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Ek villain
राजनीति में जब सत्ता लोग पता बस पार्टी की विचारी भावना को ही ताक पर रख दिया जाता है तब पार्टी में अंदरूनी कला और राजनीतिक ज्वालामुखी का विस्फोट तय माना जाता है इसका स्पष्ट और ज्वलंत उदाहरण शिवसेना है पूरे भारतवर्ष जानता है कि बाला साहब ठाकरे हमेशा से कांग्रेसी कट्टर विरोधी थे लेकिन उद्धव ठाकरे ने सत्ता का आनंद सुख भोगने और पुत्र को राजनीतिक भविष्य संवारने के चक्कर में पार्टी के हितों एवं हिंदुत्ववादी छवि को ही गवा दिया यह नहीं कांग्रेसी वीर सावरकर का सरेआम अपमान करती रही लेकिन सत्ता के लालच में डूबी तत्कालीन शिवसेना सोती रही कितनी बड़ी विडंबना है आज भी उधव ठाकरे राजनीतिक उठापटक के बावजूद एनएसपी की गुणगान करने से नहीं करते जो कि राजनीतिक एकता की ओर इशारा करती है पालघर में साधुओं की हत्या की उच्चतम न्यायालय ने सीबीआई जांच की सिफारिश एक सराहनीय कदम है ©Ek villain #राजनीतिक हास्य पर उद्धव ठाकरे #KarwachauthFast
Naresh Chandra
✍ *बेबाक कलम* ✍ *कड़वा सच*: कांग्रेस के हाथ की कठपुतली बने सिख किसान जो कि इस समय दिल्ली में धरना देने पर अड़े हुए है़ ! यदि वे 1984 को भी ऐसे ही दिल्ली कूच किए होते तो उस समय 7000 निर्दोष सिखों की हत्या होने से बच जाती... *सत्यमेव जयते* 😫😫 *हमारा देश तीन तरफ से समुद्र (नमक) से घिरा हुआ है,* और *चारों तरफ से नमकहरामो से* 🤔🤔🤔 सब कहते देश में मोदी ने भुखमरी ला दी परन्तु ,जैसे ही बीजेपी के खिलाफ आंदोलन होता है, पैसो की मशीन लग जाती है, *ना खाने की कमी होती, ना कंबल ना पेट्रोल डीज़ल की* 😱😱 कृपया पूरा अनुपूरक मे पढ़े 🙏 ©Naresh Chandra ✍ *बेबाक कलम* ✍ *कड़वा सच*: कांग्रेस के हाथ की कठपुतली बने सिख किसान जो कि इस समय दिल्ली में धरना देने पर अड़े हुए है़ ! यदि वे 19
Poetry with Avdhesh Kanojia
वामपन्थ की चरस में मदमत्त बातवीरों की मजदूरों के प्रति दिखावटी सहानुभूति वामपन्थ की चरस के मद में रहने वाले पत्रकार व रचनाकार बुद्धूजीवी, जो अपने घरों में बैठे बैठे प्रवासी मजदूरों के प्रति फेसबुक पर सहानुभूति दिखा कर व वर्तमान केंद्र सरकार को गरियाकर स्वयं को उनका हितैषी बना कर प्रस्तुत कर रहे हैं। इतिहास गवाह है कि जब भी मोदीजी जैसे नेता ने कुछ देशहित में कार्य करना चाहा तब बने बने काम पर उस्तरा फेरने के लिए #अर्बन_नक्सल गिरोह सक्रिय हो उठता है। वह यदि राज्य सत्ता में है तो उसने मजदूरों को राज्य छोड़ने पर विवश किया, ताकी बाद में जो समस्याएं जन्म लें उनका दोष सीधा मोदी सरकार पर मढ़ दिया जाए। शुरुआत दिल्ली व महाराष्ट्र से हुई जहाँ सत्ता में क्रमशः केजरीवाल और उद्धव ठाकरे मुख्यमंत्री हैं। उनमें एक वामपन्थ के उपासक व दूसरे वर्तमान में वामपन्थ के दास अर्थात कांग्रेस व एनसीपी के बंधुवा मजदूर हैं। और दूसरे वाले महाशय उद्धव व उनके भाई राज ठाकरे तो वैसे भी उत्तर भारतीयों और बिहारियों के कट्टर विरोधी रहे हैं अतः ये बंधुवा मजदूरी