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Saddam husain
साबरमती के संत तूने कर दिया कमाल।
vikas agrawal
आज का विषय है क्रोध__सन 1893 जब नस्ल भेद नीति के तहत गांधीजी को चलती ट्रेन से धक्का देकर नीचे गिरा दिया गया था। तब गांधी जी को बहुत गुस्सा आया था। पर गांधी जी ने उस गुस्से का प्रदर्शन नहीं किया बल्कि उसे अपने दिल में रखा। और उसे हथियार बनाया आजादी पाने का। और हमें आजादी मिली भी कहने का मतलब___क्रोध को अपनी कमजोरी नहीं, अपनी ताकत बनाएं। (जय हिंद) ।। ©vikash Agarwal साबरमती के संत तूने कर दिया कमाल। #GandhiJayanti2020
PS T
मंगल पांडे, तात्या टोपे,लक्ष्मीबाई, भगत सिंह, सुखदेव, राजगुरु,आज़ाद और बोस, लाल-बाल-पाल का क्या हुआ हाल हम जानते हैं तो फिर क्यों हमें बताया जाता है कि आजादी "चरखे" से मिली ? डंडे और पत्थर के बिना कुत्ता भी नहीं भगाया जाता... साबरमती के संत, सब PR का कमाल #yqdidi
सुसि ग़ाफ़िल
मुस्कुराता दर्द और भोली सी लड़की , उफान खाती नदी की शांत धारा बन गई! वो आयशा अब हवा बन गई , जालिम जमाने की नजरें गवाह बन गई! दुआएं क्या कि उसने खुदा से, जन्म जन्म के लिए जुदा करदे इंसानों से ! मोहब्बत के उसूलों पर सवाल कर गई , इस जमाने के खेल की शिकायत खुदा से कर गई! सब कुछ तो अच्छा था यहां , एक तरफा मोहब्बत उसको घायल कर गई! आंसू की बहती धारा और मोन की चीखें, साबरमती मां के आंचल में पवित्र हो गई! आयशा पर लिखी है कुछ पंक्तियां जिसने अभी आत्महत्या की है साबरमती नदी में!
Poonam Singh
दे दी हमें आज़ादी बिना खडग बिना ढाल साबरमती के संत तूने कर दिया कमाल दे दी हमें आज़ादी बिना खडग बिना ढाल साबरमती के संत तूने कर दिया कमाल।।
isha rajput
मानव नहीं मानवता की भाषा सागर की बूँदे तर जाता खूद की खोज करे जो प्राणी दूसरो का सदा हित ही चाहता महिला का सम्मान सीखाया बापू ने जो पाठ पढा़या विचारों का पुतला हैं प्राणी, जैसा सोचे वैसा बन जाता दुनिया में अगर राज है करना विनम्र स्वभाव सदा ही धरना शरीर नहीं शक्ति बल पाता अदम्य साहस ही शक्ति बल पाता अभ्यास निरंतर करते जाओ भविष्य को सुखद बनाओ साबरमती के संत हैं बापू सत्य, अहिंसा का पाठ पढा़या धैर्य, तपस्या धरते जाओ जीवन को तुम सफल बनाओं ©isha rajput साबरमती के संत मानव नहीं मानवता की भाषा सागर की बूँदे तर जाता खूद की खोज करे जो प्राणी दूसरो का सदा हित ही चाहता
Chitra Roy
अनुराग चन्द्र मिश्रा
आज़ादी क्या सच में आजाद हैं हम किसके पीछे चलते हैं किसके पीछे बोलते हैं कभी अपने कदमों के निशां खोज पाए हैं हम "दे दी हमें आजादी बिना खडक बिना ढाल साबरमती के संत तूने कर दिया कमाल" इन पंक्तियों से आगे कभी कुछ सोच पाए हैं हम क्या इतनी आसां थी आजादी बिना लहू बहाए मिली हमें ये छोटी बड़ी सी बात क्यों नहीं समझ आती किसी के किसी का नाम ले तो कोई छूट जाता है क्या इक किरदार दूसरे के बिना सब कुछ निभा पाता है ? "करता नहीं क्यूँ दूसरा कुछ बातचीत, देखता हूँ मैं जिसे वो चुप तेरी महफ़िल में है ऐ शहीदे-ए-मुल्क-ओ-मिल्लत, मैं तेरे ऊपर निसार, अब तेरी हिम्मत का चर्चा ग़ैर की महफ़िल में है" ऊपर की पंक्तियां अधूरी ही रह जाती ग़र नीचे की पंक्तियों की बहार ज़हन में न आती कोई छोटा बड़ा नहीं यहां हर कोई बराबर का भागीदार है और इसे कायम रखना ही हमारी पहचान है| #आज़ादी क्या सच में आजाद हैं हम किसके पीछे चलते हैं किसके पीछे बोलते हैं कभी अपने कदमों के निशां खोज पाए हैं हम "दे दी हमें आजादी बिना खडक