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Yash Tripathi

खिड़कियां खोल दी बहाने की #romance

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shashank jha

हम वो दिवाने है जो ताजा हवा लेते हैं खिड़कीयाॅ खोल के मौसम का मज़ा लेते हैं..... #Attitude poetry #Hindi #yqbaba #yqdidi #Inspiration li

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ये उम्र खतरनाक है, देखभाल के रहिए
इस दिल के मामले में, संभल के रहीए

क्या पता कब हवा बदल जाए यहाँ पे
सो किस्मत का सिक्का उछाल के रहिए

जज्बा, जूनून, पागलपन, दिवानगी जो भी कहे
मौका जब भी मिले इसे निकाल के रहिए

कोई हद नहीं होती है इस मुआमले में
दुनिया जो कहे आप कमाल के रहिए
 हम वो दिवाने है जो ताजा हवा लेते हैं
खिड़कीयाॅ खोल के मौसम का मज़ा लेते हैं..... 

#attitude #poetry #hindi #yqbaba #yqdidi #inspiration #li

Anuj Ray

# हर मौसम में लगे मौसमी, #न्यूज़

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tanuja mishra

खिड़कियां

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खिड़कियां अक्सर बड़ी मददगार होती हैं खिड़कियां

tanuja mishra

खिड़कियां अक्सर बड़ी मददगार होती हैं #खिड़कियां

Shikha Dubey

खिड़कियां

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खिड़किया


खंडहर जंग लगी खिड़कियां गवाही है कि यहां अब कोई नहीं रहता
यादों सी खंडहर हवेली वीरान पड़ी है
दौलत, सोहरत कमाने कई ज़िंदगियां गांव के उस पार खड़ी है 


🔸शिखा🔸 खिड़कियां

Pallavi Raj

# शहर के मौसम #कविता #nojotophoto

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 # शहर के मौसम

khushboo naroliya

#मौसम के रंग #Poetry

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हर मौसम का अपना एक रंग है, कभी घौर पतझड़ तो कभी खिला बसंत है।
कभी तेज सर्दी तो कभी भीषण गर्मी है,कभी मानसून सूखा तो कभी वर्षा भारी है।
हर मौसम भलीभांति सह लेते है, यह कुदरत का अद्भूत करिश्मा है।
जब आया दिमाग मनुष्य में तो, अब हर तरफ जलवायु परिवर्तन है।
जीवन आसान हो रहा शहर वालों का, गाँव के किसान की आँख में पानी है।
सुख सुविधायें भोग रहा मनुष्य , जीना पशु पक्षियों का दुश्वार है।
अब होने लगी है अति निरंतर, अब होना निश्चित ही विनाश है।
सुखद अनुभूति देते थे ये मौसम, अब हर तरफ बिमारी भरमार है।
लहलहाती थी फसलें खेतों में, अब आसमां से आफत की बरसात है।
कभी अनावृष्टि तो कभी अतिवृष्टि, कभी चक्रवात तो कभी ओलावृष्टी। 
फसलों की तबाही की, अब नित नये ही किस्से कहानी है।

अभी स्वार्थ मनुष्य खुदका देख रहा, अब प्रकृती की बारी है।
अभी मनुष्य की मार झेल रही प्रकृती, लेकिन प्रकृती की मार भारी है।
हालाँकि हर मौसम का अपना एक रंग है,लेकिन जलवायु परिवर्तन से .............................
...............हर मौसम बेरंग है!!!!!!!!!!

©khushboo naroliya #मौसम के रंग

Vickram

नज़ारे मौसम के,,,,,,, #शायरी

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एस पी "हुड्डन"

तू याद करती है मुझको,
मैं भरता हूं सिसकियां।
कोई जान न जाए,
तो रोक लेता हूं हिचकियां।
तुझसे बिछड़ के अंधेरों की,
मुझे ऐसी आदत हुई! कि...
अब खुलती नहीं मेरे कमरे की,
जंग लगी खिड़कियां।
✍️" हुड्डन"🙏 #खिड़कियां
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