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Upendraraj Devadhe
रूम बदलताना.... हे गाव ती खोली सारी उचलसाचल आहे. जुनी नाती तोडून नवीन जोडणे आहे नोकरदाराचा संसार,हिंदोळता आहे जणु विंचवाचे बि-हाड पाठीवर आहे. सप्तरंगी रूम बदलताना
Savita Nimesh
मैं कॉलेज हॉस्टल में न्यू आई थी वहां पता लगा मेरा रूम नम्बर 13 है । वहा खड़े कुछ स्टूडेंट के चेहरे का रंग उड़ गया था वो आखों ही आखों में ना जाने क्या बात कर रहे थे, खैर मैंने अपना सामान उठाया और अपने रूम की तरफ जाने लगी सभी मुझको बहुत अजीब सी नज़रों से देख रहे थे। मैं अपने रूम में आई और अपना सामान लगाने लगी। क्लास शुरू होने ही वाली थी मैने जल्दी से काम खत्म किया और क्लास में पहुंच गई। मैडम ने मेरा परिचय पूरी क्लास से कराया और सबने अपना परिचय मुझसे कराया, मुझे बहुत अच्छा लगा। लेकिन क्लास खत्म होने के बाद मैंने सबसे अपना पेंडिंग वर्क मांगा तो सबने को न कोई बहाना बना के मना कर दिया। तब मैं निराश सी होकर एक एकांत कोने में जा बैठी । तभी एक लड़की मेरे पास आई और बोली तुम क्लास में काम मांग रही थी ना, ये लो मेरा वर्क काम होने के बाद वापस कर देना। मेरे चेहरे पर एक तरफ खुशी थी तो दूसरी तरफ एक सवाल था कि ये लड़की क्लास में तो थी नहीं फिर इसको ये सब कैसे पता, पर खैर मुझे क्या मुझे तो वर्क मिल गया था मैं जैसे ही उसका नाम पूछने के लिए मुड़ी वो वहां नहीं थी। मै जब शाम को अपने रूम में पहुंची और पेंडिंग वर्क कंप्लीट करने में लग गई, 12 बज गए मेरा वर्क होने में, अचानक आंधी चलने लगी मेरे रूम की खिड़की बहुत तेज तेज बजने लगी। आसमान में बिजली कड़कने और बादल गरजने की आवाज से में सिहर गई , ऊपर से लाइट भी चली गई। मैंने मोबाइल टॉर्च जला के मोमबत्ती ढूंढ के जलाई , तभी मेरा डोर किसी ने बजाया ठक्क ठक्क ठक्क ठक्क्क मैं मोमबत्ती हाथ में लिए दरवाज़ा खोलने लगी दरवाजा अपने आप झटके से खुल गया और हवा के झोंके से मोमबत्ती बुझ गई मुझे कुछ भी साफ साफ नहीं दिख रहा था बस एक लड़की की परछाई दिखी मैने पूछा कौन हो इतनी रात गए क्या काम है मुझसे, अचानक मेरे पीछे की खिड़की फिर हवा से बजने लगी मैं खिड़की की तरफ बढ़ी तो लाईट भी आ गई, मैने जैसे ही पीछे मुड़कर दरवाज़े की तरफ देखा तो वहा कोई नही था। अगले दिन सुबह मैंने अपने आस पास के सभी रूम की लड़कियों से पूछा की क्या कल तुम मेरे रूम पर आई थी पर सभी ने मना कर दिया,खैर फिर मैं इस बात को भूल गई और अपने में व्यस्त हो गई। मैं वो सभी नोट्स वापस करने के लिए उस लड़की का इंतजार किया पर वो शायद आज आई ही नहीं थी। तभी मैंने कुछ लड़कियों को आपस में बाते करते सुना की कल फिर से रूम नम्बर 13 की सुधा फिर से होस्टल में घूमती हुई कुछ लोगो ने देखी, ये सब सुनते ही मुझे सब समझ आ गया और मैं वही बेहोश हो गई। ©Savita Nimesh होस्टल का रूम नंबर 13
Savita Nimesh
