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Rohit Jajoriya

वेदर

वेदर #Life

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Satay

मनकपुर

मनकपुर #शायरी

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Gopal Csc

वेद पुराण #वेद

27 Views

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BAD Politics

सीमा हेदर

सीमा हेदर #News

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Girraj Mehra

चिर वेदन

चिर वेदन #कविता

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वेदू...☺

अगर हर लम्हे में तू मेरे साथ हैं.. तो वो हर लम्हा मेरे लिए खूबसुरत है...@# वेदू#@ @#वेदू#@ #love#

@वेदू#@ love#

4 Love

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Aashiyana Stars Films Bihar Mumbai

राइटर, सिंगर, एक्टर - अशोक आशियाना, मीनापुर, मुजफ्फरपुर, बिहार

राइटर, सिंगर, एक्टर - अशोक आशियाना, मीनापुर, मुजफ्फरपुर, बिहार #Shayari

27 Views

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वेदू...☺

आपसे मिलने के लिए तो हम हमेशा ही बेताब रहते हैं... पर ये वक्त है की, हजार बहाने बनाकर हमे आपसे दूर ले जाता हैं....😢@# वेदू #@ #love# वेदू# 🤞

love# वेदू# 🤞

6 Love

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Amit Singhal "Aseemit"

मर्यादा की वेदी क्यों चढ़े हर बार एक औरत ही,
क्या मर्यादा का ध्यान रखना आदमी का काम नहीं।
औरत ही क्यों याद रखे क्या गलत क्या है सही,
समाज हमेशा चाहे जहां वह कहे औरत झुके वहीं।

©Amit Singhal "Aseemit"
  #मर्यादा #की #वेदी
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'मनु' poetry -ek-khayaal

वेद के पहले न सत्य था न असत्य, प्रथम वेद में देवता भी उन्हें माना गया जो दृश्यमान प्राकृतिक शक्ति उर्जा स्त्रोत एवम तत्व थे, प्रथम वेद स्तुति संग्रह है, 
मानव बुद्धि के विकास के साथ साथ समाज और ईश्वर की धारणा को बल दिया गया। 
'मनु' वेद

वेद #Quote

13 Love

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netrapal bharat

         " चार वेद "
1. ऋग्वेद                  
2.यजुर्वेद                 
             3.सामवेद
                4. अथर्ववेद

©netrapal bharat
  वेद

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Neeरज

वेटर मस्ती ❤️

वेटर मस्ती ❤️ #Comedy

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PRASENJIT SARKAR

ॐ भूर्भुव: स्व: तत्सवितुर्वरेण्यं भर्गो देवस्य धीमहि धियो यो न: प्रचोदयात् (यजुर्वेद:36-3)
अर्थात- उस प्राण स्वरूप,दूख नाशक, सुख स्वरूप, श्रेष्ट, तेजस्वी,देवत्व प्रदान करने वाला परमात्मा का हम ध्यान करते है. वह हमारी बुध्यि तथा ज्ञान को सदमार्ग कि ओर प्रेरित करे. वेदो की ओर लौटो

वेदो की ओर लौटो

5 Love

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लेखक ओझा

Nature Quotes व्यक्ति का व्यक्तित्व निर्धारित करता है
की दूसरो से आपका संबंध कैसा होगा!
इसलिए शब्दों की वेदी और आंखों की देखी
पर लगाम आवश्यक है।।

©लेखक ओझा
  #NatureQuotes शब्दो की वेदी

#NatureQuotes शब्दो की वेदी

144 Views

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Nitesh Kumar jha ....✓

#वेद #वेद_सत्य
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Ruchi Sharma

शक्ति है भक्ति है
जन्मों की मुक्ति है
जीवन का ये संपूर्ण सार है...

युग युग से कण कण में
सृष्टि के दर्पण में
वेदों की कथा अपार है..

धर्मो की गाथा है
देवों की भाषा है
सदियों के इतिसाह को प्रणाम है...

