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Babli Gurjar
अंतर्देशीय पत्र ही जाने कहां अंतर्ध्यान हो गए हैं सुना है अब संग्रहालयों में मेहमान हो गए हैं आजकल इंतज़ार का मौसम ही नहीं आता बढ़ गई खींचतान ऐसी की टिकता नहीं कोई नाता मोबाईल ने बहुत खूब बढ़ाई है नजदीकियां फिर भी पहले से कहीं ज्यादा बढ़ गई दूरियां रिश्तों को सही से समझने का मौका भी नहीं मिलता आपसी बातों को भी मुद्दा बनाने का चढ़ा चस्का घर में रहे या बाहर सबका एक सा है व्यवहार फिसलना बहाना बड़ी आम सी हो गई यह बात बेहद गिरी सोच व व्यवहार का बोलबाला छल रहा है सुरक्षित कोई भी नहीं समाज कैसा बदल रहा है बबली गुर्जर ©Babli Gurjar अंतर्देशीय पत्र
mr.jay
માર્ગ ईश्वर के मार्ग पर जब कोई एक कदम बढाता है। तो ईश्वर उसे थामने के लिए सौ कदम बढ़ाते है। #मार्ग
Sabir Khan
मार्ग पूर्व रचित हो सकते हैं, जिन पर चलकर आप अपना लक्ष्य प्राप्त कर सकते हैं। किंतु,,,,,, साहसी अपना मार्ग और लक्ष्य स्वयं रचते हैं। साहसी की सफलता ऐतिहासिक होती है। मार्ग
ankahi paheli
"नाकामियत और फरेबी का दामन छोड़ने सा लगा हूँ, मेहनत की माला मानो जपने सा लगा हूँ। खूब देखा फरेब अब सच की बारि आई है, मेहनत का दाना तोड़ अब घर में खुशियाँ आई है।" इसलिए कहते है की सच का मार्ग तय करने में भले ही वक़्त लगे, कठिनाई हो पर झूठ और फरेब के मार्ग से लाख गुना अच्छा है। सच का मार्ग अपनाएं और खुशियों को गले लगायें। #मार्ग
Manmohan Dheer
अवरुद्ध तो मार्ग होते हैं पाषाण तो सिद्धांत होते हैं दिशाहीन सोच होती मुक्त वह तो मार्ग बनाती है . विचार तरल होता है प्रेम सरल होता है प्रेम के विचार हों प्रेम के साथ हो मौन भी सर्वथा हल नही कभी गरल भी होता है . आओ समभाव को सोचें आओ असंभव को सोचे मार्ग निर्मित हो रहें हैं आओ हम अपने मार्ग सोचें . दिशाहीन सोच होती मुक्त वह तो मार्ग बनाती है . धीर मार्ग
Rahul Sontakke
मागितल्या ने मिळेल, वाजवल्या ने दार उघडेल, शोधल्यास सापडेल हार मानू नका ©Rahul Sontakke मार्ग
Tara Chandra
मार्ग चुनो नदी की तरह समुन्दर में मिल जाने के लिए 💐 ©Tara Chandra Kandpal #मार्ग
Rekha💕Sharma "मंजुलाहृदय"
एक माह आज पूर्ण हुआ, मोहे नोजोटो के दर पर आये। कभी इसी मार्ग से आये थे, संग लेकर काव्य की परछाई। #मार्ग
पण्डित राहुल पाण्डेय
*आज का सत्संग*.. ... *सत्संगी* एक सज्जन रेलवे स्टेशन पर बैठे गाड़ी की प्रतीक्षा कर रहे थे । तभी जूते पॉलिश करने वाला एक लड़का आकर बोला : ‘‘साहब ! बूट पॉलिश ?’’ उसकी दयनीय सूरत देखकर उन्होंने अपने जूते आगे बढ़ा दिये, बोले : ‘‘लो, पर ठीक से चमकाना ।’’ लड़के ने काम तो शुरू किया परंतु अन्य पॉलिशवालों की तरह उसमें स्फूर्ति नहीं थी। वे बोले : ‘‘कैसे ढीले-ढीले काम करते हो, जल्दी-जल्दी हाथ चलाओ !’’ वह लड़का मौन रहा । इतने में दूसरा लड़का आया । उसने इस लड़के को तुरंत अलग कर दिया और स्वयं फटाफट काम में जुट गया। पहले वाला गूँगे की तरह एक ओर खड़ा रहा । दूसरे ने जूते चमका दिये । ‘पैसे किसे देने हैं ?’ – इस पर विचार करते हुए उन्होंने जेब में हाथ डाला । उन्हें लगा कि ‘अब इन दोनों में पैसों के लिए झगड़ा या मारपीट होगी !!’ फिर उन्होंने सोचा, ‘जिसने काम किया, उसे ही दाम मिलना चाहिए !!’ इसलिए उन्होंने बाद में आने वाले लड़के को पैसे दे दिये !!! उसने पैसे ले तो लिये परंतु पहले वाले लड़के की हथेली पर रख दिये । प्रेम से उसकी पीठ थपथपायी और चल दिया ! वह आदमी विस्मित नेत्रों से देखता रहा । उसने लड़के को तुरंत वापस बुलाया और पूछा : ‘‘यह क्या चक्कर है ?’’ लड़का बोला : ‘‘साहब ! यह तीन महीने पहले चलती ट्रेन से गिर गया था । हाथ-पैर में बहुत चोटें आयी थीं !! ईश्वर की कृपा से बच गया, नहीं तो इसकी वृद्धा माँ और पाँच बहनों का क्या होता !!’’ फिर थोड़ा रुककर वह बोला : ‘‘साहब ! यहाँ जूते पॉलिश करने वालों का हमारा ग्रुप है और उसमें एक देवता जैसे हम सबके प्यारे चाचाजी हैं, जिन्हें सब ‘सत्संगी चाचाजी’ कह के पुकारते हैं । वे सत्संग में जाते हैं और हमें भी सत्संग की बातें बताते रहते हैं । उन्होंने सुझाव रखा कि ‘साथियों ! अब यह पहले की तरह स्फूर्ति से काम नहीं कर सकता तो क्या हुआ..!! ईश्वर ने हम सबको अपने साथी के प्रति सक्रिय हित, त्याग-भावना, स्नेह, सहानुभूति और एकत्व का भाव प्रकटाने का एक अवसर दिया है !! जैसे पीठ, पेट, चेहरा, हाथ, पैर भिन्न-भिन्न दिखते हुए भी हैं एक ही शरीर के अंग, ऐसे ही हम सभी शरीर से भिन्न-भिन्न दिखते हुए भी हैं एक ही आत्मा ! हम सब एक हैं !! स्टेशन पर रहने वाले हम सब साथियों ने मिलकर तय किया कि हम अपनी एक जोड़ी जूते पॉलिश करने की आय प्रतिदिन इसे दिया करेंगे.. और जरूरत पड़ने पर इसके काम में सहायता भी करेंगे !!! जूते पॉलिश करने वालों के ग्रुप में आपसी प्रेम, सहयोग, एकता तथा मानवता की ऐसी ऊँचाई देखकर वे सज्जन चकित रह गये !!! एक सत्संगी व्यक्ति के सम्पर्क में आने वालों का जीवन मानवीयता, सहयोग और सहृदयता की बगिया से महक जाता है !! सत्संगी अपने सम्पर्क में आने वाले लोगों को अपने जैसा बना लेते है !!! *पारस मणी अरु संत मे हैं बडो अंतरो जान,वो लोहा कंचन करे ये करे आप समान*🙏 ©पण्डित राहुल पाण्डेय #मार्ग