Find the Latest Status about तीर्थ यात्रा from top creators only on Nojoto App. Also find trending photos & videos about, तीर्थ यात्रा.
डाॅ राजेश हालुवासिया
मेरी खालिस ख्वाहिसों की, बस एक ही है जियारत। तेरे लबों को छूने की कसक और तेरे आगोश की तड़प।। तीर्थ यात्रा
Parasram Arora
ये बड़े प्यारे चरण चिन्ह है ये मिट न जाए कहीं .. पोंछ न जाए कोई कोई इनकी यादे दिलाता रहे इसीलिए है ये तीर्थ यात्राएं जो ले जाती है हमें कैलाशों तक सूनी घाटी क़े शिवालों मे समुन्द्र क़े तटवर्ती इलाकों मे फिर हम. पा लेते है अपरिमित ऊर्जाएं जो ले जाती हैं हमें अमोघ अंधेरों. क़े पार . जहां. मिल जाती है हमें अपनी आत्मा की समूची गंध तीर्थ यात्राएं
Parasram Arora
ये क्रांति की उद्दाम आकांक्षाएं औऱ अमर्यादित चेष्टाएँ नहीं ले जा सकेंगी स्वर्ग की तीर्थ यात्रा पर ज़ब तक तुम मुक्त नहीं कर लेते खुदको बेईमानी के दूषित चुंबकीय प्रभाव से स्वर्ग की तीर्थ यात्रा पर
अशेष_शून्य
©..... कुछ हिस्से, किस्से कुछ ख़्वाब, कुछ ख्वाहिशें ; कुछ किश्तें , कुछ रिश्ते अधूरे रहें तो बेहतर है।। कुछ हसरतें , इबादतें कुछ इनायतें , कुछ आयत
Pk Pankaj
वो ढूंढ़ना चाहती जवाब बूढ़े पीपल में बांधे धागे का, मंदिरों में टेके गए सर का कई तीर्थ यात्राओं का और, कुछ अंध विश्वासों का, जवाब ना पाती तो उठाती सवाल अपने ही कर्मों पर, अक्सर मैं उसे यूं ही पाता हूं, आंखों में उदासी लिए, मन में हजारों प्रश्न लिए, वो ढूंढ़ना चाहती जवाब बूढ़े पीपल में बांधे धागे का, मंदिरों
N S Yadav GoldMine
युधिष्ठिर बोले- महाराज। पहले आपकी आज्ञा से जब मैं वन में बिचरता था पढ़िए महाभारत !! 📜📜 महाभारत: स्त्री पर्व षड़र्विंष अध्याय: श्लोक 19-16 {Bolo Ji Radhey Radhey} 📜 युधिष्ठिर बोले- महाराज। पहले आपकी आज्ञा से जब मैं वन में बिचरता था, उन्हीं दिनों तीर्थ यात्रा के प्रसंग से मुझे एक महात्मा का इस रूप में अनुग्रह प्राप्त हुआ। तीर्थ यात्रा के समय देवर्षि लोमष का दर्षन हुआ था। उन्हीं से मैंने यह अनुस्मृति विद्या प्राप्त की थी। इसके सिवा पूर्व काल में ज्ञान योग के प्रभाव से मुझे दिव्य दृष्टि भी प्राप्त हो गयी थी। धृतराष्ट्र ने पूछा- भारत। यहां जो अनाथ और सनाथ युद्धा मरे पड़े हैं, क्या तुम उनके शरीरों का विधि पूर्वक दाह संस्कार करा दोगे। 📜 जिनका कोई संस्कार करने वाला नहीं है तथा जो अग्निहोत्री नहीं रहे हैं, उनका भी प्रेत कर्म तो करना ही होगा, तात । यहां तो बहुतों के अंतेष्टि कर्म करने हैं, हम किस-किस का करें। युधिष्ठिर। जिनकी लाशों का गरूड़ और गीध इधर-उधर घसीट रहें हैं, उन्हें तो श्राद्व कर्म से ही शुभ लोक प्राप्त होंगे। वैशम्पायनजी कहते हैं- महाराज। राजा धृतराष्ट्र के ऐसा कहने पर कुन्ती पुत्र युधिष्ठिर ने सुधर्मा, धौम्य, सारथी संजय, परम बुद्धिमान विदुर, कुरूवंषी युयुत्सू तथा इन्द्रसेन आदि सेवकों एवं सम्पूर्ण सूतों को यह आज्ञा दी कि आप सब लोग इन सबके प्रेत कार्य को सम्पन्न करावें। 📜 ऐसा न हो कि कोई भी लाष अनाथ के समान नष्ठ हो जाये। धर्मराज के आदेष से विदुरजी, सारथी संजय, सुधर्मा, धौम्य तथा इन्द्रसेन आदि ने चंदन और अगर की लकड़ी कालियक, घी, तेल, सुगन्धित पदार्थ ओर बहुमूल्य रेषमी वस्त्र आदि बस्तुऐं एकत्रित कीं, लकडि़यों का संग्रह किया, टूटे हुए रथों और नाना प्रकार के अस्त्र-षस्त्रों को भी एकत्र कर लिया। फिर उन सबके द्वारा प्रयत्न पूर्वक कई चिताऐं बनाकर क्रम से सभी राजाओं का शास्त्रीय विधि के अनुसार उन्होंने शांत भाव से दाह संस्कार सम्पन्न कराया। 