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Ankur tiwari
फल फूल सगरो दउरा में धराई गइल बा ठेकुआ,खस्ता,पूड़ी सगरो छना गइल बा लेके हाथे में सुपोली बबुनी बोले मीठी बोली ठेहूना भर पानी बीच भौजी जाके खड़ा होली देली अरघा सुरुजमल के गावत बाली गीतिया राखअ सबका के सुखी ये हमार छठीय मइया ✍️ अंकुर तिवारी ©Ankur tiwari #chhat फल फूल सगरो दउरा में धराई गइल बा ठेकुआ,खस्ता,पूड़ी सगरो छना गइल बा लेके हाथे में सुपोली बबुनी बोले मीठी बोली ठेहूना भर पानी बीच भौजी
JALAJ KUMAR RATHOUR
मैंने पहली बार इस प्रकार के व्यंजन का नाम सुना था।फिर मैंने उसका नाम पूछा तो वो बोली तुम्हारे लिए "ठेकुआ वाली"।क्लास खत्म होने की बेल बजी और सब लोग दूसरे क्लास लेने को चल दिए। मैं वहीं ठहरा था जैसे किसी बहते समंदर में कोई टापू। ©JALAJ KUMAR RATHOUR *ठेकुआ वाली का क्राइम पार्टनर** दिवाली की छुट्टियों के बाद जब कॉलेज दोबारा गए तो क्लास लेने का मन ही नहीं करता था।कुछ दिन बाद क्लास को को-ए
Utkrisht Kalakaari
Priya Kumari Niharika
शीर्षक : हम रंगरेज बिहार हैं वैदेही की जन्मभूमि, गुरु गोविंद जी का प्यार है, मगही, मैथिली, भोजपुरी और उर्दू का संसार है दाव सियासी खेल में हम तो, तैर के गंगा पार है। अद्भुत है अंदाज हमारा, हम रंगरेज बिहार हैं नागार्जुन की रचना हम, रेणु की हुंकार हैं। दिनकर के राष्ट्रप्रेम हम, विद्यापति के श्रृंगार हैं अष्टवक्र और अश्वघोष के ज्ञान का भंडार है अद्भुत है अंदाज हमारा, हम रंगरेज बिहार हैं नालंदा के गौरव हैं, विक्रमशिला के आधार हैं पाणिनि का व्याकरण है, बुद्ध के हम संस्कार हैं मधुबनी की चित्रकला, अविचल पर्वत मंधार हैं अद्भुत है अंदाज हमारा, हम रंगरेज बिहार हैं गणित और साहित्य में बबुआ, सबसे हम होशियार हैं रिक्शा खींच के दिए कलेक्टर, अनपढ़ न गवार हैं धोनी का क्रिकेट मैच है, रतन टाटा का व्यापार है अद्भुत है अंदाज हमारा, हम रंगरेज बिहार हैं लिट्टी चोखा के क्या कहने, बड़ा लजीज अचार हैं ठेकुआ, पूड़ी लौंगलता और खाजे का बाजार है सभी धर्म को शरण दिया है,सब आपन परिवार हैं अद्भुत है अंदाज हमारा, हम रंगरेज बिहार है बिंदुसार की सल्तनत हम, गांधी के गुहार हैं चंद्रगुप्त के महाशोर्य हम, अशोक के अधिकार हैं महावीर का ज्ञान धर्म, और मिथिला के हम द्वार हैं अद्भुत है अंदाज हमारा, हम रंगरेज बिहार हैं सर्वप्रथम गणतंत्र बने हम, बेनीपुरी की दहाड़ हैं जुर्म किये जो इस माटी में, दिया उसे तिहाड़ है बजरंगी के भक्त है बबुआ, कुंवर कि हम तलवार हैं अद्भुत है अंदाज हमारा, हम रंगरेज बिहार हैं बिस्मिल्लाह के सुर हैं हम, मगध के हम आकार हैं आर्यभट्ट के अविष्कार हम, राजेंद्र के विचार हैं छठ, दशहरा, रामनवमी के हर्ष के हम त्यौहार हैं अद्भुत है अंदाज हमारा, हम रंगरेज बिहार हैं गया, राजगीर, पावापुरी, शेरशाह के दरबार हैं मोक्ष ज्ञान की गया है नगरी, जनक के हम दुलार हैं शत्रु का बुखार कहो या सिंह के हम प्रहार हैं अद्भुत है अंदाज हमारा, हम रंगरेज बिहार हैं ©Priya Kumari Niharika शीर्षक : हम रंगरेज बिहार हैं वैदेही की जन्मभूमि, गुरु गोविंद जी का प्यार है, मगही, मैथिली, भोजपुरी और उर्दू का संसार है दाव सियासी खेल में
Sudha Tripathi
छठ पूजा कार्तिक शुक्ल पक्ष षष्ठी तिथि को मनाया जाता है निर्जला व्रत किया जाता है ,प्रसाद रखने के लिए बांस की बड़ी टोकरियाँ बांस या फिर पीतल का सूप दूध अर्घ् के लिये गन्ने शकरकन्द पान, सुपारी,हल्दी मूली, अदरक का हरा पौधा बड़ा मीठा नींबू शरीफा, केला और नाशपाती पानी वाला नारियल मिठाई गुड़ गेंहू चावल और आटे से बना ठेकुआ चावल ,सिंदूर ,दीपक ,शहद और धूप नए वस्त्र जैसे धोती या साड़ी उपयोग में लाए जाते हैं चार दिन तक चलने वाले इस महापर्व की शुरुवात नहाय खाय से होती है इस दिन व्रती स्नान कर नए वस्त्र धारण कर पूजा के बाद चना दाल,कद्दू की सब्जी और चावल को प्रसाद