Poem -
जिंदगी की रेलगाड़ी , पटरियों पर चलती कम है l #कविता
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MANJEET SINGH THAKRAL
कोई सड़क पर मर रहा, कोई रेल की पटरियों पर, कोई भूख से, कोई बीमारी से। हमारे देखते-देखते एक बहुत बड़ी मेहनतकश आबादी भिखारियों में बदल दी गई। #nojotophoto#Life_experience
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✍ अमितेश निषाद
कौन जाए किस डगर हर तरफ खौफनाक मंजर है
दूर तलक है बस्ती मगर हर तरफ बंजर ही बंजर है
चीखती रातें रोते हुए दिन
पग पग चल के चल राह गिन
सड़के उदास