📜 राजा दुर्योधन, उनके निनयानवें माहरथी भाई, राजा शल्य, शल, भूरिश्रवा, राजा जयद्रथ, अभिमन्यु, दुषासन पुत्र, लक्ष्मण, राजा धृष्टकेतु, बृहन्त, सोमदत्त, सौसे भी अधिक संजय वीर, राजा क्षेमधन्वा, बिराट, द्रुपद, षिखण्डी, पान्चालदेषीय द्रुपदपुत्र धृष्टद्युम्न, युधामन्यु, पराक्रमी उत्तमौजा, कोसलराज बृहदल, द्रौपदी के पांचों पुत्र, सुबल पुत्र शकुनि, अचल, बृषक, राजा भगदत्त, पुत्रों सहित अमर्षशील वैकर्तन कर्ण, महाधनुर्धर पांचों कैकय राजकुमार, महारथी त्रिगर्त, राक्षसराज घटोत्कच, बक के भाई राक्षस प्रवर अलम्बुस और राजा जलसंघ- इनका तथा अन्य बहुतेरे सहस्त्रों भूपालों का घी की धारा से प्रज्वलित हुई अग्नियों द्वारा उन लोगों ने दाह कर्म कराया। 📜 किन्ही महामनस्वी वीरों के लिये पितृमेघ (श्राद्वकर्म) आरम्भ कर दिये गये। कुछ लोगों ने वहां सामगान किया तथा कितने ही मनुष्यों ने वहां मरे हुए विभिन्न जनों के लिये महान् शोक प्रकट किया। सामवेदीय मंत्रों तथा ऋचाओं के घोष और स्त्रियों के रोने की आवाज से वहां रात में सभी प्राणियों को बड़ा कष्ट हुआ। उस समय स्वल्प धूप युक्त प्रज्वलित जलाई जाती हुई चिता की अग्नियां आकाष में सूक्ष्म बादलों से ढके हुए ग्रहों के समान दिखाई देती थी। एन एस यादव।।। 📜 इसके बाद वहां अनेक देसो से आये हुए जो अनाथ लोग मारे गये उन सबकी लाशों को मंगवाकर उनके सहस्त्रों ढेर लगाये। फिर घी-तेल में भिगोई हुई बहुत सी लकडि़यों द्वारा स्थिर चित्त बाले लोगों से चिता बनाकर उन सबको विदुर जी ने राजा की आज्ञा के अनुसार दग्ध करवा दिया। इस प्रकार उन सबका दाह कर्म कराकर कुरूराज युधिष्ठिर धृतराष्ट्र को आगे करके गंगाजी की ओर चले गये। ©N S Yadav GoldMine #Sitaare युधिष्ठिर बोले- महाराज। पहले आपकी आज्ञा से जब मैं वन में बिचरता था पढ़िए महाभारत !! 📜📜 महाभारत: स्त्री पर्व षड़र्विंष अध्याय: श्ल
KP EDUCATION HD
KP TAILOR HD video recording ©KP TAILOR HD वैसे तो हर महीने 2 एकादशी तिथि पड़ती है और इस तरह से एक साल में कुल 24 एकादशी तिथि होती है. यह तिथि भगवान विष्णु को समर्पित है. इस दिन भगवान
yogesh atmaram ambawale
मेरे प्रथम गुरु मेरे माता पिता, चरणों में उनके मेरा प्रणाम हो स्वीकार| उन्हीं की शिक्षा और संस्कार है, जिसकी बदौलत मेरे जीवन को मिला आकार| हर पल पुजू उन्हें,उन्हीं के मैं गुण गाऊ, उनके आधार के बिना,मैं कहीं भी स्थिर न रह पाऊं| घूम आऊं मैं चारों धाम,सारे तीर्थ यात्रा मैं कर आऊं, चरणों में अपने माता पिता के,जब मैं अपना शीश झुकाऊं| 🌹आप सभी को गुरु पूर्णिमा की अशेष शुभकामनाएं 🌹 👉🏻 प्रतियोगिता- 636 विषय 👉🏻 🌹"गुरु पूर्णिमा"🌹 🌟 विषय के शब्द रचना में होना अनिवार्य है I 🌟कृ
kattar_hindu
Naresh Chandra
हिन्दू धर्म विशाल है सब धर्मों की जननी है कृपया अनुशीर्षक मे पढ़ें 🙏 ©Naresh Chandra वैदिक काल और यज्ञ प्राचीन काल में लोग वैदिक मंत्रों और अग्नि-यज्ञ से कई देवताओं की पूजा करते थे। आर्य देवताओं की कोई मूर्ति या मन्दिर नहीं