उद्धव जी के लिए वरदान सिद्ध हुई। एक और गौर करने वाली बात यह है कि दिल्ली या महाराष्ट्र से एक भी बांग्लादेशी व रोहिंग्या ने पलायन नहीं किया। कारण उनकी सेवा में दोनों राज्यों की सरकारों ने कोई कसर नहीं छोड़ी और बाकी प्रवासी मजदूरों को भूखे रहने की नौबत आ गई। भूख से व्याकुल होकर ही वे अपने अपने गाँव चल दिये। यदि उनके भोजनादि की व्यवस्था राज्य सरकारों द्वारा की गई होती तो कदाचित वे पलायन करने को विवश न होते। उत्तर प्रदेश जहाँ से मैं भी हूँ, बराबर वहाँ के हाल चाल लेता रहता हूँ। अभी तक सुनने में नहीं आया कि कोई भी गरीब वहाँ भूख से पीड़ित है। सबके लिए भोजन की व्यवस्था है। किन्तु अखण्ड विरोधियों को विरोध के लिये कोई न कोई मुद्दा तो चाहिए होता है, कुछ उन्हें स्वयं मिल जाते हैं और कुछ को वे षड्यंत्रबद्ध तरीके से जन्म देते हैं। हमने और हमारे मित्रों ने एक सर्वेक्षण किया और जो मजदूर महाराष्ट्र से लौट रहे थे उनसे पलायन का कारण (मेरे परम मित्र ने) पूछा तो एक ने बताया कि उनकी बस्ती में एनसीपी नेता द्वारा कहा गया था कि 20 लाख करोड़ का लाभ अपने मूल निवास अर्थात उनके पैतृक गाँव जाने पर ही मिलेगा। दूसरे प्रवासी ने बताया कि उन्हें बताया गया कि अब तुम्हे पूरे साल तुम्हारे गाँव मे ही रोजगार दिया जाएगा अतः यहाँ परिवार से दूर रहने की कोई आवश्यकता नहीं है। खैर ये बातवीर लोग केवल फेसबुक पर विरोध जी बातें ही लिख सकते हैं, ज़रूरत मन्दों के लिए कुछ नहीं कर सकते। जिन जेएनयू के वामपंथी छात्रों के समर्थन में वे अपनी कलमें घिसा करते हैं, वे प्रवासी मजदूरों के लिये कुछ नहीं करते दिख रहे और जिन्हें ये संघी, भगवा आतंकी, निक्करधारी आदि कह कह गरियाते रहते हैं वे अपने जीवन को संकट में डालकर उनकी सहायता कर रहे हैं, वह भी किसी की जाति या धर्म पूछे बिना, साथ ही जब से लॉक डाउन हुआ है तब से अभी तक जो गरीब, मजदूर आदि जहाँ कहीं भी हैं, उन्हें भोजन, दवा व रहने आदि की भी व्यवस्था कर हैं। हमारे जिले सहजिला कायर्वाह श्रीमान संजय जी ने तो जब 4 मजदूरों को एक स्थान और बेघर व भूखा देखा व उन्हें अश्रु देखे तो उन्हें अपने दूसरे मकान में रहने को स्थान दिया व भोजनादि की व्यवस्था की। जय माँ भारती ✍️अवधेश कनौजिया© वामपन्थ की चरस में मदमत्त बातवीरों की मजदूरों के प्रति दिखावटी सहानुभूति वामपन्थ की चरस के मद में रहने वाले पत्रकार व रचनाकार बुद्धूजीवी
Poetry with Avdhesh Kanojia
अवधेश कनौजिया #truth #politics #left #nationalist #राजनीति #life #lifequotes वामपन्थ को चरस के नशे में रहने वाले बातवीरों की मजदूरों के प्रति दिखावटी सह
Shiva Sultan
यूँ बेवजह।। मैं किसी से नहीं लड़ता।। शेर हूँ।। कुत्तों के भौकने से फर्क नहीं पड़ता।। #शेर #ठाकरे
Sthapak Harshita
कि हम न आयेंगे वापस उद्धव जाके कह देना हमारे ग्वाल वालों को इतनी इतला कर देना हमारे मां बाबा और सखियों को बता देना ना कान्हा लौट पाएगा उसको मांफ कर देना ©Sthapak Harshita # उद्धव कृष्ण प्रसंग