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shamawritesBebaak_शमीम अख्तर
हरेक खार पे सुर्ख़ गुलाब🌹 हरेक कली में रोशन_ए _चराग़..... इस जहन_ए_तसव्वुर में तफरी करने वाले तेरा तबस्सुम_ए_कहकशां कहाँ है..... ©shamawritesBebaak_ #Hugday हरेक*खार पे *सुर्ख़ गुलाब हरेक कली में*रोशन_ए _चराग़..... इस *जहन_ए_तसव्वुर में*तफरी करने वाले तेरा *तबस्सुम_ए_कहकशां कहाँ है.....✍️
manoj.77kumar
Wish you very happy birthday hardik हार्दिक के जन्मदिन पर हम सबकी ईश्वर से यही प्रार्थना है की जो भी वो चाहे वो सारी खुशियाँ जीवन में उसे मिले , दुख और तकलीफ की आंच भी उस पर ना आने पाये l दीर्घायु भव: आकाश गंगा मे तारों जितनी उम्र हो l यशस्वी भव: समंदर के अनंत पानी की तरह यश फेले l फूलों की तरह चहरे पर हमेशा मुस्कान बनी रहे l happy birthday love you my son Wish you very happy birthday hardik हार्दिक के जन्मदिन पर हम सबकी ईश्वर से यही प्रार्थना है की जो भी वो चाहे वो सारी खुशि
अशेष_शून्य
मेरी कविताएं तुम्हारे हर "स्पर्श" की उभरी हुई स्मृति चिन्ह हैं ; और इनके भाव तुम्हारे हर "आलिंगन" का "प्रतिउत्तर" !! ~© Anjali Rai (शेष अनुशीर्षक में) मेरी कविताएं तुम्हारे हर "स्पर्श" की उभरी हुई स्मृति चिन्ह हैं ; और इनके भाव तुम्हारे हर "आलिंगन का प्रतिउत्तर" !! फ़िर किसने कह दिया तुमस
Ujjwal Sharma
कितना कुछ बह रहा है आकाश,बादल, हवा, दरिया साँसे, धड़कन, मष्तिक, मन यहाँ तक कि पूरी आकाश गंगा भी ब्रमांड में बह रही है इन सबको बहता मैं तभी देख पाया जब मैंने इस्तिर होना सीखा पर इन सबके बीच मैं किसी और इस्तिर चीज़ को न देख पाया आख़िर ये कैसा आभास है? ये कैसी जागृति है? क्या मेरा रुकना ठीक है? क्या अनंत रूप में बहना ठीक है? मैं इन सवालों के जवाब नहीं जानता फिलहाल मैं और इस्तिर होने की कोशिश कर रहा हूँ हो सका तो नदी की धार में बड़ी सी चट्टान बन जाऊँगा या शायद बह जाऊँगा इन सवालों की लहर के साथ तुम बताओ क्या तुमने कभी किसी फूल को खिलते देखा है ? उज्ज्वल~ ©Ujjwal Sharma कितना कुछ बह रहा है आकाश,बादल, हवा, दरिया साँसे, धड़कन, मष्तिक, मन यहाँ तक कि पूरी आकाश गंगा भी ब्रमांड में बह रही है इन सबको बहता मैं तभी द
Akanksha
"आकाशगंगा सी मोहब्बत" (Read in Caption) अगर अपनी मोहब्बत को दुनिया मान बैठे हो ,तो जानते हो न नश्वर है सबकुछ ? पशु,पक्षी,प्राणी हर एक चीज़ का अंत है इस दुनिया में । ठीक उसी तरह संभव
i am Voiceofdehati
★निबन्ध★ अंधेरे का महत्व [प्रकाश प्रदूषण] #प्रकाशप्रदूषण #अंधेरे_का_महत्व प्रकाश प्रदूषण आधुनिक युग की सबसे भयावह समस्या बनती जा रही है। आज के युग में बिजली हर गांव शहर में पहुंच गई
Yashpal singh gusain badal'
तेरा और मेरा सत्य हर किसी का सच उसकी अनुभव एवं इसके द्वारा अर्जित ज्ञान और उसकी विवेक क्षमता पर होती है । जैसे यदि मैं यह कहूं कि पृथ्वी घूमती है तो एक साधारण व्यक्ति उसको सिरे से खारिज कर देगा और एक पढ़ा-लिखा व्यक्ति कहेगा कि हां मैंने पढ़ा है किताबों में । लेकिन एक वैज्ञानिक उसे सिद्ध करके दिखाएगा कि पृथ्वी घूमती है बल्कि वह यह भी बताएगा कि सूर्य भी आकाश गंगा के केन्द्र की परिक्रमा करता है। इसको परिक्रमा करनें में २२ से २५ करोड़ वर्ष लगते हैं, इसे एक निहारिका वर्ष भी कहते हैं। इसके परिक्रमा करने की गति २५१ किलोमीटर प्रति सेकेंड