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Trilok Yadav Atwei
धर्म का दीप बना, डालिये घृत ज्ञान का। विवेक की बत्ती जला, करो प्रकाश उपकार का। दीपावली की सुभकामनाए, सभी को देता है "त्रिलोक" आपका। #diwali धर्म का दीप जला,डालिये घृत ज्ञान का।#nojotohindi #festvaloflight @Trilok Yadav #Lights
SURAJ आफताबी
जितना समेटु उतना फिसलता जाता है एक रिश्ता जो रोज "घृत" से नहाता है !! घृत - घी... अब घी का मतलब......🙏 #rishte #love #affection #life #yqbaba #yqdidi #deepthoughts #surajaaftabi
Adesh gupta
Poetry with Avdhesh Kanojia
मेरे शिक्षक हे ज्ञानपुंज गुरु नमन तुम्हें। सन्मार्ग का ध्येय कराया हमें।। शिक्षित कर हमें कृतार्थ किया। जीवन का सच्चा अर्थ दिया।। मेरे लिए ईश्वर रूप हैं आप। तप की सजीव मूरत हैं आप।। पद कमल आपके नमन करूँ। तव ज्ञान दान से झोली भरूँ।। मुझ ज्ञानक्षीण पर करी कृपा। प्रगटाया वह जो मुझमे छिपा।। जैसे इक क्षीर में उत्पाद बहुत। माखन दधि और मलाई घृत।। वैसे एक आप में गुण हैं अनेक। तव चरणों का करूँ अभिषेक।। रहे वरद हस्त मेरे सिर पर। इतनी करुणा करना मुझ पर।। आज्ञा हो साधारण या विशेष। प्रस्तुत है तव सेवक अवधेश।। ✍️अवधेश कनौजिया हे ज्ञानपुंज गुरु नमन तुम्हें। सन्मार्ग का ध्येय कराया हमें।। शिक्षित कर हमें कृतार्थ किया। जीवन का सच्चा अर्थ दिया।। मेरे लिए ईश्वर रूप ह
रजनीश "स्वच्छंद"
भोर का मैँ गीत गाऊँ।। भोर का मैं गीत गाऊँ, अम्बर धरा मैं प्रीत गाऊँ। सींच कर मन के चमन को, हो उदित मैं जीत गाऊँ। तम का जो अवसान है, किरणों का मंगल गान है। आया नया जो बिहान है। मैं ये जग की रीत गाऊँ। मैं प्राण जीवन मे भरूँ, मैं इष्ट का पूजन करूँ, मैं संकलित आगे बढूं, मैं तोड़ तम की भीत जाउँ। जन मुदित ये प्रण मुदित, कर्म उदित ये मर्म उदित, आव गुणित ये भाव गुणित, पत्र संचित बून्द शीत गाऊँ। निर्बाध मैं निःस्वास गाऊँ, मैं सुबह और आस गाऊँ, मैं क्रीड़ा और रास गाऊँ, सखी सखा और मीत गाऊँ। वृहद और विहंगम मैं गाऊँ, एक मिलन संगम मैं गाऊँ, आज नत और नम मैं गाऊँ। छाली मथ मैं घृत गाऊँ। हो सजग सजल मैं गाऊँ, गीत ये अविरल मैं गाऊँ, बल और सम्बल मैं गाऊँ, आज निश्चल पुनीत गाऊँ। मैं धरा अम्बर मैं गाऊँ, समस्त नारी नर मैं गाऊँ, गगन उड़ता पर मैं गाऊँ, अभिषेक और किरीट गाऊँ। ©रजनीश "स्वछंद" भोर का मैँ गीत गाऊँ।। भोर का मैं गीत गाऊँ, अम्बर धरा मैं प्रीत गाऊँ। सींच कर मन के चमन को, हो उदित मैं जीत गाऊँ। तम का जो अवसान है,
Divyanshu Pathak
यह चर्चा भी विश्व में बराबर बनी रहती है कि हम प्रकृति से खिलवाड़ कर रहे हैं, उसका अमर्यादित दोहन कर रहे हैं। पर्यावरण दूषित हो रहा है, पृथ्वी का तापमान बढ़ रहा है। इसके बावजूद प्रकृति के स्वरूप एवं कार्य की चर्चा नहीं होती। #21_दिन_का_लॉक_डाउन चल ही रहा है और #विज्ञान_का_ताण्डव सब देख ही रहे हैं। आज तो मैं बस यही कहना चाहूँगा कि मोदी जी द्वारा जो #9_मिनट_दीपक_ज
Sunita D Prasad
