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Prashant choudhary

दिल में एक शोर लिए ख़ामोश लौट आया हां,मैं उससे चार कदम पर था, लौट आया ।। अब जैसे खत्म हुई दफ्तर की नौकरी , वो मेरी जगह बैठने वाला, लौट आया

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दिल में एक शोर लिए ख़ामोश लौट आया
हां,मैं उससे चार कदम पर था, लौट आया ।।

अब जैसे खत्म हुई दफ्तर की नौकरी ,
वो मेरी जगह बैठने वाला, लौट आया ।। 

हो रहे थे जज़्बात नीलाम कहीं चौराहे पर
मैं भीड़ में से झांका और ,लौट आया ।।

सर को आराम था उसके मेरे कांधे पर कल तक
शायद वो  उसका चाहने वाला , लौट आया ।।

एक उड़ान फिर भरी पनाह ढूंढने को मयखाने तक
चाँदना सा हुआ और परिंदा घर, लौट आया ।। दिल में एक शोर लिए ख़ामोश लौट आया
हां,मैं उससे चार कदम पर था, लौट आया ।।

अब जैसे खत्म हुई दफ्तर की नौकरी ,
वो मेरी जगह बैठने वाला, लौट आया

kashish

 "दफ्तर से लौटते वक्त मेरे लिये ये सामान ले आना", कहते हुए गीता ने सामान की लिस्ट अपने पति राकेश के हाथों में थमा दी...लिस्ट आधा सा देखकर रा

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कहानी: दफ्तर
@kashi_thoughts
read caption  "दफ्तर से लौटते वक्त मेरे लिये ये सामान ले आना", कहते हुए गीता ने सामान की लिस्ट अपने पति राकेश के हाथों में थमा दी...लिस्ट आधा सा देखकर रा

Nisheeth pandey

.खाली हाथ कहीं कुछ काम नहीं बनता... हर दफ्तर की कुछ दस्तूरी होती है.... गनीमत है...... ये पैर ज़मी पर रखतें हैं..... हाथ इनके आसमान तक प #Poetry #Love #poem #NojotoWriter #moral

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.खाली हाथ कहीं
 कुछ काम नहीं बनता... हर दफ्तर की 
कुछ दस्तूरी होती है....

गनीमत है...... 
ये पैर ज़मी पर रखतें हैं.....

हाथ इनके आसमान तक पहुंचे......
 तो ये चाँद भी बेच दें....

फन नहीं रहा अब इश्क में नाचने का.. 

यादों के घुंघरू बस पाओं में बंधे है...

वक़्त से तकरार कैसी, 
जो मिला उससे ही प्यार कर.... 

भूल जा मौसम की हरक़त
 बस ख़ुशी की बात कर...

बात तो सिर्फ जज़्बातों की है वरना......
मुहब्बत तो सात फेरों के बाद भी नहीं होती......

चिड़िया, तितली, फूल, सितारे, जुगनू सब हैं ......
लेकिन इनको देखे 
अर्सा हो जाता है.....

आँखे मोबाइल से क्या लड़ी...

आसमां देखे हुए जमाना हो गया...

सोंचता हूँ लिखना विखना छोड़ दूं .....
ज़िन्दगी  को जिन्दगीं से
 दूर कर दूं .....

🤔🤔🤔
अपने ही  जब  
ग़ैर से बदतर दिखें.....
दिल  में  आता  
ऐसे रिश्ते तोड़ दूं .....

🤔निशीथ🤔

©Nisheeth pandey .खाली हाथ कहीं
 कुछ काम नहीं बनता... हर दफ्तर की 
कुछ दस्तूरी होती है....

गनीमत है...... 
ये पैर ज़मी पर रखतें हैं.....

हाथ इनके आसमान तक प

Dr Jayanti Pandey

यह हर दफ्तर का हिस्सा है बस नौ से पांच का क़िस्सा है। जो दफ्तर में अकड़े अकड़े से हैं वो अपनी ही कुंठा में जकड़े से हैं। कुछ मकरंद सूंघत #yqdidi #yqhindi #yqpoetry #jayakikalamse

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यह हर दफ्तर का हिस्सा है 
बस नौ से पांच का क़िस्सा है।



