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Parul Sharma
ज़िन्दगी की रफ़्तार सड़कों पर हादसों का भीड़ में वारदातों का रिश्तों में धोखों का प्रकृति में प्रदूषण का जीवों में जीवाश्म का खून में प्रिजर्वेटिविस का मिट्टी में पैस्टीसाइड,इनसैक्टीसाइड का उर्वरता में पॉलीथीन का आस्था में आतंकवाद का मानवता में स्वार्थ का वाकई विकास हो रहा है। पारुल शर्मा #NojotoQuote सड़कों पर हादसों का भीड़ में वारदातों का रिश्तों में धोखों का प्रकृति में प्रदूषण का जीवों में जीवाश्म का खून में प्रिजर्वेटिविस का मिट्टी म
Parul Sharma
भीड़ सड़कों पर हादसों का भीड़ में वारदातों का रिश्तों में धोखों का प्रकृति में प्रदूषण का जीवों में जीवाश्म का खून में प्रिजर्वेटिविस का मिट्टी में पैस्टीसाइड,इनसैक्टीसाइड का उर्वरता में पॉलीथीन का आस्था में आतंकवाद का मानवता में स्वार्थ का वाकई विकास हो रहा है। पारुल शर्मा सड़कों पर हादसों का #भीड़ में वारदातों का रिश्तों में धोखों का #प्रकृति में #प्रदूषण का #जीवों में #जीवाश्म का #खून में #प्रिजर्वेटिविस का #
Sumit shukla Ss
तीन रंगों से मिलकर बना तिरंगा , आन बान शान से गगन में लहराता है, इसको देख मन हर्ष से प्रफुल्लित हो जाता है, पहला रंग केसरिया साहस और बलिदानी है , दूसरा रंग श्वेत सच्चाई, शांति और पवित्रता की निशानी है, तीसरा रंग हरा विश्वास, उर्वरता, खुशहाली, समृद्धि और प्रगति का दर्शाता है , अशोक चक्र हमे मानव जीवन के 24 गुणों को दर्शाता है, तीन रंगों से मिलकर बना तिरंगा , आन बान शान से गगन में लहराता है।। ©Sumit shukla Ss तीन रंगों से मिलकर बना तिरंगा , आन बान शान से गगन में लहराता है, इसको देख मन हर्ष से प्रफुल्लित हो जाता है, पहला रंग केसरिया साहस और बलिदानी
AK__Alfaaz..
प्रेम की जुती हुयी मिट्टी की जमीन.. समर्पण की उर्वरता लिए हुए.. फिर भी इसके भाग्य का.. एक कोना ऊसर हो गया.. एकदम से एक दरार पड़ गयी.. प्रेम के माथे पर कलंक सा उभर आया.. त्याग के बादलों ने नैनों के नीर से.. प्रेम की जमीन को.. बरसों बरस जी भरकर भिगोया.. और...वो अरसे तक निश्छल भाव से.. खुद में सब सोखती गयी.. फिर जीवन के उस मरू धरातल पर.. अहसासों,संवेदनाओं और दर्द की बाढ़ आ गयी.. जिसमें प्रीत,विश्वास सब बहकर.. उससे कोसों दूर चले गए.. #पूर्ण_रचना_अनुशीर्षक_में #कलंक प्रेम की जुती हुयी मिट्टी की जमीन.. समर्पण की उर्वरता लिए हुए.. फिर भी इसके भाग्य का.. एक कोना ऊसर हो ग
AK__Alfaaz..
आश्विन नवरात्रि, जब देवी आगमन हुआ, प्रथम शैलपुत्री पूजित हुयी, किंतु, अमावस्या को, अंत्यज माना गया उसे, अगले चार दिवस की चौथ, वो..देवी होकर भी, देवालय से बाहर कर दी गई, पूजित होगी नौ दिन, शक्ति स्वरूपा, और.., उन्हीं दिनों, विरक्त हो जायेंगे उसके देव उससे, #पूर्ण_रचना_अनुशीर्षक_मे #स्त्री_चौथ आश्विन नवरात्रि, जब देवी आगमन हुआ, प्रथम शैलपुत्री पूजित हुयी, किंतु,
Aprasil mishra
"जीवन का प्रत्येक कर्म एक उचित कालखण्ड में ही संपादित होने पर फलीभूत होता है। उदाहरण - यदि अधेड़ उम्र अक्षर ज्ञान प्राप्त किया जाये एवं उद्यमवृत्ति का प्रयास जीवन के अंतिम क्षणों में हो तो वह फलसाध्य नहीं रह जाता कारण असमय प्रबंधन। अवसरों के कालक्रमों के अनुकूल कार्ययोजनाओं का शून्य हस्तक्षेप के साथ संपादन होना चाहिए, संतति जीवन के विकासपथ में किसी भी पूर्वाग्रही विचारधारा के कारण अवरोध बनने से बचे रहना उसके संरक्षकों का नैतिक दायित्व होता है जिसके अनुपालन को अनिवार्यतः सुनिश्चित किया जाना चाहिए।" मत राहों में अवरोध बनो गंतव्य पुत्र को चुनने दो, अपने अतृप्त अभिलाषाओं का ग्रास उसे मत बनने दो। उसके भी ख्वाबों की दुनिया शायद बि
Brandavan Bairagi "krishna"
।।उर्वरा।। मन मे मिलाओ अच्छे विचारों की उर्वरा। लोगों के अच्छे मानो मशविरा। बुराई को उखाड़ फेंको तुरंत। काम बन रहे हो गर लोगों के,बातों का मत चलाओ वहाँ उस्तरा। जो कुछ कहना है किसी से भी कह दो खरा-खरा। ©Brandavan Bairagi "krishna" ।।उर्वरा।। #nightsky
ज्योति ਠਾਕੁਰ
अगर अब भी घमंड है झूठी काया पर, तो एक रोज वहाँ भी जाओ ,जहाँ आज लाइन लगी है । #नश्वरता
Parasram Arora
जीवन कुछ नहीं हैँ बस उसे तो रण चुकाना हैँ इस देह का समय और काल शाश्वत हैँ नश्वर फूल अकेला हैँ इस उपवन का विस्तीर्ण हैँ सागर की सतह तो क्या हुआ आदमी का जीवन तो बस जैसे तिनके का राग रंग और उत्स्व की महिमा हैँ कितनी जब उतरा आँगन मे झोंका उस. महा मृत्यु का हैँ भविष्य कितना बादल पर बैठी उस बूँद का तपी चट्टान पर गिर जब वो बन जाती भाफ क्या कह सकेंगे हम ये पाप था उस नश्वरता का ? नश्वरता........
Suresh Kumar Chaturvedi
घटना से आहत है मानवता सौ निहंगों ने मिलकर मारा, एक अकेला लखबीर नृशंस और बर्बरता की, शर्मशार तस्वीर ये कैसीं कट्टरता है,कैसीं धर्मांन्धता? क्या आपका ऐंसा कृत्य? गुरु ग्रंथ साहिब की आत्मा को चोट नहीं पहुंचाता? घटना से आहत है मानवता,आहत है जन जन ईश्वर सद्बुद्धि दे, पश्चाताप करे आपका मन सुरेश कुमार चतुर्वेदी ©Suresh Kumar Chaturvedi #बर्बरता