©Ruchi Sharma 
  वेद सार

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Satyendra satyam

वीर सपूतों ने तोड़ गुलामी की बेड़ियाँ, दिला गये हमें आज़ादी l
वो हँसते- हँसते क़ुर्बान हो गये, कुछ ऐसे थे वतनवादी ll

इस धरा पर न सही, सोच में जीवित रहेंगें l
भारत भूमि की साँसों की बन धड़कन  रहेंगें ll

धधकती थी जिनके मन में ज्वाला l
ऐसे वीरों से अंग्रेजों का पड़ा था पाला ll

उन्हें तनिक भी डर न था इसका अंज़ाम क्या होगा l
मरकर भी जिंदा रहूँ, किसी में , इससे अच्छा काम क्या होगा ll

बन विजेता, हो प्रेणता, वो बलिदानी हो गये l
लहरा तिरंगा संविधान का, हम लोकतांत्रिक हो गये ll

स्वंतन्त्रता की वेदी पर वो हँसते- हँसते झूल गये l
आज आराजकता, षड़यंत्र देख लगता है हम भूल गये ll

कर चले थे फिदा जो जान वतन साथियों l
अब मुल्क तुम्हारें हवाले है नव युवक साथियों ll

अब मुल्क तुम्हारें हवालें नवयुवक साथियों ...

©Satyendra satyam स्वतंत्रता की वेदी..

#Independence2021

स्वतंत्रता की वेदी.. #Independence2021 #कविता

11 Love

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Vijay Kumar उपनाम-"साखी"

स्वतंत्रता की वेदी पर शीश नवाने आये है
हम देशप्रेम में सबकुछ ही लुटाने आये है
अपने लहूं से धोएंगे,हम तो मां तेरे चरण
हम खून का कतरा-कतरा तुझे देने आये है

भारत कोई देश नही है,यह हमारी मां है
माँ के लिये सर्व न्योछावर करने आये है
स्वतंत्रता की वेदी पर शीश नवाने आये है
भारत माँ के लिये हद से गुजरने आये है

कोई भी हमे रोके ना,कोई हमे टोके ना,
हिंद के लिये जींद समर्पित करने आये है
यह भारत की माटी,सुख-दुख की साथी
इस माटी को अपना रब बनाने आये है

बुरी नजर से देखे क्या सोचकर भी देखे
शत्रु घर मे सर्जिकल स्ट्राइक करने आये है
हम फौजी सरहद से शत्रु मिटाने आये है
स्वतंत्रता की वेदी पर शीश नवाने आये है

देश मे आजकल नफरतों का जोर है,
सब नेता लगते जनता को बस चोर है,
इस माहौल में सही नेता ढूंढने आये है 
सही वोट से,सही सरकार चुनने आये है

हर शख्स मौलिक कर्तव्य से अनजान है
हम शिक्षक तम संस्कार मिटाने आये है
स्वतंत्रता की वेदी पर शीश नवाने आये है
बन वैज्ञानिक,देश विकसित करने आये है

यह कोरोना महामारी,क्या जिंदगी हमारी
चिकित्सक बनकर कोरोना हराने आये है
वेक्सीनेशन द्वारा कोरोना मिटाने आये है
हम सब देश को हिम भाल करने आये है

हम किसान है,उफरते भारत की शान है
देश आत्मनिर्भर करने का इरादे ले आये है
हम किसान देश का गौरव बनने आये है
हिंद को जन्नत की दुल्हन बनाने आये है

हर कौम में,हिन्द है,सबके रोम-रोम में,
हर सब हिन्द को एवरेस्ट बनाने आये है
स्वतंत्रता की वेदी पर शीश नवाने आये है
भारत को हम सर्वोच्च भारत करने आये है

