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KK Mishra

आज तक #nojotophoto

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 आज तक

KK Mishra

आज तक #nojotophoto

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 आज तक

नीसा

आज तक #फ़िल्म

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Abhishek Verma

आज तक #Nature #शायरी

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आज मेरी जीवन मे मुझे  कुछ प्रर्वतन

©Abhishek Verma आज तक 
#Nature

Vijay Kumar उपनाम-"साखी"

आज तक जिंदा

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उस मावे की मिठास आज तक जेहन में जिंदा है,पापा घर लाये थे
उन सिक्कों की खनक आज तक जिंदा है,जिनसे ढेरों चीजे लाये थे

दर्द तो इस जिंदगी ने हमे हजार दिये,पर कुछ दर्द,आजतक शर्मिंदा है,
जिसे हम पापा की मार से कोई न कोई एक नया सबक सीख आये थे

अब यूँ तो हम लाखों रुपये कमा भी रहे है और उड़ा भी रहे है,साखी,
वो चवन्नी,अठन्नी आज तक जिंदा है,जिससे दुनिया खरीद लाये थे

बना लिया गया,हमने भी आज खुद का बंगला-कोठी,गाड़ी-वाड़ी
वो पुराना घर आज तक जिंदा,जिसमे हम अल्हड़ यादे छोड़ आये थे

वो बचपन के दिन आज तक जिंदा है,जिसमे मित्र ही थे हमारे धन,
वो रेत के खेल,आज तक जिंदा है,जिसमें खुद के घर,गाड़ियां छोड़ आये थे

हम कभी मुफलिसी में भी अमीर थे,आज अमीरी में बहुत गरीब है,
वो पुराने चित्र आज तक जिंदा है,जिसमे अपनी चीजे मित्रो को दे आये थे

न ऊंच-नीच का भेद,न धर्म-जाति का भेद,खेल में सबके सब थे एक,
वो मैदान,आज तक जिंदा है,जिसमे जांति-पांति,साम्प्रदायिकता छोड़ आये थे

वो मां का प्यार,पिता की डांट,हमारे गुरु की फटकार आज तक जिंदा है,
जिससे हम अपना आज का ये सुनहरा ,उज्ज्वल भविष्य बनाकर आये थे

पर अब न रहा वो साफ-सुथरापन जिंदा है,जिसमे हम बचपन मे छोड़ आये है
अब रह गया है,बस दिखावा ही दिखावा जो आज हम सब वर्तमान में पाये है

फिर स्वर्ग होगा जिंदा,यदि होंगे शर्मिंदा लाएंगे वो बचपना जिसे छोड़ आये है
फिर से दुनिया बनेगी हमारी जन्नत,यदि हम दिखावे को छोड़ सच्चाई लाये है

दिखावे में कुछ नही धरा है,साखी,वही मरने के बाद भी जिंदा रहता है,  
जिसे हम खुद ही जिंदा दफ़न कर के आये है

साफ नियत,साफ मन के रहो ऐसे ही लोग सदा इतिहास बनाकर आये है

दिल से विजय आज तक जिंदा

M.K.शायरी

#आज तक #Hopeless

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जो रो रहा है, शब से सहर अश्कों मैं कर रहा है,
उसने भी दरियाँ ही भरा है आज तक'
दो तरफ़ा प्यार किसी-किसी को ही मिला है,
वैसे सभी को इक-तरफ़ा प्यार ही मिला है आज तक..!
M.Kशायरी✍💓

©M.K.शायरी #आज तक

#Hopeless

Marutishankar Udasi

#KhoyaMan आज तक #कविता

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Rajesh Khanna

#Dostiforever आज तक

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आज तक तुमने मुझसे कुछ 
नहीं बोला
मैं भी क्या बोलता
चलो मैं बोल भी देता
तुमने बोलने का मौका 
भी कहा दिया

©Rajesh Khanna #Dostiforever आज तक

Author Harsh Ranjan

आदिम से आज तक

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लोग उंगलियाँ उठाते हैं!
स्त्रियां कहती हैं कि
उन्हें पुरुष ने बाँधा है!
पुरुष मान में डूबे ऊंघते हैं,
उन्हें स्त्रियों का क्या काम?
फिर अचानक एक 
आदमखोर आता है।
पुरुष मर सकने से पहले
मजबूती से लड़ जाता है।
मेरी कलम से मिली जिंदगी
वो अगर जी जाता है तो भी,
उसके बदन पर चौरासी घाव हैं।
हवा का स्पर्श जब दर्द जगाता हो
उसे अपने आवेग में हथेलियों से 
कोई यथाबुद्धि दबाता है!
वो घाव तो अपने वेग से भरेगा पर
वो पुरुष तत्क्षण आराम पाता है!