मात्र संवेदनाओं,समृद्धियों और सफलताओं से पूर्ण नहीं होता.. ये 'जीवन यज्ञ'। इसे चाहिए.. तुम्हारे द्रवित नैनों से गिरती अश्रुधार की प्रत्येक बूँद 'प्रक्षालन' हेतु..। इसे चाहिए.. तुम्हारे निःस्वार्थ भाव से किए तप और पूजा प्रार्थनाओं का 'पंचामृत'। इसे चाहिए.. तुम्हारे टूटे वचनों और अधूरे प्रयत्नों का 'यज्ञोपवीत'..। इसे चाहिए.. तुम्हारी हर छोटी भूल और पाप की 'कुशा' ..। इसे चाहिए.. तुम्हारी अस्थि मज़्ज़ा रक्त का 'आसन'..। इसे चाहिए.. तुम्हारे श्वासों और आकांक्षाओं की अनगिनत 'आहुतियाँ'..। इसे चाहिए.. तुम्हारी देह के चिन्तः घृत का आचमन,हर 'स्वाहा' पर। इसे चाहिए.. हर संबंध और हर स्वार्थ की अंतिम पराकाष्ठा की 'समिधा'..। इसे चाहिए.. तुम्हारी सोच के हर केल-पत्र पल्लव की छाया । इसे चाहिए.. तुम्हारी इच्छा के सभी सुवासित-कोमल पुष्प की 'मालाएँ'..। इसे चाहिए.. तुम्हारी हर अंतिम जमा पूँजी की 'सामग्री' । इसे चाहिए.. तुम्हारे हृदय के पिघलते लावे की 'लपट' । इसे चाहिए.. तुम्हारे भाव ,लज्जा ,प्रेम और हर संबंध की पूर्ण 'आहुति'..। इसे चाहिए.. तुम्हारी सारी चिरौरियों ,गिड़गिड़ाहटों और रुदन की 'आरती'..। इसे चाहिए.. तुम्हारे सारे सुकर्मों से अर्जित 'प्रसाद'..। तब ...... तब जा कर..ये जीवन तुमसे कुछ संतुष्ट हो, तुम पर कृपा करता है और प्रसन्न हो तुमको देता है.. मृत्यु का 'वरदान..। मात्र संवेदनाओं,समृद्धियों और सफलताओं से पूर्ण नहीं होता.. ये 'जीवन यज्ञ'। इसे चाहिए.. तुम्हारे द्रवित नैनों से गिरती अश्रुधार की प्रत्येक
Vikas Sharma Shivaaya'
सिमरन मतलब जाप-प्रभु का निरंतर स्मरण है-अधिक सिमरन से शरीर शब्दमय हो जाता है, राम - नाम का सिमरन रग- रग में बस जाता है -क्रोध और जितने दुर्गुण हैं, वे अपने आप ही समाप्त हो जाते हैं ..., जो शुभ अंदर से जागता है, वह ठहरने वाली चीज़ है-बाहर की बनावट नहीं रहती,अंदर यदि नाम बस जाए तो बाहर आप प्रसन्नता आ जाती है..., ख़ाली समय हर मनुष्य के पास होता है- जो चाहता है कि मेरा जीवन अच्छा हो , तो वह ख़ूब सिमरन करे ..., सिमरन घबराहट भी दूर करता है- मनुष्य का मानस बल भी बढ़ाता है-सिमरन करने वाला बहुत निडर हो जाता है,पर लाभ तो भावना सहित सिमरन करने से है..., रात को नींद न आना-स्वप्न अधिक आना आदि के सब काँटे सिमरन करने वाले के दूर हो जाते हैं-ध्यान में भी बहुत सहायता मिलती है, भावना सहित ख़ूब सिमरन करते रहना चाहिए ...! विष्णु सहस्रनाम(एक हजार नाम) आज 742 से 753 नाम 742 विषमः जिनके समान कोई नहीं है 743 शून्यः जो समस्त विशेषों से रहित होने के कारण शून्य के समान हैं 744 घृताशी जिनकी आशिष घृत यानी विगलित हैं 745 अचलः जो किसी भी तरह से विचलित नहीं होते 746 चलः जो वायुरूप से चलते हैं 747 अमानी जिन्हे अनात्म वस्तुओं में आत्माभिमान नहीं है 748 मानदः जो भक्तों को आदर मान देते हैं 749 मान्यः जो सबके माननीय पूजनीय हैं 750 लोकस्वामी चौदहों लोकों के स्वामी हैं 751 त्रिलोकधृक् तीनों लोकों को धारण करने वाले हैं 752 सुमेधा जिनकी मेधा अर्थात प्रज्ञा सुन्दर है 753 मेधजः मेध अर्थात यज्ञ में उत्पन्न होने वाले हैं.. 🙏बोलो मेरे सतगुरु श्री बाबा लाल दयाल जी महाराज की जय 🌹 ©Vikas Sharma Shivaaya' सिमरन मतलब जाप-प्रभु का निरंतर स्मरण है-अधिक सिमरन से शरीर शब्दमय हो जाता है, राम - नाम का सिमरन रग- रग में बस जाता है -क्रोध और जितने दुर्ग
AK__Alfaaz..
