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Deepak Kurai
गौतम बुद्ध यह एक श्रमण थे जिनकी शिक्षाओं पर बौद्ध धर्म का प्रचलन हुआ। इनका जन्म लुंबिनी में 563 ईसा पूर्व इक्ष्वाकु वंशीय क्षत्रिय शाक्य कुल के राजा शुद्धोधन के घर में हुआ था। उनकी माँ का नाम महामाया था जो कोलीय वंश से थीं, जिनका इनके जन्म के सात दिन बाद निधन हुआ, उनका पालन महारानी की छोटी सगी बहन महाप्रजापती गौतमी ने किया। 29 वर्ष की आयुु में सिद्धार्थ विवाहोपरांत एक मात्र प्रथम नवजात शिशु राहुल और धर्मपत्नी यशोधरा को त्यागकर संसार को जरा, मरण, दुखों से मुक्ति दिलाने के मार्ग एवं सत्य दिव्य ज्ञान की खोज में रात्रि में राजपाठ का मोह त्यागकर वन की ओर चले गए । वर्षों की कठोर साधना के पश्चात बोध गया (बिहार) में बोधि वृक्ष के नीचे उन्हें ज्ञान की प्राप्ति हुई और वे सिद्धार्थ गौतम से भगवान बुद्ध बन गए। कई ग्रंथों में यह मान्यता है कि वैशाख पूर्णिमा के दिन ही भगवान बुद्ध का जन्म हुआ था, इसलिए इसे बुद्ध पूर्णिमा के रूप में भी मनाया जाता है. ©Deepak Kurai #BuddhaPurnima2021 गौतम बुद्ध की जीवनी #जीवन
विवेक कुमार मौर्या (अज्ञात )
तुम किसी और की बांहों मे होके तुम्हे अपना बनाने का ख़्वाब ना देखूँ जलें तेरी अगर ये नियत मै तुझकों अपने पास ना देखूँ। ©विवेक कुमार मौर्या (अज्ञात ) तू किसी और की बांहों मे होके......
Sanjiv Juiya
छोड़ शहर के रास्ते मैं गांव की पगडंडियों पे चल पड़ा , करके उसके इश्क से बगावत मैं अपनी राह पे चल पड़ा। ©Sanjiv Juiya गांवों की ओर #sunrays
Vivek
सुबह की बांहों में देखो शाम आ गई है एक बादल पर हवा अपना रंग चढ़ा गई है खामोशियों ने जबसे एक गीत गा दिया है उदासी हर तरफ ही मुस्करा रही है...!!! ©Vivek #सुबह की बाँहों में
Ayush kumar gautam
बांहों में भरने की बात न करो मालूम है हमें तुमने पहलू में खंजर छिपा रखा है पहलू में-बगल में शायर आयुष कुमार गौतम बांहों में भरने की बात न करो
Damodar prasad Raj
तुम्हारी बांहों में जो सुकून मिलालता हैं वो सुकून कहीं और नहीं रहना है तुम्हारी बांहों में नहीं तो फिर जीना नहीं ©Damodar prasad Raj जीना है मुझे आप की बांहों में
RAJU THAPA (RAJ MASTANA)
#OpenPoetry तू गैरो की बाँहों में थी कुछ इस अंदाज में मैं अपने हाथों में गूदे हुए तेरे नाम को देखता रह गया । #तू गैरो की बाँहों में-