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Sarvesh Kumar Maurya
Sarvesh ji maurya
Hari Mohan
नास्ति मातृसमा छाया नास्ति मातृसमा गतिः। नास्ति मातृसमं त्राणं नास्ति मातृसमा प्रपा॥ माता के समान कोई छाया नहीं, कोई आश्रय नहीं, कोई सुरक्षा नहीं। माता के समान इस दुनीया में कोई जीवनदाता नहीं॥ There is no shade like mother, no resort like a mother, no security like a mother, no other ever-giving fountain of life! Source: Skanda Purana Mo. Ch. 6.103-104 This mother’s day let us make her feel special, read out this shloka from Skanda Purana to her. नास्ति मातृसमा छाया नास्ति मातृसमा गतिः। ना
Jyotish Jha
माँ से शुरू माँ से ही अंत हो, मेरी जिंदिगी का हरएक पल माँ तेरे ही संग हो| #drjyotishwrites #bestmom मैं अब से कई वर्षों से उससे दूर हूं, लेकिन हर पल, हर तकलीफ में, हर अच्छे वक़्त में उसकी स्मरण करता हूँ, और मैं जब
krishna devi manas kinkri
"नास्ति कामसमो व्याधि" अर्थात- काम(इच्छाओं)के समान कोई रोग नहीं | © krishna devi manas kinkri नास्ति कामसमो व्याधि. #seashore
Nisha Yadav
इतनी खामोशी कि ससाँसे भी सुनाई देती है दोस्त है मगर सिर्फ परछाई दिखाई देती है। ©Nisha Yadav #छाया
Vinit
समझ नहीं आ रहा इस कड़ी धूप में किसका छाया है मुझ पर। अरे हाँ साथ में तो तु है मतलब तेरी जुल्फों का साया है मुझ पर।। #छाया
motivational writter Surendra kumar bharti
साये से भी डरते हैं हम बड़ी मुश्किल से रात कटती है । नही निकलता बाहर कभी काली अंधेरी रातों में क्योंकी यहाँ अपनी परछाईं भी अंधेरे से उजाले में आने पर चुपके से वार करती है । ©Surendra kumar bharti छाया
राहुल अग्निहोत्री
एको अहं, द्वितीयो नास्ति, न भूतो न भविष्यति! यह सब मेरी माया है सब मेरी ही छाया है तुम जिधर भी देखोगे वह मेरी ही जाया है। क्या धरा क्या गगन सब पाताल में है मेरा अंश यह चहुँ दिशा भी मेरी है हर पहर चलता मेरे संग। मैं शिवशंकर वरदानी हूँ ब्रम्हा का अभिमानी हूँ दस दस शीश हुए है मेरे मैं परिवार का उद्दारी हूँ। मैं सूपनखा का जेष्ठ हूँ मैं इंद्रजीत का पिता हूँ दैत्यों का भरण करने वाला मैंने ही शिव तांडव रचयिता हूँ। मैं वेद पुराणों का हूँ ज्ञाता मैं राम को रण में ललकारता सारी दुनियाँ ने मुझे जाना है मैं लंकापति रावण कहलाता। एको अहं, द्वितीयो नास्ति, न भूतो न भविष्यति! #दशानन #रावण