 यह हर दफ्तर का हिस्सा है 
बस नौ से पांच का क़िस्सा है।

जो दफ्तर में अकड़े अकड़े से हैं 
वो अपनी ही कुंठा में जकड़े से हैं।

कुछ मकरंद सूंघत

Kajal The Poetry Writer

#desert मर्द हूं मैं मेरा जीवन जी कर देखो तो सही।। बेटा , बचपन में मां के दुलार में पला, यौवन में मां सा प्यार मिले तो सही।। भूल गया अब मस् #कविता

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मर्द हूं मैं मेरा जीवन जी कर देखो तो सही।।
बेटा ,
बचपन में मां के दुलार में पला, यौवन में मां सा प्यार मिले तो सही।।
भूल गया अब मस्ती करना,देर से उठना,देर से सोना,,
दूर होकर घर से याद बड़ी ही आती हैं,,
बहन के ताने,मां की डांट मुझे बड़ा सताती हैं।।
पढ़ाई खत्म करके अब जिंदगी,नौकरी की बात बताती हैं,,
नहीं रह सकता बेटा घर पर खाली,आगे पति बनकर घर की कमान संभाली हैं।।
जब दफ्तर की थकान हो, जीवन में न आराम हो।।
दोराहा जीवन का आयाम हो,हार जाऊं चहुं दिशा से जब,,
मिले मुझे ऐसी छाया,
रख कंधे पर हाथ दे, कहे साथ हूं मैं,सदैव
 पग पग पर तो काहे को प्रगति में विराम हो।।
जीवन हैं संघर्ष का पर्याय, आप इसमें अकेले होगे कभी नहीं।। 
मर्द हूं मैं मेरा दर्द समझकर देखो तो सही।।
घर की खुशियों की जिम्मेदारी हैं।।
 मां–बाबा की बीमारी हैं।खर्चों की भरमारी हैं।।
पिता बना अब मर्द खुशियां उसकी
बच्चों की किलकारी हैं।।
मजबूत बनेगा पत्थर सा वो,
बेटी देखी ज्यों मखमल सा हृदय कोमल वो,
उसके हाथों में बच्चों का भविष्य इसलिए दौलत शोहरत खूब कमानी हैं।।

©KAJAL The Poetry Writer #desert 
मर्द हूं मैं मेरा जीवन जी कर देखो तो सही।।
बेटा ,
बचपन में मां के दुलार में पला, यौवन में मां सा प्यार मिले तो सही।।
भूल गया अब मस्

Insprational Qoute

विषय:-पत्नी ********************* सुंदर-सुशील-सर्वगुणसम्पन्न-सहनशीलता से परिपूर्ण मैं पत्नी हूँ, नदी-निर्मल-निर्झरिणी-निर्मोह-नेक दिल सम स #womenempowerment #yqdidi #नारीशक्ति #अखंड #अखंड_आर्यावर्त

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सुंदर-सुशील-सर्वगुणसम्पन्न-सहनशीलता से परिपूर्ण मैं पत्नी हूँ,
नदी-निर्मल-निर्झरिणी-निर्मोह-नेक दिल सम सम्पूर्ण मैं पत्नी हूँ,
ममतामयी-सेवामयी-निष्ठामयी-पतिव्रता-प्रेममूर्ति मैं एक पत्नी हूँ,
सहधर्मिणी-सहभागी-सहयोगी-अर्धांगिनी-परिणीता मैं पत्नी हूँ।
👇👇👇👇👇👇👇👇👇👇👇👇👇👇
🙏सम्पूर्ण रचना अनुशीर्षक में पढ़ियेगा🙏 
विषय:-पत्नी
*********************

सुंदर-सुशील-सर्वगुणसम्पन्न-सहनशीलता से परिपूर्ण मैं पत्नी हूँ,
नदी-निर्मल-निर्झरिणी-निर्मोह-नेक दिल सम स

Insprational Qoute

रचना:-3 विधा:- कविता विषय:-पत्नी ********************* सुंदर-सुशील-सर्वगुणसम्पन्न-सहनशीलता से परिपूर्ण मैं पत्नी हूँ, नदी-निर्मल-निर्झरिणी #कोराकाग़ज़ #collabwithकोराकाग़ज़ #कोराकाग़ज़महाप्रतियोगिता

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रचना:-3
विधा:- कविता

विषय:-पत्नी
*********************


सम्पूर्ण कविता अनुशीर्षक में पढ़ियेगा रचना:-3
विधा:- कविता

विषय:-पत्नी
*********************

सुंदर-सुशील-सर्वगुणसम्पन्न-सहनशीलता से परिपूर्ण मैं पत्नी हूँ,
नदी-निर्मल-निर्झरिणी