स्त्रियाँ, कुछ भी व्यर्थ कहाँ जाने देती हैं, वो जीवन और मृत्यु के, सूई-धागे से, हर पल की तुरपाई करती हैं, अपनी देह मे, वो श्वांस की रेज़गारी, बटोरती हैं रोज, उम्मीद की गुल्लक में, करती हैं फुलकारी, शादी के जोड़े पर, बनाती हैं मन के परदे पर, मौन होकर भी, चहकती गौरेया, #पूर्ण_रचना_अनुशीर्षक_मे.. #एक_नया_स्थान स्त्रियाँ, कुछ भी व्यर्थ कहाँ जाने देती हैं, वो जीवन और मृत्यु के, सूई-धागे से,
Vikas Sharma Shivaaya'
शिव मूल मंत्र:- ॐ नमः शिवाय महामृत्युंजय मंत्र:- ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम् उर्वारुकमिव बन्धनानत् मृत्योर्मुक्षीय मामृतात्॥ महामृत्युञ्जय मंत्र ऊँ हौं जूं स: ऊँ भुर्भव: स्व: ऊँ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्। ऊर्वारुकमिव बन्धनान्मृत्योर्मुक्षीय मामृतात् ऊँ भुव: भू: स्व: ऊँ स: जूं हौं ऊँ भगवान शिव को हर कहा जाता है क्योंकि वे भक्त के जीवन से कष्ट हर लेते हैं-उन्हें महेश्वर इसलिए बुलाया जाता है क्योंकि वे महान ईश्वर, देवताओं के देवता, ब्रह्मांड के नियंत्रक हैं..., भगवान शिव ऐसे भगवान हैं जो सभी जानवरों में रहते हैं- उन्हें “पशुपति” भी कहा जाता है जो दर्शाता है कि वे सभी प्राणियों के भगवान हैं। हम सभी जानवर या “पशु” हैं और हमारे भगवान शिव हैं जो हमें नियंत्रित करते हैं, हम पर दया करते हैं, वे हम सब के प्रभु हैं। हम आत्मन या आत्मा हैं और भगवान शिव परमात्मा हैं जो सबसे बड़ी आत्मा और सर्वोच्च वास्तविकता हैं-ऐसे देवो के देव महादेव भगवान शिव को बारम्बार नमस्कार करते है ...! शिव की आराधना में शिवाभिषेक का विशेष महत्व है और अवसर महाशिवरात्रि का हो, तो इसका महत्व कई गुना बढ़ जाता है। अलग-अलग फलों की प्राप्ति के लिए भगवान शिव का अभिषेक जल और दूध के अतिरिक्त कई तरल पदार्थों से किया जाता है:- 1 - भगवान शिव को दूध की धारा से अभिषेक करने से मुर्ख भी बुद्धिमान हो जाता है, घर की कलह शांत होती है..., 2 - जल की धारा से अभिषेक करने से विभिन्न मनोकामनाओं की पूर्ति होती है..., 3 - घृत यानी घी की धारा से अभिषेक करने से वंश का विस्तार, रोगों का नाश तथा नपुंसकता दूर होती है..., 4 - इत्र की धारा चढ़ाने से काम सुख व भोग की वृद्धि होती है..., 5 - शहद के अभिषेक से टीबी रोग का नाश होता है..., 6 - गन्ने के रस से आनंद की प्राप्ति होती है..., 7- गंगाजल से सर्वसुख व मोक्ष की प्राप्ति होती है..., बाकी कल ,खतरा अभी टला नहीं है ,दो गई की दूरी और मास्क 😷 है जरूरी ....सावधान रहिये -सतर्क रहिये -निस्वार्थ नेक कर्म कीजिये -अपने इष्ट -सतगुरु को अपने आप को समर्पित कर दीजिये ....! 🙏सुप्रभात 🌹 आपका दिन शुभ हो विकास शर्मा'"शिवाया" 🔱जयपुर -राजस्थान 🔱 ©Vikas Sharma Shivaaya' शिव मूल मंत्र:- ॐ नमः शिवाय महामृत्युंजय मंत्र:- ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम् उर्वारुकमिव बन्धनानत् मृत्योर्मुक्षीय मामृतात्॥