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Baisa_Raj_Neha_Pandya
आपकी बत्तमीजी पर तमीज़ की उम्मीद तमीज़दारों से करे, जागीरदारों से नहीं। -Neha_Pandya #जागीरदार
S.M.Masoom
बूढ़े होते बाप के दिल की आवाज। बदन से अब मेरी जागीरदारी खत्म होती है मेरे बेटे तेरी बूढ़ी सवारी खत्म होती है ©Masoom M Syed #snowmountain बदन से अब मेरी जागीरदारी खत्म होती है मेरे बेटे तेरी बूढ़ी सवारी खत्म होती है
Rawal Singh Rajpurohit
।।अलविदा जयपुर।। कुछ खट्टी मीठी यादो को समेटे तुझे छोड़ने चले है। इस शहर में बिताए पलों को,यादो में बसाए चले है। कभी दोस्तों के संग,उस चाय की प्याली को सहेजे चले है। सीतापुरा से प्रताप नगर तक, की गलियों को छोंडने चले है। फिर अपनो की छांव में समय बिताने चले है। यारों के संग समय गुजारने चले है। बिरला मंदिर से हनुमान मंदिर,की धूप को दिल में समेटे चले है। करने कोशिश अपने किसी रूठे को, मनाने जोधपुर फिर चले है बस एक दिन ओर तेरे यहां बिता,फिर अपने शहर चले है शायद तू मुझे वहां मिलेगी,मेरे दर्द को तू समझेगी तुझे फिर से मनाने चले है बस अब अपनी सूर्यनगरी की और चले है।। ए मेरे गुलाबी शहर,फिर दस्तक दूंगा तेरे कदमो में तब तक तुमको बसाए मेरी यादों में,अब दूर हो चले हैं। ©Rawal Singh Rajpurohit जयपुर छोड़ने की यादे और किसी रूठे को मानाने की जिद में जोधपुर चले है #जोधपुर #जयपुर #जागीरदार #शायरी #दर्द #जज्बात #बात #दिल #की #alone
Zala Harpalsinh Jay mataji ni
👳 जागीरदार👳 💪झाला राणा राजपुत _अकेला_ही पूरी_महफ़िल_के_बराबर_है।👊 दहशत_आँखों_से_होनी_चाहिए 👳#सुधर गए तो झाला राणा Bapu कोण कहेगा ।👦
Harshita Dawar
उस बेगैरत बादशाह को गुरुर ने जला दिया कबख्त रिश्तों से ज्यादा जागीदार ज़मीनी राख से कालक कमा लिया OPEN FOR COLLAB✨ #ATrandom_ • A Challenge by Aesthetic Thoughts! ✨ Collab with your soulful words.✨ • Must use hashtag: #aestheticthough
Harshita Dawar
Written by Harshita✍️ @dawarharshita मैं रण की अर्जुन बन कृष्ण सी रचनाकार हूं, कल की सीता ही नहीं आज वाली झांसी की ललकार हूं जो चलती कंधे से कन्धा मिलाकर आज की नई कलाकार हूं हर क्षेत्र में बढ़ने वाली आज की नारी सम्मान हूं किसी की ज़मीन नहीं जो हक़ के नाम पर करे नारी का हर बार बहिष्कार? क्यू बना दे किसी को ख़ुद का जागीरदार ? आत्मसम्मान की खातिर डट जाती हूं मातृ शक्ति का मोर्चा संभाले लड़ जाती हूं आज की नारी की बुलंद आवाज़ हूं, हर नारी का नारी सम्मान हूं। Written by Harshita✍️ @dawarharshita मैं रण की अर्जुन बन कृष्ण सी रचनाकार हूं, कल की सीता ही नहीं आज वाली झांसी की ललकार हूं जो चलती कंधे से
रजनीश "स्वच्छंद"
किस्से अनगिन मैं गढ़ता हूँ। कहानी एक सुनाने को, किस्से अनगिन मैं गढ़ता हूँ। दुख की बदली, आंखों का नीर, बन मीन मैं पढ़ता हूँ। सबल-निर्बल की चौड़ी खाई ले शब्द मैं पाटा करता हूँ, आंसू जो हैं भाप बने, आंसू आंखों से छीन मैं लड़ता हूँ। सुंदर स्वप्न पे हक सबका, जागीरदार बचा है कोई नहीं, उनके हक की ही ख़ातिर, प्रयत्न हो दीन मैं करता हूँ। प्रेम का धागा उलझा कहाँ है, मनुज मनुज भेद है क्यूँ, धागा स्वेत और ले कुरुसिया, सुंदर दिन मैं कढ़ता हूँ। धरा जो सबकी जननी है, धरा पे सबका हक तो हो, स्वम्बू से कर शीतल सबको, बंजर जमीन मैं तरता हूँ। पेट पीठ चिपके थे, फुटपाथों पर सोया भविष्य मिला, मज़हब मेरा कोई नहीं, फिर क्यूँ हो हींन मैं गड़ता हूँ। तुम सबल हुए महलों में रहे भौतिकता से लबरेज़, देख विषमता दुनिया की, ले आत्मा मलीन मैं बढ़ता हूँ। ©रजनीश "स्वछंद" किस्से अनगिन मैं गढ़ता हूँ। कहानी एक सुनाने को, किस्से अनगिन मैं गढ़ता हूँ। दुख की बदली, आंखों का नीर, बन मीन मैं पढ़ता हूँ। सबल-निर्बल की चौ
Sanjeet Kumar
शौक भी है अपने अलग -अलग... किस्सा मोहब्बत के बयाँ करने को अलग -अलग... साथ रह गुजर के भी अंजाने रहे वो, हमने जी ली मोहब्बत, रह के भी अलग -अलग... बड़े फासले है, रास्ते हैं अलग -अलग..... मगर जब भी मुखड़ा नज़र आए वो, ख्याल आते हैं अलग -अलग..... गजलो में ढाल लेता उस हंसी को, मुस्कान जो है उसके अलग -अलग... किस रूप का दीदार कराऊ शाकी, अंदाज है उसके अलग -अलग.... मोहब्बत के पंछी बेपंख भी उड़ जाया करते हैं मगर यहाँ मंजर है अलग -अलग..... मैं कुछ कह नहीं पाता, वो नजरे पढ़ नहीं पाती, मायुषी का आलम भी है अलग -अलग..... साथ उसका कुछ भी नहीं, मगर ख्यालो में बरबख्त दिल के पास है, ये आशिकी मिजाज भी मोहब्बत ढूँढे अलग -अलग.. मिले जब भी अजनबी से ही रहें,, स्वप्न को सच करने की खुमार भी है अलग -अलग... वो जो इश्क में शहरयार हो गए, हम जो शहर में यार ढूँढें अलग -अलग.... ये दीवारे शरहद कि, फासले मकानों की, नजरों में उसके जात -पात है अलग -अलग... बड़े शौहदे हैं जागीरदार के तो सब जायज है, गरिबो के खोलियो से, प्यार के मायने हैं अलग -अलग.. .. sanjeet kumar yadav शौक भी है अपने अलग -अलग... किस्सा मोहब्बत के बयाँ करने को अलग -अलग... साथ रह गुजर के भी अंजाने रहे वो, हमने जी ली मोहब्बत, रह के भी अल