Swarima Tewari

आ जाओ कि फिर एक कप चाय और पीनी है ☕ शामें इतवार की मुझको बहुत भाती, 2 कप चाय के लेकर, बालकनी से तुम्हारा इंतज़ार करती जाती। ठीक 5 बजे सड़क #hindiquotes #yqbaba #hindipoetry #yqdidi #yqhindi #namanandini

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शामें इतवार की मुझको बहुत भाती,
2 कप चाय के लेकर, बालकनी से तुम्हारा इंतज़ार करती जाती।
ठीक 5 बजे सड़क के मोड़ से तुम हाथ हिलाते आते,
रजनीगंधा के अमोल पालेकर की याद दिलाते।
फिर बालकनी में चाय की चुस्किया लेते लेते,
सामने मैदान में खेलते बच्चो को हम घंटों निहारते,
कभी किसी कैच पर उछल के तुम ताली भी बजाते।
तुम्हारे इस बचपने पर बड़ी हंसी सी आती,
तुम्हारी ताली, मेरी हंसी हवाओं में रंग सा भर जाती।
कहने को प्रोफेसर हो, पर लगते वही मनमौजी पालेकर हो।
तुम पूरे हफ्ते के दफ्तर की कहानियां सुनाते,
मै भी अपना लिखा कुछ कुछ सुनाती रहती,
सामाजिक चर्चा,विचार विमर्श करते करते,
गर तुम्हे एक कप चाय और पीनी होती ,तो बड़े अंदाज़ में बोल देते,
सुनो!चाय बहुत अच्छी बनाती और मैं हंसकर दो कप और ले आती।
इन सब के बीच सांझ सुरमई रंग में ढलने लगती,
पता भी नहीं चलता और तुम्हारे जाने का वक़्त हो जाता,
अगले इतवार का वादा कर तुम निकल जाते,
तुम्हारी परछाई छोटा होता हुए देखती, लंबी ख़ाली सड़क से दूर तक जाते।
अरे! आज तो इतवार है,दो कप चाय बनाती हूं और बाहर आ जाती हूं।
यूं तो अब तुम नहीं आते,
पर मैं और ये बालकनी आज भी हर इतवार तुम्हारे इंतजार का वादा निभाते! आ जाओ कि फिर एक कप चाय और पीनी है ☕

शामें इतवार की मुझको बहुत भाती,
2 कप चाय के लेकर, 
बालकनी से तुम्हारा इंतज़ार करती जाती।
ठीक 5 बजे सड़क

Darshan Blon

सुप्रभात। सुबह हो चुकी है। मन को जगाइए। #कबतक #Collab #yqdidi #हास्यकविता #funnypoem #YourQuoteAndMine Collaborating with YourQuote Didi

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"और कब तक सोना है बेटा?"
कहते हुए माई जगाई मुझे,
"आधा दिन निकल चुका है अब तो"
कहते हुए वो उठाई मुझे,
आंखें मलते, जम्हाई लेते, दोनों बाहों को तानते हुए
 उठा मैं भी बिस्तर से, 
 दौड़ाया नज़र जो मोबाइल पर तो 
"दस मिस्डकॉल" आ चुका था दफ्तर से, 
देखा घड़ी तो बजा था नौ 
पर मेरा बारह बज गया , 
झटसे दंत मंज़न और स्नान करके 
फटसे दफ्तर की और निकल पड़ा l

पूरा किस्सा कैप्शन में पढ़ें.....  सुप्रभात।
सुबह हो चुकी है। मन को जगाइए। 
#कबतक #collab #yqdidi 
 #हास्यकविता #funnypoem #YourQuoteAndMine
Collaborating with YourQuote Didi

Anuj Jain

वे अंतिम शब्द प्यार, क्या मुकद्दस जज़्बा क्या रूहानी अहसास है। क्या है? ज़िन्दगी में सब श्वेत श्याम हो तो कोई समस्या ही न बचे। परन्तु ज़िन्दगी #yqbaba #yqdidi #YoSimWriMo #yostowrimo29 #anujstories #yostowrimo30 #वेअन्तिमशब्द

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वे अंतिम शब्द

In Caption.
 वे अंतिम शब्द
प्यार, क्या मुकद्दस जज़्बा क्या रूहानी अहसास है। क्या है?
ज़िन्दगी में सब श्वेत श्याम हो तो कोई समस्या ही न बचे। परन्तु ज़िन्दगी
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