कदमो की चुभन चलने नही देती।।
जख्मों से पाई निजात,रोने नही देती।।
उम्र में छोटे थे,बड़ी थी जिम्मेवारियां
कँधों पर आई जिम्मेवारी,अब सोने नही दे
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कवि प्रेमसागर
मानव,मानव होने का हक खो दिया।।
दुःख, पीड़ा और संघर्ष से आत्मा भी रो दिया।।
झुलस चुकी है आशाएं अब,याद रहे
मानवता की आड़ में,ये कैसा जहर बो दिया
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कवि प्रेमसागर
अब कितना खोयेंगे, इस जिमेवारी के लिए।।
आँख जल रही हैं, ज़िंदगी जलाने के लिए।।
खो चुके हैं, दोस्तो की महफ़िल और अपनों का प्यार
काश कोई कासा मिल #कविता#fourlinepoetry
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कवि प्रेमसागर
मरना तो हमे भी हैं,एक दिन मर जायेंगे।।
इतने आसानी से थोड़े न जायेंगे।।
मौत आयेगी तो करेंगे,दो-दो हाथ,
जीत गये तो जीत गये,नही तो हार जायेंगे।। #शायरी#pyaarimaa
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कवि प्रेमसागर
#inspirational
बेवजह क्यों लड़ जाते है हम।।
रिश्तों की अहमियत भूल जाते है हम।।
तक्सीरे होती है आपसी रंजिसो की
समझ आये तक्सीरे,तब तक बदल जाते #kavipremsagar