है। इस प्रकार तीन तरह के इंसानों के तीन उत्तर सकते हो सकते हैं । इसी प्रकार हमारे कई रूढ़िवादी सोच रीति रिवाज धार्मिक तौर तरीके हमारे आस्था और विश्वास से अर्जित ज्ञान को हमारे विचारों में समाहित करके हमारे सत्य के रूप में प्रतिष्ठित कर देते हैं । हालांकि वह पूर्ण सत्य नहीं होते मगर हम उन्हें सत्य मानकर ही चलते हैं इसी सत्य को हम जब वैज्ञानिकों प्रबुद्ध जनों विद्वानों एवं गुरुओं के द्वारा परिष्कृत की हुई भाषा में सुनते हैं तब हम समझ पाते हैं की वास्तविक सत्य क्या है । क्योंकि विद्वान लोग किसी भी विचार को उसके मूल रूप में स्वीकार नहीं करते जब तक वह इसे अपने विवेक से परिष्कृत न कर लें वे अपने हर विचार का अपने विवेक से मंथन करते हैं तदुपरांत वह मूल सत्य तक पंहुचते हैं । आज की सबसे बड़ी समस्या यही अर्ध सत्य है जो हमारे अंदर परिस्थितियों लोकाचारों, आस्था और विश्वास ,रीति रिवाज के द्वारा डाल दी जाती है और हम इन्हीं को अंतिम सत्य मानकर अपने विचार बना लेते हैं क्योंकि हर किसी का विचार उसके रीति रिवाज, आस्था -विश्वास, परिस्थितियों ,लोकाचारों, का परिणाम है . इसलिए वैचारिक भिन्नता के कारण आपस में द्वेष और कलह की स्थिति बन जाती है । और अन्ततः यही संघर्ष का कारण होता है । कुछ लोगों का इन आस्था विश्वास और रीति -रिवाज ,परंपराओं पर इतना अधिक अटूट विश्वास होता है कि वह हर रोज इसे अंतिम सत्य के रूप में प्रचारित करते हैं और इसमें किसी भी तरह का अविश्वास नहीं देखना चाहते हैं । और इसके लिए वे सबकुछ खत्म करने तक आ जाते हैं वह कभी नहीं चाहते कि इस विचार में कोई संशोधन हो या इस को परिष्कृत किया जाए। इसी से कट्टरवाद का जन्म होता है । इसी तरह तेरा सच मेरा सच का यह विवाद हमेशा अनवरत चलता रहता है । आज इंसान और इंसानों के बीच जो संघर्ष है और देश और देशों के बीच जो संघर्ष है । इसका मूल कारण विचार भिन्नता ही है । दुनिया का हर संघर्ष इसी विचार भिन्नता सत्यता - असत्यता, तेरा सच मेरा सच के कारण फल फूल रहा है। अब समस्या यह है कि अंतिम सत्य तक कैसे पहुंचा जाए और कैसे सभी को इससे जोड़ा जाए । ताकि सत्य को सम्यक विचार विचार बनाया जा सके ताकि सब का सत्य एक ही सत्य हो ताकि विश्व में जो भी वैचारिक संघर्ष है उसको खत्म किया जा सके । यदि विश्व के सारे वैचारिक संघर्ष वैचारिक भिन्नता खत्म हो जाएंगी तो विश्व में अंततः शांति स्थापित हो सकेगी । मेरे विचार मेरी कलम से - यशपाल सिंह बादल ©Yashpal singh gusain badal' तेरा और मेरा सत्य हर किसी का सच उसकी अनुभव एवं इसके द्वारा अर्जित ज्ञान और उसकी विवेक क्षमता पर होती है । जैसे यदि मैं यह कहूं कि पृथ्वी घूम
lalitha sai
सुनो.. जानते हो तुम.. प्रेम की रंगीन उस इंद्रधनुष को.. हर एक रंग में छुपा होता है.. एक अनोखा प्रेम रंग.. जो इस दिल को ही नहीं... रूह को भी हर रंग से रंग देता है... ❤️❤️ सुनो,, प्रेम को जानना हो जो तुम्हें, तो सम्पूर्ण रंगों को मिलाना एक में! फ़िर देखना जो रूप नज़र आएगी, प्रेम दिखेगा तब
Krish Vj
शीर्षक :- एहसास की दुनिया "कोरा काग़ज़" काग़ज की नाव बनाकर, चलना मैंने जल पर सीख लिया कोरा काग़ज़ संग एहसास लेखन के, यूँ ढलना सीख लिया पूर्ण निबंध पढ़िए.. अनुशीर्षक मेें 📖 🖋️ अंतिम चरण :- शीर्षक :- एहसास की दुनिया "कोरा काग़ज़" निबंध का शीर्षक जो उसकी आत्मा है, अर्थात आत्मा बिना जीवन की कल्पना असम्भव