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    PopularLatestVideo
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Ankit Mishra

आज़ देश हसीं खुशी से चल रहा है उसमें भी लोगो को तक़लीफ़ है....

वो ऐसे..

राहुल को सुन के "हँसी" आती है और..
मोदी जी को सुन के "खुशी" होती है। प्रजातन्त्र

प्रजातन्त्र

3 Love

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R S Jaipuriar

प्रजातंत्र में प्रजा अलग, तन्त्र अलग।
प्रजा तो पाॅंच साल में एक बार;
उॅंगली में स्याही लगवा कर खुश हो लेती है;
तन्त्र को ले उड़ जाने वाले सभी स्तंभ
क्या ठाठ की राजशाही जीते हैं,
पाॅंच साल लगातार, बार बार।
गरीब भोले जेल झेलें,
तन्त्र को क्या, तकरीरें करें।
इन अक्षमों को ढंग से तन्त्र चलाना भी नहीं आता;
नहीं तो प्रजातंत्र का पलटी मार निर्वाचन होता क्या?
भोले निर्दोष लोगों को बेल लेने से डर लगता क्या?
ब्रितानी पुलिसिया तन्त्र आज तक चलता रहता क्या?
जो दफा चाहे, वो लगा पाता क्या?
कलम की स्याही कभी सूख जाती क्या?
लिखने वाला सच लिखने से डरता क्या?

©R S Jaipuriar #प्रजातन्त्र
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Its_Vyatha

 परिभाषा

परिभाषा #Quotes

4 Love

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Yogita Harne

परिभाषा
प्रेम करे जो राधा सा तुमको "कान्हा मानकर
न पाने की चाह रखी न कोई मांगा अधिकार 
मन के धागो से बंधा राधा रानी का प्यार
******†************
साथ निभाये सीता सा तुमको राम जानकर
सुख से तुम्हारे ही नहीं दुख से भी जुडी नियति मानकर
वचनों से जीवन की सांसे बांधी जानकी चली सब सहनकर
सीता का समर्पण रघुकुल का मान सीता के प्रेम का आधार परिभाषा

परिभाषा

10 Love

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Yogita Harne

परिभाषा
प्रेम करे जो राधा सा तुमको "कान्हा मानकर
न पाने की चाह रखी न कोई मांगा अधिकार 
मन के धागो से बंधा राधा रानी का प्यार
******†************
साथ निभाये सीता सा तुमको राम जानकर
सुख से तुम्हारे ही नहीं दुख से भी जुडी नियति मानकर
वचनों से जीवन की सांसे बांधी जानकी चली सब सहनकर
सीता का समर्पण रघुकुल का मान सीता के प्रेम का आधार परिभाषा

परिभाषा

12 Love

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Babita Buch

प्यार के माने कोई तुमसे
,सिखे अपनी छोटी सी
दुनिया में कितने खुश
हो ना कोई चाहा ना
आगे बढ़ने की होण
बस अपनी तिनके
से बुना घोंसले कुछ
दाने में सन्तोष कर
लेते काश इन्सान भी
तुम जैसा होता ‌तो
ये दुनिया कितनी
सुकुन भरी होती

©Babita Bucha
  #परिभाषा
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Kavita Ghosh

प्यार की परिभाषा प्यार ही जाने
जिसने किया वो सिर्फ प्यार ही जाने।

©Kavita Ghosh # परिभाषा

# परिभाषा

12 Love

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R K Mishra " सूर्य "

ब्रह्मास्त्र

जब अपने लोग "परिभाषा" अपनी 
सुविधा
के मुताबिक गढ़ने लगें 
तो समझ लेना चाहिए
आपको उनसे दूर होने का 
समय आ गया है

©R K Mishra " सूर्य "
  #परिभाषा
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राखी रायकवार "khushi"

मैं तुम्हारे मौन की भाषा
तुम मेरे प्रेम की परिभाषा..

©राखी रायकवार "khushi"
  #परिभाषा
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KK Mishra

 परिभाषा

परिभाषा #nojotophoto

3 Love

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N Kumar

मोहब्बत है क्या चीज़ मोहब्बत एक गुनाह है,
साहब...
और उसे करने वाले 
गुनाहगार... #परिभाषा..
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Kamal bhansali

My 3 Regrets  मकसद इतने न हो कि जिंदगी अपने कर्तव्य ही भूल जाये
राहें इतनी न हों कि मंजिल की तलाश ही गलत हो जाये
सपने दिल में इतने न सजाये कि समय  रास्ता भूल जाये
जिंदगी  को इतनी  गलत परिभाषित  न  करे
कि
शब्द अपना वजूद ढूंढते रह जाये
✍कमल भंसाली परिभाषा

परिभाषा

3 Love

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Kamal bhansali

 परिभाषा

परिभाषा

4 Love

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Vikas Dhaundiyal

कितने ही मिलते है लोग रोज़ यहाँ 
पर मेरी आशा वही रहती है 

चेहरे ही बदलते है बस वरना इस 
इश्क़ की परिभाषा वही रहती है #परिभाषा
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Anjali Jain

