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Parasram Arora
कोई पुरखो को पानी पहुंचा रहा हैँ कोइ गंगाओ मे पाप धो रहा हैँ कोई पथर की प्रतिमाओं के सामने बिना भाव सर झुकाये बैठा हैँ धर्म के नाम पर हज़ार तरह की मूढ़ताएं प्रचलन मे हैँ धर्म से संबंध तो तब होता हैँ जब आदमी जागरण की गुणवत्ता हासिल कर लेता हैँ जहाँ जागरण होगा वहा अशांति कभी हो ही नहीं सकती क्यों कि जाग्रत आदमी विवेकी होता हैँ इर्षा क्रोध की वृतियो से ऊपर उठ चुका होता हैँ औदेखा जाय तो धर्म औऱ शांति पर्यायवाची शब्द हैँ धर्म औऱ शांति...... पर्यायवाची शब्द हैँ
प्रभाकर अजय शिवा सेन
जग की पर्यावाची मघा😁😁😁😂😄😅 ©प्रभाकर अजय शिवा सेन जग का पर्यावाची #Roses
brijesh mehta
................................... .. ©brijesh mehta प्रेम का कोई समानार्थक, प्रायवाची शब्द नहीं है, दुनिया में!
Rajesh rajak
अब तो बिस्तर भी खफा हो कर कहने लगे, ओ गश्त में गाफिल सिपाही,जब सोना नहीं था तो बिछाया क्यों था। जबाब दिया मैंने बिस्तर को,,,,जा एक एहसान कर दे, शहर की सलामती के लिए नींदे कुर्बान करने दे मुझे,जो फैला रहे हैं नफरतें नींद उनकी आंखो में भर दे, सो लूंगा में भारत मां की गोद में,तिरंगे में लिपटकर,जो खेल रहे हैं अमन से हवश उनकी पूरी कर दे। सिपाही का बिस्तर
"Kumar शायर"
दूर से देखो तो हर चीज छोटी नजर आती है, मतलब के बुझते दियो के आगे तो हर किसी की तस्वीर धुंधली नजर आती है, वादे वफ़ा जो मतलब के आगे जताया करते है, वो अपने मतलब का साथ, पीछे से काटे बिछाया करते है, उनको नही ये मालूम के हम भी उन्ही काँटों पे अपना बिस्तर बिछाया करते है.✍️✍️✍️ Written:- By Umesh kumar #काँटों का बिस्तर
Parasram Arora
खून को पानी का पर्यायवाची मत मान. लेना अनुभन कितना भी कटु क्यों न हो वो.कभी कहानी नही बन सकताहै उस बसती मे सच बोलने का रिवाज नही है यहां कोई भी आदमी सच.को झूठ बना कर पेश कर सकता है ताउम्र अपना वक़्त दुसरो की भलाई मे खर्च करता रहा वो ऐसा आदमी कुछ पल का वक़्त भी अपने लिये निकाल नही सकता है ©Parasram Arora पर्यायवाची......
manoj kumar jha"Manu"
धरती का दुःख क्यों, समझते नहीं तुम। धरा न रही अगर, तो रहोगे नहीं तुम।। सुधा दे रही है वसुधा हमें तो, भू को न बचाया, तो बचोगे नहीं तुम।। "भूमि हमारी माता, हम पृथिवी के पुत्र"* वेदवाणी कह रही, क्या कहोगे नहीं तुम।। (स्वरचित) * माता भूमि: पुत्रो अहं पृथिव्या: (अथर्ववेद १२/१/१२) धरती का दुःख हम नहीं समझेंगे तो कौन समझेगा। इसमें धरती के पर्यायवाची शब्द भी हैं।
अनुषी का पिटारा "अंग प्रदेश "
फिक्र करने वाला आपका अपना है, बाकी तो ख़्वाब है वह रिस्ते जो खुद में रमा अपना है ©अनुषी का पिटारा.. #रिस्ता #रिस्ते #संबंध
it'sme
शब्द...... जिस प्रकार पेड़ की जड़े मिट्टी के कटाव को रोकती है और मिट्टी का गीलापन पेड़ को पकड़ कर मजबूती से रखता है उसी तरह शब्दों की मिठास हमारे रिश्तों को अटूट रखता है। word.. The way the root of tree prevents soil erosion and wetness of soil holds the tree and keeps it firm In the same way the sweetness of words keeps our relationships unshakable. ©it'sme #शब्द #रिस्ते #प्रेम
prerna singh
मशहूर शुरु के रिश्तों में बस फूल की खुबसूरती दिखती है। चुभने लगते हैं फिर काँटे, ज्यादा पास आते हीं। रिस जाते हैं फिर रिश्ते, गिनाई जाती है कमी फिर फूल की। निभ पाते बस उनसे, जिनकी हथेलीयाँ थामे रखती फूल की खुशबू। जो जानते स्वयं की कमी भी की क्यों चुभे शूल सुन्दरता के पास भी। थामना सम्भल के रिश्तों का फूल, दर्द मिले तो स्वयं की भूल को भी करना कबूल ©prerna singh #रिश्ता #रिस्ता #रिस्ते #रिश्ते