बेटी, मेरी तरफ देखती है, 'अब?'
बेटा, भले घरों के लड़के-लड़की
आज भी एक-दूसरे से
पैसे लेकर सौदे नहीं करते!
और जिनके सौदे में लेन के बदले
देन न हो, वैसे ठग,
आदमी-औरत क्या 
भैंस बकरियों को भी नहीं छोड़ते। आदिम से आज तक

TEJPAL

कल से आज तक #ज़िन्दगी

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कल से आज तक
पोस्ट पूरी पढ़िएगा जरूर आनंद आएगा।

2022 से 1970 के दशक अर्थात बचपन की तरफ़ जो 50 को पार कर गये हैं या करीब हैं उनके लिए यह खास है।

मेरा मानना है कि दुनिया में ‌जितना बदलाव हमारी पीढ़ी ने देखा है हमारे बाद की किसी पीढ़ी को "शायद ही " इतने बदलाव देख पाना संभव हो
🤔🤔

हम वो आखिरी पीढ़ी हैं जिसने बैलगाड़ी से लेकर सुपर सोनिक जेट देखे हैं। बैरंग ख़त से लेकर लाइव चैटिंग तक देखा है और "वर्चुअल मीटिंग जैसी" असंभव लगने वाली बहुत सी बातों को सम्भव होते हुए देखा है।

🙏🏻 हम वो पीढ़ी हैं
 
जिन्होंने कई-कई बार मिटटी के घरों में बैठ कर परियों और राजाओं की कहानियां सुनीं हैं। ज़मीन पर बैठकर खाना खाया है। प्लेट में डाल डाल कर चाय पी है।

🙏 हम  वो " लोग " हैं ?*l

जिन्होंने बचपन में मोहल्ले के मैदानों में अपने दोस्तों के साथ पम्परागत खेल, गिल्ली-डंडा, छुपा-छिपी, खो-खो, कबड्डी, कंचे जैसे खेल , खेले हैं ।

🙏हम आखरी पीढ़ी  के वो लोग हैं ?

 जिन्होंने चांदनी रात में डीबरी, लालटेन या बल्ब की पीली रोशनी में होम वर्क किया है और दिन के उजाले में चादर के अंदर छिपा कर नावेल पढ़े हैं।

🙏हम वही  पीढ़ी के लोग हैं ?

जिन्होंने अपनों के लिए अपने जज़्बात खतों में आदान प्रदान किये हैं और उन ख़तो के पहुंचने और जवाब के वापस आने में महीनों तक इंतजार किया है।

🙏हम उसी  आखरी पीढ़ी के लोग हैं ?

जिन्होंने कूलर, एसी या हीटर के बिना ही  बचपन गुज़ारा है। और बिजली के बिना भी गुज़ारा किया है।

🙏हम वो  आखरी लोग हैं ?

जो अक्सर अपने छोटे बालों में सरसों का ज्यादा तेल लगा कर स्कूल और शादियों में जाया करते थे।

🙏हम वो आखरी पीढ़ी के लोग हैं ?

जिन्होंने स्याही वाली दावात या पेन से कॉपी किताबें, कपडे और हाथ काले-नीले किये है। तख़्ती पर सेठे की क़लम से लिखा है और तख़्ती धोई है।

🙏हम वो आखरी लोग हैं ?

जिन्होंने टीचर्स से मार खाई है और घर में शिकायत करने पर फिर मार खाई है।

🙏हम वो  आखरी लोग हैं ?

जो मोहल्ले के बुज़ुर्गों को दूर से देख कर नुक्कड़ से भाग कर घर आ जाया करते थे। और समाज के बड़े बूढों की इज़्ज़त डरने की हद तक करते थे।

🙏 हम वो  आखरी लोग हैं ?

जिन्होंने अपने स्कूल के सफ़ेद केनवास शूज़ पर खड़िया का पेस्ट लगा कर चमकाया है!

