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Dinesh Sharma Dinesh
सुखी रोटी घी से अब लबरेज बताई जाती है सजा झोंपड़ी महलों को आग लगाई जाती है साम दाम दंड भेद सी नीति हर अपनाकर बना टूलकिट परदेशों से खूब चलाई जाती है जब शर्मिंदा हो सच ने दे दी कुर्बानी लगती है तब प्रमाणों की प्रामाणिकता मुझे बेमानी लगती है ©Dinesh Sharma Dinesh #celebration जब शर्मिंदा हो सच ने दे दी कुर्बानी लगती है तब प्रमाणों की प्रामाणिकता मुझे बेमानी लगती है #Poetry #Hindi
Dinesh Sharma Dinesh
Dinesh Sharma Dinesh
मानवता के मापदंड विस्फोट दिखाई देते हों राजनीति के चश्मे से बस वोट दिखाई देते हों जो नारी के पूजन को संस्कार बताते फिरते हैं बसे हुए उन पुरुषों के मन खोट दिखाई देते हों जब कातिल मुंसिफ हो जाए हर बात जुबानी लगती हैं प्रमाणों की प्रामाणिकता तब बेमानी लगती है जब रामायण औ महाभारत एक कहानी लगती है प्रमाणों की प्रामाणिकता .... ©Dinesh Sharma Dinesh मानवता के मापदंड विस्फोट दिखाई देते हों राजनीति के चश्मे से बस वोट दिखाई देते हों जो नारी के पूजन को संस्कार बताते फिरते हैं बसे हुए उन पु
Dinesh Sharma Dinesh
परम्परा संस्कार संस्कृति प्राचीन बताए जाते हों मात-पिता और बुज़ुर्ग लाचार जताए जाते हों देश धरा को हीन बताते जबां न कांपे जिनकी दरबारों में सम्मानित वे कृतध्न पाए जाते हों जब अपमानित वर्तमान में चूनर धानी लगती है तब प्रमाणों की प्रामाणिकता मुझे बेमानी लगती है ©Dinesh Sharma Dinesh परम्परा संस्कार संस्कृति प्राचीन बताए जाते हों मात-पिता और बुज़ुर्ग लाचार जताए जाते हों देश धरा को हीन बताते जबां न कांपे जिनकी दरबारों म
Dinesh Sharma Dinesh
संदर्भ, शोध, प्रमाणों की हरपल बात नहीं करते अहंकार के वशीभूत हो कोई शुरूआत नहीं करते सच को सच कभी नहीं साबित करते देखा है प्रमाणिकता देने को प्रभु धारण गात नहीं करते जब संस्कारों पर शंका हो कुछ परेशानी लगती है तब प्रमाणों की प्रामाणिकता मुझे बेमानी लगती है ©Dinesh Sharma Dinesh #NojotoRamleela संदर्भ, शोध, प्रमाणों की हरपल बात नहीं करते अहंकार के वशीभूत हो कोई शुरूआत नहीं करते सच को सच कभी नहीं साबित करते देखा है
Pnkj Dixit
#OpenPoetry अपना व्यवहार गुंबज की आवाज की तरह , फेंकी हुई गेंद की तरह , सामने वाले से टकराकर अपने पास ही लौट आता है । जिसके प्रति स्नेह , सौजन्य बरता गया है , उसे जितना लाभ होता है , उसकी तुलना में उस शुभारम्भ करने वाले को अधिक लाभ मिलता है । सेवा के बदले सेवा , सद्भाव के बदले सद्भाव , मिलने का परिणाम तो प्रत्यक्ष ही है । इसके अतिरिक्त पुण्यफल भी मिलता है , सम्मान बढता है और इस आधार पर प्रख्यात हुई प्रामाणिकता और वरिष्ठता पर जन - सहयोग मिलने में भी कमी नहीं रहती । हरि ॐ तत् सत् 💐🕉🚩 ०३/०८/२०१९ 🌷👰💓💝 ...✍ कमल शर्मा'बेधड़क' अपना व्यवहार गुंबज की आवाज की तरह , फेंकी हुई गेंद की तरह , सामने वाले से टकराकर अपने पास ही लौट आता है । जिसके प्रति स्नेह , सौजन्य बरत