©Vijay Kumar उपनाम-"साखी" स्वतंत्रता की वेदी

#RepublicDay

स्वतंत्रता की वेदी #RepublicDay #कविता

6 Love

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वेदों की दिशा

।। ओ३म् ।।

कः स्वि॑देका॒की चर॑ति॒ कऽउ॑ स्विज्जायते॒ पुनः॑।
 किस्वि॑द्धि॒मस्य॑ भेष॒जं किम्वा॒वप॑नं म॒हत्॥

पद पाठ
कः। स्वि॒त्। ए॒का॒की। च॒र॒ति॒। कः। ऊँ॒ऽइत्यूँ॑। स्वि॒त्। जा॒य॒ते॒। पुन॒रिति॒ पुनः॑। किम्। स्वित्। हि॒मस्य॑। भे॒ष॒जम्। किम्। ऊँ॒ऽइत्यूँ॑। आ॒वप॑न॒मित्या॒ऽवप॑नम्। म॒हत्॥

हे विद्वानो ! हम लोग तुम को पूछते हैं कि (कः स्वित्) कौन (एकाकी) एकाएकी अकेला (चरति) विचरता है? (उ) और (कः, स्वित्) कौन (पुनः) बार-बार (जायते) प्रगट होता है? (किम्, स्वित्) क्या (हिमस्य) शीत का (भेषजम्) औषध और (किम्) क्या (उ) तो (महत्) बड़ा (आवपनम्) बीज बोने का स्थान है? ॥

Hey scholars!  We ask you (who: self) who is (lonely) lonely (charati) wandering?  (A) and (A: self), who (again) appears again and again (jayate)?  (Kim, Svitta) Is (Himsya) Cold (Bheshajam) Drug and (Kim) Is (U) So (great) big (Aappanam) is the place of sowing seeds? 

( यजुर्वेद २३.९ ) #यजुर्वेद #वेद
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manoj kumar jha"Manu"

"यत्पुरुषेण हविषा देवा यज्ञमतन्वते।
वसन्तोSस्यासीदाज्यं ग्रीष्मSइध्म: शरद्धवि: ..."।।

देवताओं ने उस (विराट) पुरुष के शरीर में ही हविष्य की भावना करके यज्ञ सम्पन्न किया। इस यज्ञ में वसन्त ऋतु घृत, ग्रीष्म ऋतु इन्धन और शरद ऋतु हविष्य हुए अर्थात देवताओं ने इनमें यह भावना की।
(इस मंत्र में सृष्टि रूप यज्ञ का वर्णन)।
पुरुषसूक्त वेद पढ़ो

वेद पढ़ो

0 Love

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Mrunali Mandlik

महापुर 

रक्ताचे पाणी करून उभा केलेला संसार,
एकाच क्षणात उध्वस्त झाला. 
ध्यानी मनी नसताना, 
भयंकर महापुर आला. 
गाई - गुरे सर्व काही, 
पाऊस स्वतःसोबत घेऊन गेला. 
कर्ज घेऊन वाढवलेल्या पिकाची,
नासाडी करुन गेला.
साचलेल्या पाण्यामुळे रोगराईने,
 हाहाकार केला.
व त्यातच हा महापुर अनेकांचे, 
जीवन संपवुन गेला.
 आणि हा महापुर जाता जाता 
 राजकारणी लोकांना भांडायला,
 एक विषय देऊन गेला.

©Mrunalini Mandlik महापुर 
कोल्हापूर जिल्ह्यात मागिल वर्षी आलेल्या महापुरावर आधारित ही कविता.

महापुर कोल्हापूर जिल्ह्यात मागिल वर्षी आलेल्या महापुरावर आधारित ही कविता.