मैं कॉलेज हॉस्टल में न्यू आई थी वहां पता लगा मेरा रूम नम्बर 13 है । वहा खड़े कुछ स्टूडेंट के चेहरे का रंग उड़ गया था वो आखों ही आखों में ना जाने क्या बात कर रहे थे, खैर मैंने अपना सामान उठाया और अपने रूम की तरफ जाने लगी सभी मुझको बहुत अजीब सी नज़रों से देख रहे थे। मैं अपने रूम में आई और अपना सामान लगाने लगी। क्लास शुरू होने ही वाली थी मैने जल्दी से काम खत्म किया और क्लास में पहुंच गई। मैडम ने मेरा परिचय पूरी क्लास से कराया और सबने अपना परिचय मुझसे कराया, मुझे बहुत अच्छा लगा। लेकिन क्लास खत्म होने के बाद मैंने सबसे अपना पेंडिंग वर्क मांगा तो सबने को न कोई बहाना बना के मना कर दिया। तब मैं निराश सी होकर एक एकांत कोने में जा बैठी । तभी एक लड़की मेरे पास आई और बोली तुम क्लास में काम मांग रही थी ना, ये लो मेरा वर्क काम होने के बाद वापस कर देना। मेरे चेहरे पर एक तरफ खुशी थी तो दूसरी तरफ एक सवाल था कि ये लड़की क्लास में तो थी नहीं फिर इसको ये सब कैसे पता, पर खैर मुझे क्या मुझे तो वर्क मिल गया था मैं जैसे ही उसका नाम पूछने के लिए मुड़ी वो वहां नहीं थी। मै जब शाम को अपने रूम में पहुंची और पेंडिंग वर्क कंप्लीट करने में लग गई, 12 बज गए मेरा वर्क होने में, अचानक आंधी चलने लगी मेरे रूम की खिड़की बहुत तेज तेज बजने लगी। आसमान में बिजली कड़कने और बादल गरजने की आवाज से में सिहर गई , ऊपर से लाइट भी चली गई। मैंने मोबाइल टॉर्च जला के मोमबत्ती ढूंढ के जलाई , तभी मेरा डोर किसी ने बजाया ठक्क ठक्क ठक्क ठक्क्क मैं मोमबत्ती हाथ में लिए दरवाज़ा खोलने लगी दरवाजा अपने आप झटके से खुल गया और हवा के झोंके से मोमबत्ती बुझ गई मुझे कुछ भी साफ साफ नहीं दिख रहा था बस एक लड़की की परछाई दिखी मैने पूछा कौन हो इतनी रात गए क्या काम है मुझसे, अचानक मेरे पीछे की खिड़की फिर हवा से बजने लगी मैं खिड़की की तरफ बढ़ी तो लाईट भी आ गई, मैने जैसे ही पीछे मुड़कर दरवाज़े की तरफ देखा तो वहा कोई नही था। अगले दिन सुबह मैंने अपने आस पास के सभी रूम की लड़कियों से पूछा की क्या कल तुम मेरे रूम पर आई थी पर सभी ने मना कर दिया,खैर फिर मैं इस बात को भूल गई और अपने में व्यस्त हो गई। मैं वो सभी नोट्स वापस करने के लिए उस लड़की का इंतजार किया पर वो शायद आज आई ही नहीं थी। तभी मैंने कुछ लड़कियों को आपस में बाते करते सुना की कल फिर से रूम नम्बर 13 की सुधा फिर से होस्टल में घूमती हुई कुछ लोगो ने देखी, ये सब सुनते ही मुझे सब समझ आ गया और मैं वही बेहोश हो गई। ©Savita Nimesh होस्टल का रूम नंबर 13
Mr. Kumar
बची हो अगर कोई और तोहमत, लाईए उसे भी मेरे ही सर रख दो तुम आज भी रोते हुए पसंद नहीं मुझे अपने सब इल्ज़ाम मेरे सर रख दो कुमार और यूं तो कुछ बचा नहीं मेरे पास, उसके बिछड़ जाने के बाद तुम कुछ यूं करो के उसकी यादों को मेरे हुजरे से कहीं बाहर रख दो (मि. कुमार) तोहमत - इल्ज़ाम हुजरा - जैसे कमरा (रूम)
Vikas
रोटी कमाने के लिए निकला रोटी पकाना सीख गया है मां के हाथों के स्वाद को तरसते है....जिसे कभी ठंडा खाना पसंद ना था, आज सब्जी भी आधी पकी ... रोटी बे स्वादी भी खाना सीख गया है। 😊 कभी कभी जज़्बाती हो जाता है ....कभी कभी गरम तवे पर हाथ भी जल जाता है पर काफी सुधर गया है मां तेरा विकास बड़ी बड़ी खवाईसो के सामने खुद को समझाना भी सीख लिया है। 🤞 उठ जाता है अलार्म बजने से पहले ही...पहले की तरह नींद पकलों पर नहीं छाई रहती अब सर्दी में कपड़े धोते वक़्त थोड़ी ठंडी तो लगती है मां पर तेरे बेटे ने गरम चाय की चुस्कियां भी बनाना सीख लिया है .... ☕☕☕ #रूम_लाइफ #स्ट्रगल_लाइफ ©Vikash shyoran #रूम Mandeep Neha Nautiyal Priyanka Yadav Vikas Kumar nensi gangele