Manpreet Kaur
आकाश जी ने ट्रेन अच्छी चलाई, अभी जी ने किसी लिखारी की न होने दी रिहाई, तिवारी जी ने इस कदर अपनी दास्तान सुनाई, कि धीरज जी का धीरज बन गया दवाई, प्रेक्षा जी ने रिव्यु के संसार में पुहँच कर दी सबको बधाई। OPEN FOR COLLAB😍 प्रोफाउंड राइटर्स की सुनहरी प्रथम वर्षगांठ 🥳🥳🥳💐💐💐👑👑👑 प्रोफाउंड राइटर्स प्रत्येक लेखक में अपने विचारों को उम्दा अंदाज़ मे
Ashish Mishra
देखते देखते ये वक्त, कितनी जल्दी बीत गया। जो सफ़र कभी अकेले शुरू किया था, वो खुद हमें एक मुकाम पर ले गया है। जितना भी हासिल हुआ, उससे कुछ न कुछ सीखा है, और आज एक बेजान पत्थर को, भी आकार प्राप्त हुआ है। OPEN FOR COLLAB😍 प्रोफाउंड राइटर्स की सुनहरी प्रथम वर्षगांठ 🥳🥳🥳💐💐💐👑👑👑 प्रोफाउंड राइटर्स प्रत्येक लेखक में अपने विचारों को उम्दा अंदाज़ मे
Sachin Koli
ती होतीच तशी जगावेगळं तीच सौंदर्य होत मनमोकळं तिचं वागणं होत माझं ती पाहिलं प्रेम होतं पण तिला माहीतच नव्हतं दिलखुलास वावरायची मनसोक्त जगायची माझं तिच्या प्रत्येक हालचालीवर लक्ष होत पण तिला माहीतच नव्हतं सोज्वळता तिच्या चेहऱ्यात होती समंजसपणा तिच्या वागण्यात होता प्रामाणिकता तिच्या शब्दात होती तिचे सर्व सर्व गुण मी जाणून होतो पण तिला माहीतच नव्हतं बेधकड तिचं बोलणं होतं अनोळखी असो का ओळखीचा प्रत्येकाला सारखंच मोल होतं थोडी तिखटच होती पण मला गोड वाटायची तरी तिला माहीतच नव्हतं निष्पाप मनाने तिला बघितलं होत वय काय होत ते होत जेव्हा प्रेम काय असते हे माहिती नव्हतं तेव्हा तिला पसंत केलं होतं पण तिला माहितच नव्हत तिला माहीतच नव्हतं कारण माझ्यात हिम्मतच नव्हती प्रयत्न केले असते पण मला सर्व माहीत होतं ती जशी होती तशीच छान होती आणि माझी पसंत होती आणि खरच तिला माहितीच नव्हतं ती होतीच तशी जगावेगळं तीच सौंदर्य होत मनमोकळं तिचं वागणं होत माझं ती पाहिलं प्रेम होतं पण तिला माहीतच नव्हतं दिलखुलास वावरायची मनसोक्त जगाय
Manpreet Kaur
चलो मानते हैं कि हम हैं नेक, चाहते तो दे देते खुद कर के बेक, वर्षगांठ पर हमें मिलेगा तो बांट लेंगे, मग़र नेकी से नहीं मिल सकता केक।😂 OPEN FOR COLLAB😍 प्रोफाउंड राइटर्स की सुनहरी प्रथम वर्षगांठ 🥳🥳🥳💐💐💐👑👑👑 प्रोफाउंड राइटर्स प्रत्येक लेखक में अपने विचारों को उम्दा अंदाज़ मे