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Neeta Bharadwaj
किसी रोज़ छांव की तलाश , में भी निकलेंगे ज़िन्दगी ..!!ज़ज़्बातों से भीगे मन को अभी सिर्फ धूप चाहिए...!! #nojoto#nojotohindi #कविता#शायरी#धूप#छांव #तलाश
Durgesh Dewan
आज उसकी जुल्फों की छांव में सोने को जि करता है उसकी खामोशियों में खोने को जि करता है कहीं बीत ना जाए ये पल यही सोंच के दिल आहें भरता है ©Durgesh Dewan #शायरी #love shayari #आज उसकी जुल्फों की छांव में
Nilam Agarwalla
तेरी नेह की छांव में, बैठे रहें यूं ही उम्र भर। तेरे जुल्फ के गांव में,खोए रहें यूं ही उम्र भर। तेरी बेतुकी बातों को,बस बैठे बैठे सुनते रहें तेरी आंखों की झील में, डूबे रहें यूंही उम्र भर।। ©Nilam Agarwalla #छांव
Raviraaj
पिता की हो, पेड़ की हो पति की हो, पत्नी को हो, या प्रेमिका की जुल्फों की हो। छांव में रहने की तमन्ना मत रखो।। ©Raviraaj #छांव
Manmohan Dheer
इम्तिहानों भरी मेहनकश ज़िंदगी में तू घनी शीतल मीठी सी छांव है ये दुनिया के दावे और हक़ीक़तें सिमट के तुझमें जैसे बड़ा गाँव है . शुभकामनाओं सहित 🙏 छांव
Deep Patel
ये घनी छांव भी शज़िश है किसी दुश्मन की, मुझको मालूम था तुम लोग ठहर जाओगे! @छांव
तृप्ति
मैं वो छांव हूं जो अक़्सर धूप में याद आ जाया करती हूं.. ये आदत में शुमार है मेरे मैं साया बन साथ देती हूं !! ये मायने नहीं रखता कि मैं पास हूं या दूर उस से... मैं ये सोच कर खुश हूं कि उसके जहन में रहा करती हूं !! ©तृप्ति #छांव
Neophyte
अपनी कीमतों से नीचे गिर कर बिका तू मुझपे वक़्त न लगा,तू मुझपे दांव न लगा अब तो दिल पर ज़ख्म की जगह नही बची मेरे क़ातिल तू कही और घाव न लगा इस दरिया का हौसला देख के डर इस तूफान के बीच अपनी नाव न लगा धूप ऐसी की बदन पर दरारे पड़ जाए सफ़र ऐसा की नसीब छांव न लगा -(क्षत्रियंकेश) छांव!
Chanchal Hriday Pathak
देखिए शहरों में अब वो ठहराव कहां है? है धूप बहुत तेज़ अब वो छांव कहां है? फूलों को भी तो रौंदते हैं लोग देखिए, अब देखते नहीं हैं कि वो पांव कहां हैं? अब पूछता है कौन यहां हाल किसी का, इंसानियत की बात अब वो भाव कहां है? अपने ही अब लगे हैं अपनों को मारने, अब इससे बड़ा तुम कहो वो घाव कहां है? सब आ गए हैं जद में सब हो गए फरेबी, चंचल* शराफतों के अब वो गांव कहा हैं? ©Chanchal Hriday Pathak #छांव
ASHU
पेड़ की छांव में बेटा था में, हाथ में लेकर कुल्हाड़ी , गर्मी से था हाल बुरा, प्यास से था मेरा गला सुखा, सोच रहा था में इस गर्मी में, कौन से पेड़ में आज निकालू हाथ में लेकर कुल्हाड़ी बैठ उसी पेड़ की छांव सोचू। तेज हवाओं के झोंके ने, शीतलता का चांटा मारा मानो मुझे से बोल रहा हो, तुम अगर यूं ही हर दम मुझको करोगे तो कहां से ये ठंडी छांव पाओगे गर्मी से ये धरती जल जायेगी मिट जायेगी फिर कहां से अपना घर पाओगे। अपनी गलती अपने आप समझ गया में अपना पाप chaon बेटा हुआ एहसास इस डरती में ही है अपना विकास। आशु ©ASHU छांव