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shashank jha
ये उम्र खतरनाक है, देखभाल के रहिए इस दिल के मामले में, संभल के रहीए क्या पता कब हवा बदल जाए यहाँ पे सो किस्मत का सिक्का उछाल के रहिए जज्बा, जूनून, पागलपन, दिवानगी जो भी कहे मौका जब भी मिले इसे निकाल के रहिए कोई हद नहीं होती है इस मुआमले में दुनिया जो कहे आप कमाल के रहिए हम वो दिवाने है जो ताजा हवा लेते हैं खिड़कीयाॅ खोल के मौसम का मज़ा लेते हैं..... #attitude #poetry #hindi #yqbaba #yqdidi #inspiration #li
Anuj Ray
हर मौसम में लगे मौसमी ,बदले रंग हजार, गली-गली ससुराल है उसकी, बिस्तर है हर द्वार। दुल्हन जैसी लगे रात दिन, नए-नए सिंगार, किस्मत लेकर जन्मी है, करना चाहे हर कोई प्यार। ©Anuj Ray # हर मौसम में लगे मौसमी,
Shikha Dubey
खिड़किया खंडहर जंग लगी खिड़कियां गवाही है कि यहां अब कोई नहीं रहता यादों सी खंडहर हवेली वीरान पड़ी है दौलत, सोहरत कमाने कई ज़िंदगियां गांव के उस पार खड़ी है 🔸शिखा🔸 खिड़कियां
khushboo naroliya
हर मौसम का अपना एक रंग है, कभी घौर पतझड़ तो कभी खिला बसंत है। कभी तेज सर्दी तो कभी भीषण गर्मी है,कभी मानसून सूखा तो कभी वर्षा भारी है। हर मौसम भलीभांति सह लेते है, यह कुदरत का अद्भूत करिश्मा है। जब आया दिमाग मनुष्य में तो, अब हर तरफ जलवायु परिवर्तन है। जीवन आसान हो रहा शहर वालों का, गाँव के किसान की आँख में पानी है। सुख सुविधायें भोग रहा मनुष्य , जीना पशु पक्षियों का दुश्वार है। अब होने लगी है अति निरंतर, अब होना निश्चित ही विनाश है। सुखद अनुभूति देते थे ये मौसम, अब हर तरफ बिमारी भरमार है। लहलहाती थी फसलें खेतों में, अब आसमां से आफत की बरसात है। कभी अनावृष्टि तो कभी अतिवृष्टि, कभी चक्रवात तो कभी ओलावृष्टी। फसलों की तबाही की, अब नित नये ही किस्से कहानी है। अभी स्वार्थ मनुष्य खुदका देख रहा, अब प्रकृती की बारी है। अभी मनुष्य की मार झेल रही प्रकृती, लेकिन प्रकृती की मार भारी है। हालाँकि हर मौसम का अपना एक रंग है,लेकिन जलवायु परिवर्तन से ............................. ...............हर मौसम बेरंग है!!!!!!!!!! ©khushboo naroliya #मौसम के रंग
Vickram
,,,,, नजाऐ मौसम के,,,,,, काफी रंगीन मौसम लग रहा है आज हमें । वादियों में भी रंग नजर आ रहा है आज । कितने हसीन होते हैं पल जिंदगी के कभी। अपनी जिंदगी का बेहतर दिन लग रहा है आज । ©Vickram नज़ारे मौसम के,,,,,,,
एस पी "हुड्डन"
तू याद करती है मुझको, मैं भरता हूं सिसकियां। कोई जान न जाए, तो रोक लेता हूं हिचकियां। तुझसे बिछड़ के अंधेरों की, मुझे ऐसी आदत हुई! कि... अब खुलती नहीं मेरे कमरे की, जंग लगी खिड़कियां। ✍️" हुड्डन"🙏 #खिड़कियां