अपनी औकात में... # जरूरतों में
कृष्णा
जरूरतों के दौर में अपनेपन का बड़ा शोर होता है, वरना.. इंसानियत दूर दूर तक लापता होती है, और इन्सान कही और मगरुर होता है ©Krishna #दौर जरूरतों का✍️
DM SANAM
उनकी याद कुछ इस तरह अपनी बुराइयों से में कभी नहीं हारा pr haan बुरे तरीके से अपनी जरुरतों को बेशुमार मारा ©DM SANAM अपनी जरूरतों को मारा.... #PoetInYou
Rati Garg
ख़्वाहिश और जरुरत ख्वाहिशों का सिलसिला कभी रुकता नहीं, जरूरतों के बोझ तले ख्वाहिशों को दफनते देख आंखो से अश्क झलक जाते है....पर उसी पल अश्कों को पलकों में ही रोक कर ...नहीं मेरी जान नहीं जरूरतों को पूरा करना है ख्वाहिशें तो आए दिन दरवाजे पर दस्तक देगी...संभाल खुद को क्यों कि तू ही किसी की जरूरत और ख्वाहिश है...नहीं जान नहीं सोख ले इन अश्कों को पलकों में ही...कहीं तेरे अश्क किसी और की आंखो को ना भीगा दे.... मेरी जान ज़रूरतो को किसी की ख्वाहिश समझ कर पूरा करले... ख्वाहिश और जरूरत दोनों एक सी ही है ,फर्क इतना है कि ख्वाहिशों को तू सपनों की दुनिया में भी जी लेगी...पर जरूरत इसे तो पूरा करना ही होगा ना। # ख्वाहिशें और जरूरतों की उलझनें
Rachna
आरज़ू पता ही नहीं चलता कि कब आरज़ू की जगह जरूरतें ले लेती हैं! ©Rachna आरजू नहीं बचती जरूरतों के बाद
Abhishek Singh
एक पौधे से पूरा संसार जुड़ा है हमारे जीवन भर का एक एहसास जुड़ा है हम जीते भी इन्ही के सहारे है और मरते भी इन्ही के सहारे है पौधा एक इंसान की नीव है उससे जुड़ी हुई मानवता की हर एक वो सीख है जिसे वो हमेशा अपनी रोज की दिनचर्या मे इस्तेमाल करता है कोई इसका इस्तेमाल अपनी जरूरतों को पूरा करने के लिए करता है या कोई इसका इस्तेमाल अपनी तकलीफो को दूर करने के लिए करता है ये पौधा इंसान के हर दुख-सुख मे उसका साथ देता है इससे एक बात पता चलती है की इंसान को जीने के लिए पेड़ो का सहारा लेना पड़ता है या यू कहे पेड़ो के बिना तोह ये दुनिया भी नहीं तोह ये इंसान क्या चीज़ है अपने घरों मे पौधे लगाए और अपना जीवन बचाये #हमारी जरूरतों से बढ़कर है ये पौधे
gourav
ख्वाइशों का मोहल्ला बहुत बड़ा था हम जरूरतों की गलियों मैं मुड़ गए #ख्वाइशों #मोहल्ला #जरूरतों #गलियों #yqbaba #yqdidi #yqquotes #gourav_writes
PoetrywithAmar
सब जरूरतों का खेल_है ....साहेब जरूरत_अपनी_हो_तो सब_अपने_है नहीं_तो सब_मोह_माया_है ... अमरजीत कुशवाहा #सब #जरूरतों #का #खेल_है ....#साहेब #जरूरत_अपनी_हो_तो #सब_अपने_है
Shravan Goud
सब जरूरतों का खेल है ना कि स्वाभिमान का। सब जरूरतों का खेल है ना कि स्वाभिमान का।