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Mihir Choudhary
तुमने तो हँस के पूछा था बोलो न कितना प्रेम है बोलो कैसे मैं बतलाता बोलो ना कैसे समझता जब अहसास समंदर होता है तो शब्द नही फिर मिलते हैं उन बेहिसाब से चाहत को कैसे कैसे मैं बतलाता बोलो न कैसे दिखलाता बोलो न कैसे समझता तब भी हिसाब का कच्चा था अब भी हिसाब का कच्चा हूँ जो था वो ना मेरे बस का था अब तो जो हालात हुए उनसे तो मैं अब बेबस हूं अब अंदर -अंदर सब जलता है लावा जैसा सा कुछ पलता है धीमे धीमे कुछ रिसता है कुछ टूट-टूट के पीसता है नस-नस मैं जैसे कुछ खौलता है धड़कन बिजली सा दौड़ता है अब बेहिसाब ये यादे है बस बेहिसाब ये चाहत है बोलो क्या वो प्रेम ही था बोलो न क्या ये प्रेम ही है मिहिर... बिरहा
Anuj Ray
" बिरहा की रातें" न धुंआ न कहीं ,आग जला करती है, बिरहा की रातें यूं ही ,खामोश जला करती हैं जलता है बदन आग की लपटों में,दो बूंद की उम्मीद लिये, बेबसी हाथ मला करती है। फागुन का महीना हो, या घनी सावनी रातें, पिया मिलन की आस में, यूं ही ख़ला करती हैं। ©Anuj Ray #बिरहा की रातें
Aditya Kumar Bharti
ज़रूरी है अजी चांद पर कदम रखने वालों की कैसी ये लाचारी है? देख लिजिए यहां एक मामूली से शै ने आधी धरती मारी है।। करोना, तुम फिर मत होना। ©Aditya Kumar Bharti #लाचारी
डॉ मनोज सिंह,बोकारो स्टील सिटी,झारखंड। (कवि,संपादक,अंकशास्त्री,हस्तरेखा विशेषज्ञ 7004349313)
आंखें, रोने नहीं देती। सपने, सोने नहीं देते। कोई तो आ जाए, ख़ुद को हंसा लूं। कोई तो भा जाए, खुदी में गा लूं। क्यूं नींद हराम है? आंसू भी गुलाम है। अब तो हर सोच भी भारी है। जीने की ये कैसी लाचारी है? ©डॉ मनोज सिंह,बोकारो स्टील सिटी,झारखंड। (कवि,संपादक,अंकशास्त्री,हस्तरेखा विशेषज्ञ 7004349313) @लाचारी
Laxman Sarraf
मेरी उम्र गुजर गई मजदूरी करते करते सोच मेरी सन्तान वक़्त बदल देंगी सन्तान तो मोबाइल में खो गई फिर वही होगा जो मेरे साथ हुआ ,,,,,, ©Laxman Sarraf #लाचारी
सतीश तिवारी 'सरस'
अतिथि शिक्षकों की लाचारी,कुइ नैं समझ रऔ जिन पै टिकीं शाला सरकारी,कुइ नैं समझ रऔ। नये पंजीयन करवा लय जो बइ के मारै, मची हुई है मारामारी,कुइ नैं समझ रऔ। पोर्टल तौ पद रिक्त बता रऔ,किन्तु प्रिंसिपल- सुनैं नैं भैया एक हमारी,कुइ नैं समझ रऔ। लिखें हींग कौ हग जो भैया बने वो नियमित, पढ़े-लिखे खौं है बेकारी,कुइ नैं समझ रऔ। 'सरस' दिखें यूँ तो ख़ुश लेकिन हमहिं समझ रय, सीने में छिद रइ है कटारी,कुइ नैं समझ रऔ ©सतीश तिवारी 'सरस' #लाचारी
Manmohan Dheer
दौलत ज़िंदगी के लिए दुनिया की लाचारी है शराब तो आजमा ली अब ख़ुदा की बारी है . नशा भी कम नही किसी का लाचारी