एक समय था-
पापा आंखों में हमारी आई-ड्राप डालते थे,
आज हमारे पास समय नही उनके लिए नया चश्मा बनवाने का।
पैसे कमाने की दौड़ में कितनी दूर निकल आ
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Rinesh Bhilala Jays Rinesh
दोस्तों यह मेरी निजी राय है आपका विचार अलग हो सकता है और मेरा किसी समाज का विरोध नहीं किसी मंदिर मस्जिद का विरोध नहीं पर जो सच्चाई है वह सच् #बात#AajkaBharat