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Motivational indar jeet group
जीवन दर्शन 🌹 जरूरी नहीं है कि निकट का व्यक्ति " दृष्टि दोष " की वजह से आपको देख नहीं पा रहा हो , हो सकता उसे विचार दोष का रोग हो !.i. j ©motivationl indar jeet guru #जीवन दर्शन 🌹 जरूरी नहीं है कि निकट का व्यक्ति " दृष्टि दोष " की वजह से आपको देख नहीं पा रहा हो , हो सकता उसे विचार दोष का रोग हो !.i. j
Anita Saini
स्त्री-चरित्र का प्रायः “परिधान” से आँकलन होता है! यद्यपि! इस प्रकार से चरित्र निर्धारण उचित नहीं है! चूँकि, पुरूष अर्धनग्न भी हो तो वो चरित्रहीन नहीं होता! कारण...? अर्धनग्न पुरूष पर क्यूँ किसी स्त्री की कुदृष्टि नहीं पड़ती.. कारण...? केवल दृष्टि दोष! क्योंकि शरीर ढँकने से दृष्टि की नग्नता नहीं ढकती! स्त्री-चरित्र का प्रायः “परिधान” से आँकलन होता है! यद्यपि! इस प्रकार से चरित्र निर्धारण उचित नहीं है! चूँकि, पुरूष अर्धनग्न भी हो तो वो चरि
Parul Sharma
उनकी राह पे बेताब ये आँखें उनके प्यार पे निसार ये आँखें तनहाई हो या कोई जलसा बिन उनके बेजार ये आँखें ये दृष्टि दोष है या लगा कोई चश्मा जहाँ भी देखो नजर आता उनका चेहरा हाय रे बड़ी बेकार है ये आँखें या तो अपने दिल को भी करो मेरे लिये फ़ना नहीं तो बदललो सरकार ये आखें पारुल शर्मा उनकी राह पे बेताब ये आँखें उनके प्यार पे निसार ये आँखें तनहाई हो या कोई जलसा बिन उनके बेजार ये आँखें ये दृष्टि दोष है या लगा कोई चश्मा जहाँ
mukesh verma
Parasram Arora
याद है मुझे वो नैराशय और हताशा वाले दिन ज़ो मुझे मरने के लिये प्रेरित करते थे कभी लेकिन जबसे मेरी मानसिकता मे आशावादी विचारधारा की घुसपैठ हुईहै .... तबसे मैने खुलकर जीने का मन बना लिया है और अबमूझे न जाने क्यों ये दुनिया खूबसूरत लगने लगी है और अब मुझे इस जगत के साथ.जगत का प्रत्येक प्राणी भी प्यारा लगने लगा है.... अब मुझे इस धरती की लालाती संध्याये और नभ का सिंदूरी क्षतिज़ भी भाने लगा है..... सूर्य के चारो तरफ घूमती हुई ये पृथ्वी. और ग्रहो की चाल... और ये अबाधित अनंतता का चमत्कार मेरीलघुता. क़ो प्रिय लगने लगा है और मुझमे इस विराट के प्रति एकात्मकता की एक तीव्र लालसा का संचार होने लगा है.. . कदाचित दृष्टि बदलने से ही सृष्टि भी बदल जाती है इसका आभास भी मुझे होने लगा है ©Parasram Arora दृष्टि बनाम सृष्टि
Parasram Arora
नयनाभिराम रंगो से सज़ी है सृष्टि हमारी लेकिन दृष्टि हमारी बाधित है बंधक है विचारों और धारणऔ के अरणय मे जो असमर्थ है इस मनमोहक छवि क़ो भी देखने मे ©Parasram Arora सृष्टि और दृष्टि