के तौर पर ग्रहण करते हैं व्रती के भोजन करने के बाद परिवार के सभी सदस्य भोजन ग्रहण करते हैं ,छठ पूजा के दूसरे दिन खरना के नाम से जाना जाता है जिस दिन पूरे दिन निर्जला व्रत होता है और शाम के समय लकड़ी के चूल्हे पर गुड़ का खीर बनाकर उसे प्रसाद के तौर पर खाती हैं महिलाओं का 36 घण्टे का निर्जला उपवास शुरू हो जाता है पौराणिक कथाओं के अनुसार मान्यता है कि खरना पूजा के बाद ही छठी मैया का घर मे आगमन होता है ,छठ पूजा के तीसरे दिन तक व्रती निर्जला उपवास रखते हैं साथ ही छठ पूजा का प्रसाद तैयार करते हैं ,शाम के समय नए वस्त्र धारण कर परिवार संग किसी नदी या तालाब पर पानी मे खड़े होकर डूबते हुए सूरज को अर्ध्य देते हैं तीसरे दिन का निर्जला उपवास रात भर जारी रहता है . छठ पूजा के चौथे दिन पानी मे खड़े होकर उगते यानि उदयमान सूर्य को अर्ध्य दिया जाता है.इसे उषा अर्ध्य या पारण दिवस भी कहा जाता है अर्ध्य देने के बाद व्रती एक दूसरे को प्रसाद देकर व्रत खोलते है .36 घण्टे का व्रत सूर्य को अर्ध्य देने के बाद तोड़ा जाता है इस व्रत की समाप्ति सुबह के अर्ध्य यानि दूसरे और अंतिम अर्ध्य को देने के बाद होती हैं इस व्रत मे पवित्रता का विशेष ध्यान रखा जाता है हमारे लिए सबसे बड़ा त्योहार है छठ महापर्व 🙏🙏🙏🙏🙏🙏 छठ पर्व की हार्दिक शुभकामनाएं ©Sudha Tripathi छठ पूजा कार्तिक शुक्ल पक्ष षष्ठी तिथि को मनाया जाता है निर्जला व्रत किया जाता है ,प्रसाद रखने के लिए बांस की बड़ी टोकरियाँ बांस या फिर पीतल
Sudha Tripathi
छठ पूजा कार्तिक शुक्ल पक्ष षष्ठी तिथि को मनाया जाता है निर्जला व्रत किया जाता है ,प्रसाद रखने के लिए बांस की बड़ी टोकरियाँ बांस या फिर पीतल का सूप दूध अर्घ् के लिये गन्ने शकरकन्द पान, सुपारी,हल्दी मूली, अदरक का हरा पौधा बड़ा मीठा नींबू शरीफा, केला और नाशपाती पानी वाला नारियल मिठाई गुड़ गेंहू चावल और आटे से बना ठेकुआ चावल ,सिंदूर ,दीपक ,शहद और धूप नए वस्त्र जैसे धोती या साड़ी उपयोग में लाए जाते हैं चार दिन तक चलने वाले इस महापर्व की शुरुवात नहाय खाय से होती है इस दिन व्रती स्नान कर नए वस्त्र धारण कर पूजा के बाद चना दाल,कद्दू की सब्जी और चावल को प्रसाद के तौर पर ग्रहण करते हैं व्रती के भोजन करने के बाद परिवार के सभी सदस्य भोजन ग्रहण करते हैं ,छठ पूजा के दूसरे दिन खरना के नाम से जाना जाता है जिस दिन पूरे दिन निर्जला व्रत होता है और शाम के समय लकड़ी के चूल्हे पर गुड़ का खीर बनाकर उसे प्रसाद के तौर पर खाती हैं महिलाओं का 36 घण्टे का निर्जला उपवास शुरू हो जाता है पौराणिक कथाओं के अनुसार मान्यता है कि खरना पूजा के बाद ही छठी मैया का घर मे आगमन होता है ,छठ पूजा के तीसरे दिन तक व्रती निर्जला उपवास रखते हैं साथ ही छठ पूजा का प्रसाद तैयार करते हैं ,शाम के समय नए वस्त्र धारण कर परिवार संग किसी नदी या तालाब पर पानी मे खड़े होकर डूबते हुए सूरज को अर्ध्य देते हैं तीसरे दिन का निर्जला उपवास रात भर जारी रहता है . छठ पूजा के चौथे दिन पानी मे खड़े होकर उगते यानि उदयमान सूर्य को अर्ध्य दिया जाता है.इसे उषा अर्ध्य या पारण दिवस भी कहा जाता है अर्ध्य देने के बाद व्रती एक दूसरे को प्रसाद देकर व्रत खोलते है .36 घण्टे का व्रत सूर्य को अर्ध्य देने के बाद तोड़ा जाता है इस व्रत की समाप्ति सुबह के अर्ध्य यानि दूसरे और अंतिम अर्ध्य को देने के बाद होती हैं इस व्रत मे पवित्रता का विशेष ध्यान रखा जाता है हमारे लिए सबसे बड़ा त्योहार है छठ महापर्व 🙏🙏🙏🙏🙏🙏 ©Sudha Tripathi छठ पूजा कार्तिक शुक्ल पक्ष षष्ठी तिथि को मनाया जाता है निर्जला व्रत किया जाता है ,प्रसाद रखने के लिए बांस की बड़ी टोकरियाँ बांस या फिर पीतल
Nitish Sagar
छठ पूजा Read in caption👆 HAPPY CHHATH POOJA हम बिहारी ना तो दुर्गापूजा में ज्यादा खरीदारी करते हैं ना दिपावली में। हमसब छठ पूजा में खरीदारी करते हैं। छठ पूजा बिहार