11 Love

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वेदू...☺

मजा तो बेफिक्र होकर जिने में हैं.....गालिब, फिक्र से तो ..ये कमबख्त दुनिया भी जीती है...@# वेदू #@ # new thoughts#वेदू☺️

# new thoughtsवेदू☺️

5 Love

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GK Hindi

वेदो की ओर लोटों

वेदो की ओर लोटों #जानकारी

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VED

जरा सम्हल कर किया करो दुसरों के सामने मेरी बुराइ, तूम जिससे बुराइ करते हो न वो अपने होते है ,आकर मुझे सब बता देते है। # वेद किंग

# वेद किंग

1 Love

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वेदों की दिशा

।। ओ३म् ।।

यो रे॒वान् योऽअ॑मीव॒हा व॑सु॒वित् पु॑ष्टि॒वर्द्ध॑नः।
 स नः॑ सिषक्तु॒ यस्तु॒रः ॥

पद पाठ
यः। रे॒वान्। यः। अ॒मी॒व॒हेत्य॑मीऽव॒हा। व॒सु॒विदिति॑ वसु॒ऽवित्। पु॒ष्टि॒वर्द्ध॑न॒ इति॑ पुष्टि॒ऽवर्द्ध॑नः। सः। नः॒। सि॒ष॒क्त्विति सिषक्तुः। यः। तु॒रः ॥


(यः) जो वेदशास्त्र का पालन करने (रेवान्) विद्या आदि अनन्त धनवान् (अमीवहा) अविद्या आदि रोगों को दूर करने वा कराने (वसुवित्) सब वस्तुओं को यथावत् जानने (पुष्टिवर्द्धनः) पुष्टि अर्थात् शरीर वा आत्मा के बल को बढ़ाने और (तुरः) अच्छे कामों में जल्दी प्रवेश करने वा करानेवाला जगदीश्वर है (सः) वह (नः) हम लोगों को उत्तम-उत्तम कर्म वा गुणों के साथ (सिषक्तु) संयुक्त करे ॥

(Yah) Those who follow Vedasastra (Revanism), etc. Eternal wealth (Amivah), Avidya etc. To get rid of diseases and get (Vasuvit) to know all things accurately (Confirmation): Confirmation means to increase the strength of body or soul and  Jagadishwar is the one who enters early in good deeds (s) He (nah) combines us with good works and virtues (sishktu)

( यजुर्वेद .३.२९ ) #वेद #मंत्र
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Jitendrasing

वेद विठ्ठलराव

वेद विठ्ठलराव #Knowledge

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शशि भारद्वाज

मत फिर धकेलो उसे,
उसी रक्त की बेदी पर,
    जहाँ से लौट कर आया है वह।
बहुतों कुरवानी के बाद,
उँगलीमाल से बाल्मीकि वन पाया है वह।।
      मत धकेलो उसे उसी रक्त की बेदी पर।। जहाँ से,,,,,
खुद से खुद को सँजो कर,
एक नई इमारत बन पाया है वह, 
अब मत तोड़ो इन इमारतों को जो 
अंदर ही अंदर जल कर बनाया है वह।
    मत धकेलो उसे उसी रक्त की बेदी पर।।
चंद द्वेष के बास्ते,
क्यों मोर रहे हो किसी के रास्ते,
बहुत कुछ से मुँह मोर कर ,
 रास्ता बदल पाया है वह।।
   मत धकेलो उससे उसी रक्त की बेदी पर।। जहां से लौट कर,,,,,
शशि देख समय के खेलों को,
इस सामाजिक मेलो को,
सत्य को जानते हुए भी,
मुँह चुरा रहे है सब,
   मत धकेलो उसे उसी रक्त की बेदी पर।।
यदि फिर रक्त की बेदी पर वह जाता है,
  यदि बाल्मीकि फिर उँगली माल बन जाता है,
   तो विध्वस बड़ा आ जाएगा,
   फिर बही प्रलय छा जाएगा,
   हम सबों को दोषी कहा जायेगा,
 फिर कोई उँगलीमाल बाल्मीकि बनने की हिम्मत न जुटा पाएगा,
  अब भी वक्त है,
रोक लो उसे ,
मत जाने दो उसे  फिर उसी रक्त की बेदी पर,
जहाँ से लौट कर आया है वो।। मत धकेलो रक्त वेदी पर

मत धकेलो रक्त वेदी पर

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