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DR. SANJU TRIPATHI

#साहित्यिक सहायक

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तेरे प्यार को जीने का सहारा बनाया है हमने,
और तूने ही अपने दिल से निकाला है हमें।
जानता है तू हमारी चाहत की शिद्दत को,
इसीलिए तो हरपल आजमाता रहता है हमें। #साहित्यिक सहायक

DR. SANJU TRIPATHI

मंजिल

अनजान थे तुम भी हमसे, अनजान थे हम भी तुमसे।
चल रहे थे हम दोनों, अनजान सी ही एक डगर पर।

मंजिल का न पाता था, ना दिखता था कोई किनारा।
जो मिल गए तुम तो राह- ए -मुश्किल आसान हो गई।

जब एक ही थी हमारी मंजिल तो चलते न साथ कैसे?
मिलना लिखा था खुदा ने हमारा तो हम कैसे ना मिलते?

अब जो मिल गए हैं तो संग ही चलेंगे संग में ही रहेंगे।
राहों की हर मुश्किल को हम संग रहकर ही दूर करेंगे।

अपने प्यार की राहों पर चलकर अपनी मंजिल को पाएंगे।
अपनी मंजिल को पा कर हम उसे बहुत खूबसूरत बनाएंगे।

प्यार से रहेंगे वहां और एक सुंदर सा आशियाना बनाएंगे।
प्यार की राहों पर खुद ही चलेंगे वह दूसरों को भी सिखाएंगे।

-"Ek Soch"


 #मंजिल
#साहित्यिक सहायक

Insprational Qoute

मंजिल
*****
साहस क्या हैं ???आज तुम्हें हम बताते हैं,
इसके प्रत्यक्षदर्शियों से रूबरू तुम्हें कराते हैं,
सूक्ष्म बीज के साहस को सलाम,
चीर धरा का सीना तपता हैं ,
तूफ़ान झंझावत की मार भी सहता हैं,
बन एक हरा भरा द्रुम सब को दे छाँव ,
नायाब साहस का पैगाम भी देता हैं,

एक छोटी चींटी लेती हैं दाना उठा बार बार,
गिरती हैं सम्भालती हैं कई बार,
पर वह आत्मविश्वास से नही मानती हैं वो हार,
जोड़ जोड़ वह दाना लगाती हैं अंबार,
उसके इस नन्हें से साहस को सच मे नमस्कार,

ऊसर भूमि में भी कई कमलरूपी कुटज लहलाते हैं,
भीषण गर्मी में भी वो जाबाज लू भरी हवा से बाते करते हैं,
पर कभी अपना धैर्य और मनोबल नही खोते हैं,
साहस को अपना बरक़रार रखते है,

एक छोटी सी चिड़िया अपनी नन्हीं सी चोंच से 
चुग चुग दाना ओर तिनका लाती हैं उन्मुक्त गगन से
फिर भर भर चोंच से अपने चूजों को खिलाती हैं,
जब इतनी नन्ही सी जान इतना जज्बा ओर साहस दिखाती हैं,
तो आप अपने लक्ष्य को पाने से क्यो घबराते हैं,

तो दोस्त हौसला करो बुलन्द ,साहस में अपनी भरो एक नई  उमंग ,
उड़ने दे तू अपनी उम्मीद की पतंग,मिल जाएगी तुझें मंजिल-ए-जंग। #साहस #साहित्यिक सहायक

डॉ. गोविन्द 'गजब'

काव्य मानस ज्ञान साहित्यिक #कहानी

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