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dr.rohit sarswati
शीर्षक देश कि माटी देश कि माटी माँग रही है शहीदो कि शहादत का मोल ! देश कि माटी माँग रही है , वीरो का जीवन अनमोल ! देश कि माटी माँग रही है , उजड़ी माँगो का सिगाँर ! देश कि माटी माँग रही है , बहनो कि राखी का प्यार ! देश कि माटी माँग रही है , जननी माँ का कर्ज मुँह खोल ! देश कि माटी माँग रही है , ममता से भरे मीठे बोल ! देश कि माटी माँग रही है , शहीदों कि शहादत का मोल ! ©rohit sarswati #कविता #देश कि माटी#
@amantomar
#हमारा जौनसार🙏 जहां के कण कण मे स्वयं देव विराजे सादगी और अपनापन जहां के लोगो की पहचान हो जहां आज भी अथिति देवः भवः की रीत हो भाषा मे अपनापन और पहनावा मन मोह ले ऐसा है हमारा जौनसार.... "जहां की माटी मे जन्मे वीर अनेक जैसे वीर केशरी और वीर सुरेश"... जहां प्रकृति का सौंदर्य मन मोह ले.... ऐसा है अपना जौनसार.... अपनी माटी के लिए एक कविता
Neophyte
अब कहाँ प्यार होगा ज़िन्दगी है काटी जाएगी खुशियाँ मेरे लिए कहाँ दुसरो में बाटी जाएगी एक लकीर जो तुम खींच गयी वो लकीर दोहराती जाएगी जो पत्ता तेरे भरोसे है हवाएं उसे गिराती जाएंगी तुम्हारी हर याद को अब कोई नई मिटाती जाएगी शोहरते क्या करूँगा लेकर घाट तक सिर्फ माटी जाएगी किसे ग़म हम लूट गए महफ़िल तालियां बजाती जाएगी ~क्षत्रियंकेश माटी!
Madhu Arora
माटी बोली प्रेम से, मैं तो बड़ी अनूप। आकारों में सब ढली, मेरे ही सब रूप।। ©Madhu Arora #माटी
Anita Sudhir
मिट्टी दोहावली *** इस माटी में जन्म ले , काम इसी के आय। वतन पर जो मर मिटे,जीवन सफल कहाय।। माटी मेरे देश की, इस पर है अभिमान। तिलक लगा कर भाल पर,करते हैं सम्मान।। रक्त शहीदों का बहा,माटी है अब लाल। कब तक होगी ये दशा,माटी करे सवाल।। अंकुर निकले बीज से ,दे ये अन्न अपार। माटी गुण की खान है,औषध की भरमार।। माटी के पुतले बनें , खेलें सारे खेल। । प्रभु की यदि मूरत बने ,न कोय उसका मेल।। कच्ची माटी के घड़े ,सोच समझ कर ढाल। उत्तम बचपन जो गढ़ो ,उन्नत होगा काल।। ©anita_sudhir माटी
Sabir Khan
जिस माटी में तेरे मेरे सने पैरों की छाप अभी तक उकरी है,,, उन छाप से तू क्या पूछे! तू यहाँ की है या परदेशी है। #NoCaa,NoNrc 🇮🇳माँ तुझे सलाम🇮🇳 #माटी
Shashank kurariya
मै उस माटी का वृक्ष नही , जिसको नदियो ने सीचा है, बंजर माटी मे पल कर मैने मृत्यु से जीवन सीखा है ©Shashank kurariya #माटी
Rakesh Lalit
"माटी तूने मुझे सिखाया" -------------------------- हर मौसम इक परिवर्तन है मुझमें निहित एक संजीवन है, पर बेमोल मेरी भी काया माटी तूने मुझे सिखाया ।। सच्चाई और न्याय के हित में मैं जब भी संकट में आया, सत्य है कहना,अटल ही रहना माटी तूने मुझे सिखाया ।। ठोकर खा परहित कर पाया उठकर गिर,गिरकर उठ पाया सदा धरातल पर ही रहना माटी तूने मुझे सिखाया ।। है मुश्किल सब बाँधे रखना जोड़ के कुछ को मैं रख पाया, तुझसे ये अद्भुत गुण पाया माटी तूने मुझे सिखाया ।। सब तुझमें है, ये भी,वो भी तुझमे ही हर जीव समाया फिर क्यों तुझसे टूटना चाहा? माटी तूने मुझे सिखाया ।। ©Rakesh Lalit #माटी
Ankush Tiwari
इस माटी को अपने खून से सिंचा है साहब आप क्या इसकी कीमत लगाओगे वर्षो पहले तोड़ गए थे आपके पुरखे नाता जिससे आप कहाँ अब उसकी अहमियद को समझ पाओगे #माटी