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Pawan Paagal

उन्हें बरनोल से राहत , कभी भी हो नहीं सकती ।। #WoTil #शायरी

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Poetry with Avdhesh Kanojia

#corona #ayurveda #Barnwal #poem #Poetry आयुर्वेद की वायु से, वामपंथ गया हिल। माँग बढ़ी बरनोल की, आया कोरोनिल।। ✍️avdhesh kanojia #कहानी

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आयुर्वेद की वायु से, वामपंथ गया हिल।
माँग बढ़ी बरनोल की, आया कोरोनिल।।
✍️avdhesh kanojia© #corona #ayurveda #Barnwal #poem #Poetry 

आयुर्वेद की वायु से, वामपंथ गया हिल।
माँग बढ़ी बरनोल की, आया कोरोनिल।।

✍️avdhesh kanojia

Poetry with Avdhesh Kanojia

#coronavirus #coronameme #corona #coroNil #poem poetry #Health आयुर्वेद की वायु से, वामपंथ गया हिल। माँग बढ़ी बरनोल की, आया कोरोनिल।। ✍️अ

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आयुर्वेद की वायु से, वामपंथ गया हिल।
माँग बढ़ी बरनोल की, आया कोरोनिल।। #coronavirus #coronameme #corona #coronil #poem #poetry #health 

आयुर्वेद की वायु से, वामपंथ गया हिल।
माँग बढ़ी बरनोल की, आया कोरोनिल।।

✍️अ

Poetry with Avdhesh Kanojia

#Politics #bjp #Modi #ModiJi #politicians #PrimeMinister #rahulgandhi #Kejriwal एग्जिट पोल ने खोल दी है ठगबंधन की पोल। आवश्यकता हो तो ले ले

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एग्जिट पोल ने खोल दी है ठगबंधन की पोल।
आवश्यकता हो तो ले लेना बेजिझक बरनॉल।।
🤣
✍️अवधेश कनौजिया© #politics #bjp #modi #modiji #politicians #primeminister #rahulgandhi #kejriwal 
एग्जिट पोल ने खोल दी है ठगबंधन की पोल।
आवश्यकता हो तो ले ले

Prakhar Kushwaha 'Dear'

भाग - ५ मैं राजनीति सा बड़बोला, तुम संविधान की ख़ामोशी। मैं दल-बदलू एक नेता हूँ, तुम न्याय बांटती संतोषी।। मैं बेईमानी की रिश्वत हूँ, #yqbaba #yqdidi #yqtales #yqhindi #yqquotes #yqpoetry #dearsdare #prematirek

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आप सभी को प्रखर कुशवाहा के नमस्कार! 🙏

लीजिए पेश-ए-ख़िदमत है "प्रेमातिरेक भाग-५"

आप सभी ने मेरी इस श्रृंखला को बेहद प्यार दे सफ़ल बनाया है,,
आप सभी का मैं दिल से आभारी हूँ,, 
बहुत बहुत शुक्रिया आप सभी का।।
शायद श्रृंखला का यह अंतिम भाग हो।

सभी भाग पढ़ने के इच्छुक, मुझे cmnt करके बता सकते हैं।
मैं आपको tag कर दूंगा। 😊

पढ़ने से पहले मैं बताना चाहूँगा कि रचना पढ़ते वक्त शीर्षक "प्रेमातिरेक" को ध्यान में रखें ,, शीर्षक कवि की अपनी अमूर्त प्रेयशी के प्रति अगाध प्रेम को प्रदर्शित करता है। जिसके चलते कवि ख़ुद को तुच्छ और अपनी सखी को उच्च दर्जा प्रदान कर रहा है ना कि समस्त पुरुष जाति को महिला जाति से निम्न दिखाने का प्रयास कर रहा है।
अगर प्रेयशी कवि के भावों से अवगत होगी तो तुच्छ और उच्च का कोई महत्व नहीं रह जाता,, रह जाता है तो सिर्फ़ "प्रेम"।

बहुत बहुत धन्यवाद! 🙏

👇👇👇👇👇👇👇👇👇👇👇 भाग - ५

मैं राजनीति सा बड़बोला,
तुम संविधान की ख़ामोशी।
मैं दल-बदलू एक नेता हूँ,
तुम न्याय बांटती संतोषी।।

मैं बेईमानी की रिश्वत हूँ,
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