प्रजातंत्र अपने आप में बहुत ही अच्छी,सबसे अच्छी शासन-शैली है किंतु तब ,जब प्रजा  सभ्य,शिक्षित,संस्कारी, नैतिक व मानवता से युक्त हो,अन्यथा जितने फायदे जनता को मिलते हैं उससे ज्यादा नुकसान स्वयं जनता ही उठाती है।
जनता को शिक्षित, नैतिक,ईमानदार और मानवता से युक्त होना तो बहुत ही जरूरी है।
क्योंकि जब जनता व्यक्तिगत तुच्छ स्वार्थों की पूर्ति तक ही सोचती है तब जनतंत्र बहुत ही लाचार और असहाय हो जाता है। जनता ही अपने प्रतिनिधि चुनती है जाति, धर्म और अपनी जान-पहचान के आधार पर, उनकी अच्छाई,सच्चाई,योग्यता और ईमानदारी या नैतिकता तो देखती नहीं;
चुने हुए प्रतिनिधि अपनी बुद्धि, मानसिकता और जनता की मानसिकता को समझते हुए छोटे-छोटे हितों के टुकड़े कानून के रूप में उछाल देती है और उन टुकडों के बदले अपने लिए पूरी राजनीति रूपी रोटी हासिल कर लेती है जनता उनसे खुश हो जाती है। सभी प्रतिनिधि व पार्टियां ऐसी नहीं होती लेकिन हमारे देश में पिछले कितने ही वर्षों से ऐसी ही राजनीति होती रही है सो जनता भी उसी मानसिकता की हो गई है। #प्रजातंत्र#१९.०९.२०

#RaysOfHope
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Anjali Jain

और प्रजातंत्र पर कुठाराघात करती है।पेट्रोल और प्याज के भाव बढ़ जाएं तो कोहराम मचा देती है ये तो बहुत छोटी बातें हैं बाकी बातों से आप सब वाक़िफ़ हैं।दलगत ,जातिगत राजनीति करने वाले दल और नेता हर छोटे-छोटे मुद्दों पर, काल्पनिक समस्याएं खड़ी कर के जनता को भड़काते हैं और नासमझ जनता, नासमझ तो नहीं है अपना मतलब खूब समझती है, पर उसी हित की पूर्ति चाहती है जो सीधे-सीधे उससे जुड़ा है और दिखता है ।बड़ा हित, समाज हित और देश हित को भूल जाती हैऔर उनके लिए लड़ाई झगड़ा, दंगा-फसाद तक करने पर उतारू हो जाती है कई तो करवाये भी जाते हैं।
....और इस तरह बात-बात पर प्रजा का हित कर सकने वाला प्रजातंत्र ही लहु लुहान होता रहता है। प्रजातंत्र को ही मिटा देंगे, देश को ही नुकसान पहुचायेंगे तो हम खुद कहाँ बचेंगे?आज का जो वातावरण है  जिस तरह  बिना बात मुद्दे बना बना कर देश का वातावरण दूषित किया जाता है उसमें प्रजातंत्र का क्या हाल होता है आँखों के समक्ष है। #प्रजातंत्र#१९.०९.२०

#RaysOfHope
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Anjali Jain

वर्तमान सरकार देश हित में इतने बड़े बड़े और साहसी फैसले कर रही है पर अपनी रोटी  छिनती देख जिस तरह जनता को गुमराह किया जाता है भड़काया जाता है उनका इलाज कैसे हो?इन बातों को जनता को ही समझना होगा।
इसलिए पहले हर व्यक्ति को अपनी संकुचित सोच को छोड़ना होगा।उसे समझना होगा कि जनता का शासन होने का मतलब हर उचित अनुचित इच्छा का पूरा होना नहीं है।पहले देश की सुरक्षा, देश का हित ,उसी में व्यक्ति का हित समाहित है।
वैसे ही जैसे परिवार के हित में ही व्यक्ति का हित समाहित होता है।देश भी हमारा, इस प्रजातंत्र का विशाल परिवार है उससे अलग किसी भी व्यक्ति, जाति, वर्ग और धर्म का हित कैसे हो सकता है?
जिस दिन ये बात हर नागरिक समझ जाएगा, उस दिन से इस प्रजातंत्र की खुशियोंऔर सुरक्षा को कोई  सेंध नहीं लगा पायेगा।
जय भारत!जय हिंद!वन्दे मातरम! #प्रजातंत्र#१९.०९.२०