🙏हम वो आखरी लोग हैं

जिन्होंने गुड़  की चाय पी है। काफी समय तक सुबह काला या लाल दंत मंजन या सफेद टूथ पाउडर इस्तेमाल किया है और कभी कभी तो नमक से या लकड़ी के कोयले से दांत साफ किए हैं।

🙏हम निश्चित ही वो लोग हैं

जिन्होंने चांदनी रातों में, रेडियो पर BBC की ख़बरें, विविध भारती, आल इंडिया रेडियो, बिनाका गीत माला और हवा महल जैसे प्रोग्राम पूरी शिद्दत से सुने हैं।

🙏हम वो  आखरी लोग हैं
 
जब हम सब शाम होते ही छत पर पानी का छिड़काव किया करते थे।

उसके बाद सफ़ेद चादरें बिछा कर सोते थे।

एक स्टैंड वाला पंखा सब को हवा के लिए हुआ करता था।
 
सुबह सूरज निकलने के बाद भी ढीठ बने सोते रहते थे।

वो सब दौर बीत गया। चादरें अब नहीं बिछा करतीं।

डब्बों जैसे कमरों में कूलर, एसी के सामने रात होती है, दिन गुज़रते हैं।

🙏हम वो  आखरी पीढ़ी के लोग हैं

जिन्होने वो खूबसूरत रिश्ते और उनकी मिठास बांटने वाले लोग देखे हैं, जो लगातार कम होते चले गए।
 
अब तो लोग जितना पढ़ लिख रहे हैं, उतना ही खुदगर्ज़ी, बेमुरव्वती, अनिश्चितता, अकेलेपन, व निराशा में खोते जा रहे हैं।
 
और

🙏हम वो  खुशनसीब लोग हैं, जिन्होंने रिश्तों की मिठास महसूस की है...!!

🙏 और हम इस दुनियाँ के वो लोग भी हैं जिन्होंने एक ऐसा "अविश्वसनीय सा"  लगने वाला  नजारा देखा है।

आज के इस करोना काल में परिवारिक रिश्तेदारों (बहुत से पति-पत्नी , बाप - बेटा ,भाई - बहन आदि ) को एक दूसरे को छूने से डरते हुए भी देखा है।

 🙏 पारिवारिक रिश्तेदारों की तो बात ही क्या करे खुद आदमी को अपने ही हाथ से अपनी ही नाक और मुंह को छूने से डरते हुए भी देखा है।

 🙏 " अर्थी " को बिना चार कंधों के श्मशान घाट पर जाते हुए भी देखा है।

"पार्थिव शरीर" को दूर से ही  "अग्नि दाग" लगाते हुए भी देखा है।🙏

🙏हम आज के भारत की एकमात्र वह पीढी हैं जिसने अपने " माँ-बाप "की बात भी मानी और " बच्चों " की भी मान रहे है।

🙏 शादी में (buffet) खाने में वो आनंद नहीं जो पंगत में आता था  जैसे....

सब्जी देने वाले को गाइड करना, हिला के दे या तरी तरी देना!

.👉  उँगलियों के इशारे से 2 लड्डू और गुलाब जामुन, काजू कतली लेना

.👉 पूडी छाँट छाँट के और गरम गरम लेना !

👉 पीछे वाली पंगत में झांक के देखना क्या क्या आ गया, अपने इधर क्या बाकी है और जो बाकी है उसके लिए आवाज लगाना

👉 पास वाले रिश्तेदार के पत्तल में जबरदस्ती पूडी 🍪 रखवाना!

.👉 रायते वाले को दूर से आता देखकर फटाफट रायते का दोना पीना ।

.👉 पहले वाली पंगत कितनी देर में उठेगी उसके हिसाब से बैठने की पोजीशन बनाना।

.👉 और आखिर में पानी वाले को खोजना।
 😜 
..............
*एक बात बोलूँ इंकार मत करना दोस्तो, ये मैसेज जितने मर्जी लोगों को भेजना क्योंकि जो इस मैसेज को पढेगा, उसको उसका बचपन जरुर याद  आयेगा. वो आपकी वजह से अपने बचपन में चला जाएगा , चाहे कुछ देर के लिए ही सही।*
*और ये आपकी तरफ से उसको सबसे अच्छा गिफ्ट होगा.*

©TEJPAL कल से आज तक
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