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Pushpvritiya
मैं कभी पथविहीन नहीं होती हां....भावविहीन अवश्य हो जाती हूं.... यात्रा....... केवल गमन से गंतव्य तक भाव रहित विधेय मनन से मंतव्य तक... कहते हैं..... भाव विहीन कर्म निष्फल जाते हैं आश्चर्य..... कर्म में फल की अपेक्षा का योग भी पाते हैं..... मेरे अनुसार तो नहीं...... खैर.... यूं रिक्त हो विधेय दिशानिर्देश अवश्य दे पाऊंगी..... हां... अंत परिणत शिला हो जाऊंगी.... संतापित मन भुरभुरा रह जाएगा स्पर्श मात्र जो ढह जाएगा..... कहेगा.... एक और कर्म रिक्त हो एक और बार कर। स्वकर्म यज्ञ पूर्णाहुति में मेरा अंतिम संस्कार कर......... @पुष्पवृतियां ©Pushpvritiya विधेय अर्थात कर्तव्य #Searching
Prince Singh Rana
प्रेम की डोर अदृश्य होती है , फिर भी प्रेमी और प्रेमिका के मध्य इतना अटूट सम्बन्ध होता है , जिसको देख कर लगता है जैसे कि मानो जन्मों जन्मों का रिश्ता है..... प्रेम में विश्वास होना चाहिए ना की अंध विश्वास! प्रेम में जितनी दूरियां होंगी प्रेम उतना ही गहरा होता है , ज्यादा करीबिया बढ़ जाने से प्रेम सम्बन्ध खराब होने लगता है... सच्चा प्रेम वहीं है जो प्राप्त ना हो ! सच्चा प्रेमी वहीं है जो त्याग कर सके! # प्रेम की परिभाषा ही त्याग और समर्पण है
Srashti Gauri Agrawal
"कभी आशा की 'खुशी' कभी निराशा का 'गम' कभी कुछ खोकर कभी, कुछ पाने की आशा शायद यही है जिंदगी की परिभाषा।" ©Srashti Gauri Agrawal जिंदगी की परिभाषा।
Asmita Rana
हिंदी दिवस प्यार की कोई भाषा नहीं होती ना ही कोई जात ,धरम होता है। कहने को तो सिर्फ ढाई अक्षर होते है प्रेम में, मगर इसका अर्थ अनमोल होता है। प्रेम के अनेक स्वरूप दिखते है इस दुनिया में, एहसास और विश्वाश ये दोनों जिसकी निब है। एहसास जो कोसो दूर रहकर भी उस इंसान और उसके दर्द को महसूस कर ले। विश्वाश वो है जो पत्थर को भी अपने प्रेम से मूर्ति करदे। बस मेरे लिए यही प्यार है।। #Asmita #प्यार की परिभाषा
Pragya Amrit
गुरु की परिभाषा, बस ज्ञान की अभिलाषा। खोजोगे जब तुम गुरु, सीखना कब हो शुरू। जो नया कुछ भी सीखा दे, जो थोड़ा अग्रसर बना दे। सिख लों उस पल सदा, कर अहम को विदा। ज्ञान पूरा हो कभी ना, ये तो सिंधु से भी गहरा, जितना डूबोगे भंवर में। खिचेगा ये और उतना।। बाल्य,तिनका,चींटी सीखा दे, चीज छोटी हो कोई ना। हर ओर प्रभु की जैसे माया, पत्थर में भी हैं गुरु समाया।। #गुरु की परिभाषा.......