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कवि राहुल पाल 🔵
2 Years of Nojoto हुए हम जिनके लिए बर्बाद , वो समझे हमको यूरिया खाद ! फिर भी फ़ोन पे हम उनसे बतियाये जायेंगे , ये जान रहे है जबकि हम लतियाये जाएंगे ।। जबसे देखी उनकी सुरतिया खुद से हम हो गए है दूर , जबसे जेब हुई कंगाल चन्दा मागे पे हम हुए मजबूर ! फिर भी उनको फटफटिया पे ऐसे घुमाये जाएंगे ये जान रहे है जबकि हम गरियाये जाएंगे ये जान रहे है जबकि हम लतियाये जाएंगे•• #हुए_हम_जिनके_लिए_बर्बाद , #वो_समझे_हमको_यूरिया_खाद ! फिर भी फ़ोन पे हम उनसे बतियाये जायेंगे , ये जान रहे है जबकि हम लतियाये जाएंगे ।। जबसे द
Shashwat Rai
पूरा कैप्शन में पढ़ें ........ कलम से ✍️ "धक धक धक करत चले ले, बड़की चकिया वाली। पापा हमके बुलेट चाहीं, गोलकी बत्तिया वाली।।" "देख के लइकी मारस सिटी, बीच रोड इतरा के।
राजेश कुशवाहा 'राज'
!!मलकिनिया के पापड़!! - भाग-1 आजु बताइथे हमहूं अपने, मलकिनिया के हाल। हर बातिनि में दिनभर उ, चलति हां आपन चाल।। बइठ रहन आफिस में अपने,आबा उनखर काॅल। कहिन किराना औ तरकारी, लइ आबा तत्काल। हमहूं आसउं चिप्स बनायब, लइअउब आलू लाल। कलर त बिल्कुल भूलब न, पीला हरा औ लाल।। एतना कहिके काटि दिहिन, फोनबा उ तत्काल। का कही फेर आपन हालत, जाने हर माई के लाल।। फेर हमहूं चलि दिहन बंजारे, फटफटिया लै तत्काल। सगल बजारे खुब ढूंढन पै, आलू मिली न लाल।। फेर त हमहूं फोन लगायन, कहन बजारे के हाल। तब बताइन कि आलू लई लेई, उज्जरि होई या लाल।। एतने तक त ठीक रहा पै, आगे बढ़ी बवाल। जब कहिन की बिल्कुल भूलब न, पीला हरा औ लाल।। आगे कहिन बनाउब पापड़, जीरा सौंफ सब डाल। दाना साबुन वाला लेआउब, नही घर में गली न दाल।। एतना कहिके काटि दिहिन, फेर फोनबा उ तत्काल। तब हमहूं सामान लिहन, औ घर पहुंचन तत्काल।। नाश्ता पानी दिहिन नही, पहिलेन करिन सवाल। लइ आयन की नही बताई, साबुन आलू औ रंग लाल।। हमहूं रहन मनइ मन गुस्सा, चेहरा पड़ा रहा सब लाल। दिहन सामान पटकि मूड़े म, फेर भगन दूर तत्काल।। आजु बताइथे हमहूं अपने, मलकिनिया के हाल। आजु बताइथे हमहूं अपने, मलकिनिया के हाल।। ----कुशवाहाजी ©राजेश कुशवाहा !!मलकिनिया के पापड़!! आजु बताइथे हमहूं अपने, मलकिनिया के हाल। हर बातिनि में दिनभर उ, चलति हां आपन चाल।। बइठ रहन आफिस में अपने,आबा उनखर काॅल।
इकराश़
'आठ वर्षिय चिंटू' आओ आज तुम्हे मैं एक किस्सा सुनाता हूँ। 'चिंटू' की तुम्हे मैं एक दास्तां सुनाता हूँ। चिंटू छ: साल का नन्हा सा बच्चा था जब उसे उसके माता-पिता उसकी नानी के यहाँ छोड़ आए थे। वो अपने मामा की शादी में गया था। उस मासूम को क्या पता थ