#RaysOfHope
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Anjali Jain

जैसे जातिगत राजनीति, ये सबसे बड़ा और गहरा ज़ख्म है भारत के प्रजातंत्र का।मुझे पहले तो पता नहीं था पर जैसे ही मैं शिक्षिका नियुक्त हुई और स्कूल में हाजिरी रजिस्टर में बच्चों का जाति अनुसार वर्गीकरण देखा तो बहुत ही आश्चर्य और दुःख हुआ।जातियाँ होती है पर स्कूल में जाति अनुसार बच्चों का फर्क क्यों? बच्चों से पूछना पड़ता था और आज भी पूछना पड़ता है बेटा, तुम किस जाति में आते हो,- जब समझ नहीं आता- कितने दुःख और आश्चर्य की बात है कि जब सरकार ही बचपन से, बच्चों का परिचय अपनी जाति से कराने पर आमादा है तो जनता का क्या कुसूर?
जातिगत आरक्षण और छात्रवृत्तियां प्रारम्भ से ही फ़र्क करना शुरू कर देती है और जनता को उसी मानसिकता का प्रशिक्षण दे देती है यही बच्चे बडे होकर उतना ही सोच पाते हैं और उस दायरे से बाहर नहीं निकल पाते।
....और हमारे प्रजातंत्र में इसी आधार पर चुने हुए प्रतिनिधि हर बात को जाति, धर्म और समाज से जोड़कर राजनीति करते रहते हैं और जनता जो अशिक्षित है बौद्धिक स्तर पर इतना सोचती विचारती नहीं है अपने संकुचित स्वार्थों के बारे में सोचकर, समाज हित और देश हित को बिसरा देती है। #प्रजातंत्र#१९.०९.२०

#RaysOfHope
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Shubham Dinesh Bhardwaj

नयी परिभाषा।

नयी परिभाषा।

57 Views

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Anju Motwani

#भाषा#परिभाषा
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जगदीश कैंथला

वाक्य परिभाषा

वाक्य परिभाषा #बात

44 Views

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जगदीश कैंथला

रस परिभाषा

रस परिभाषा #बात

54 Views

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SARVENDRA SINGH

🙏🏻प्यार🙏🏻
प्यार की परिभाषा क्या है परिवारों से पूँछो।
कड़वी बात लगेगी आत्मिक विचारों से पूँछो।।
प्यार की....
माँ के हो प्रिय आँचल के उन इशारों से पूँछो।
प्राणों से प्यारे हो जिनके उन प्यारों से पूँछो।।
प्यार की.....
तुम्हारी जीत में जो हारीं पिता की उन हारों से पूँछो।
बहिनों के हैं राखी- भैयादूज के त्योहारों से पूँछो।।
प्यार की.....
बुरे वक्त में भाई के उन सहारों से पूँछो।
पत्नि के करवाचौथ के श्रृंगारों से पूँछो।।
प्यार की.....
बेटी के हो कितने प्रिय जाकर हजारों से पूँछो।
अब भी न समझ सके तो मेरे विचारों से पूँछो।।
प्यार की.....
जिंदगी की जंग में,रहो सभी के संग में।
अनमोल हो परिवार के अश्क धारों से पूँछो।।
प्यार की.....
प्रेम में ही जीत है,होता मुझे प्रतीत है।
सींचते हैं जो दरिया के किनारों से पूँछो।।
प्यार की.....
पले नहीं जो बाहों में,रहते हैं वो राहों में।
कभी तुम दर बदर भटकते बेसहारों से पूँछो।।
प्यार की.....
सुन "सर्वेन्द्र" सखा,जा जरा प्रेम दिखा।
लिख प्यार में आई हैं उन बहारों से पूँछो।।
प्यार की.....
लेखक-: सर्वेन्द्र सिंह
9927099136,7467098950

©SARVENDRA SINGH प्रेम परिभाषा

प्रेम परिभाषा #Shayari

22 Love

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Rashmi singh raghuvanshi "रश्मिमते"

#आपकी परिभाषा

#आपकी परिभाषा #Life

743 Views

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Chandra Pokhriyal

#झंडा #गणतंत्र #प्रजातंत्र #स्वतंत्र
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Asmita Rana

हिंदी दिवस   प्यार की कोई भाषा नहीं होती ना ही कोई जात ,धरम होता है।
कहने को तो सिर्फ  ढाई अक्षर होते है प्रेम में,
मगर इसका अर्थ अनमोल होता है।
प्रेम के अनेक स्वरूप दिखते है इस दुनिया में,
एहसास और  विश्वाश ये दोनों जिसकी निब है।

एहसास जो कोसो दूर रहकर भी उस इंसान और उसके दर्द को महसूस कर ले।
विश्वाश वो है जो पत्थर को भी अपने प्रेम से मूर्ति करदे।

बस मेरे लिए यही प्यार है।।
#Asmita #प्यार की परिभाषा

#प्यार की परिभाषा #Asmita

9 Love

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Rajnish Krishan Beniwal

प्यार क्या है  प्यार अहसास हैं खुद को दूसरों से जोड़ने का, उनसे जुड़े रहने का,
दुख बांटने का,सुख बढ़ा देने का ।। प्यार की परिभाषा

प्यार की परिभाषा

4 Love

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Aniket King Patidar

खुली हुई किताब का उलझा हुआ जबाब हु 
हा मैं ही 
प्यार 
हुँ प्यार की परिभाषा

प्यार की परिभाषा #शायरी

5 Love

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