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Aman Baranwal
मिट्टी का जिस्म और आग सी ख्वाहिशें, खाक होना लाजमी है, क्योंकि आदमी आखिर आदमी है! जीवन का अर्थ
नागेंद्र किशोर सिंह ( मोतिहारी, बिहार।)
जीवन का अर्थ ..........…........... इस पृथ्वी पर मानव आता है, जीता है,चला जाता है। लेकिन जीने का अर्थ कम ही लोग समझ पाते हैं। जिस जीवन में दया,क्षमा,परोपकार न हो उसका कोई अर्थ नहीं होता।त्याग भी जीवन का एक अभिन्न अंग है। लेकिन समय, काल और परिस्थिति के अनुसार कब किसका त्याग करना उचित होगा इसका भी ज्ञान होना बहुत जरूरी है। सुमार्ग पर चलना,कल्याणकारी काम करना ही जीवन का अर्थ होता है। ©नागेंद्र किशोर सिंह ( मोतिहारी, बिहार।) # जीवन का अर्थ।
Harpinder Kaur
जनता के गुम हो रहे होश हैं क्योंकि नेता जी अभी मदहोश है मुद्दे पर मुद्दे पड़े हैं........ कौन कौन से गिनवाऊं मैं..... अभी गिनवा दो सारे के सारे...... क्योंकि नेता जी अभी,आने वाले चुनावों के जोश में है.... चुनाव हो जाने के बाद... ये नेता जी 5 साल नज़र ना आएगे.... सत्ता, कुर्सी की खुशी में खो जाएगें... ... फिर दोबारा ये अपने में मदहोश हो जाएगें.... जागो, अब तो जागो..... जनता तुम कब होश में आओगे..... हरपिन्द्र कौर # जागो.... अब तो जागो....
ashish kumar. jha
सुभ प्रभात सुभह हुई जागो रात नही अब सबेरा है
Nirankar Trivedi
लगे हुए हैं मूल विदेशी भारतीय संस्कृति अपनाने में, खुद से लेकर बच्चे तक को वो लगे हुए हैं समझाने में। भारतीय वस्त्र और मस्तक पर चन्दन लगे हैं धारण करने में, जीवन शांति के खातिर वो कभी सिया राम कभी राधे कृष्णा लगे हुए हैं गाने में। जब पढ़ न सके वो संस्कृत तो बोलती गीता निर्माण कराएं है, अब समझ गए है धर्म सनातन इसीलिए नासा में भी संस्कृत पढ़वाए है। अब तो जागो विश्वगुरू के लालों थोड़ा सा सच बतलाए है, भारत हो फिर से विश्वगुरु हम यह सौगंध दिलाने आये है। # अब तो जागो विश्वगुरु के लालों।
Nawnit Kumar
आयुष सिंह
अपने मरने से खुद को स्वर्ग मिलगा.... स्वर्ग का अर्थ जीवन मे....
Ek villain
विद्या का अर्थ जानना पर्सन है कि किसको जानना उत्तर है जिससे जीवन समाज धर्म दर्शन और आत्मा परमात्मा को जाना जा सके मानव जीवन का मुख्य उद्देश्य मोक्ष जैसे हासिल हो वह वेदों में विद्या कहीं गई है शहर विद्या या विमुक्तए यानी विद्या हुए हैं जिससे दुखों से छुटकारा मिल जाए बुद्ध ने कहा है यह संसार दुख लिए है इससे जन्म में यदि सही मायने में विद्या प्राप्त हो जाए तो उससे जीवन को सुखमय शांत मियां और संतुलित बनाए ने में सहायता मिलती है विद्या का अभ्यास बने रहना भी जरूरी है कि तू प्रदेश में कहा गया है अभ्यास ने विषम विद्या यानी बिना अभ्यास के विद्या विष तुल्य हो जाती है जीवन को पूर्ण बनाने के लिए वेदों में पड़ा और अपना दोनों विधाओं को ग्रहण करना आवश्यक है चाणक्य कहते हैं अब इधयम जीवन स्वयं यानी जी विद्या के बिना जीवन व्यर्थ है जिससे विद्या से पूर्णता प्राप्त हो वह जीवन विद्या कही जाती है आमतौर पर शिक्षा को विद्या कहा जाता है लेकिन शिक्षा दुखों से छुटकारा दिलाने का काम नहीं करती बल्कि इससे योग्यता और प्रतिभा का विस्तार होता है इससे भौतिक जीवन को सुखमय हो जाता है लेकिन आप बहुत ही जीवन के लिए इससे कोई लाभ नहीं जीवन को पूर्ण और उपयोगी बनाना है तो विद्या सीखनी पड़ेगी बचपन से लेकर बुढ़ापे तक इंसान कुछ ना कुछ प्राकृतिक परिवार समाज से सीखता है लेकिन उसका सीखना उसके संवेदनशीलता उत्सुकता संकल्प और रूचि पर निर्भर करता है जीवन को यदि उद्देश्य परख और सफल बनाना है तो जीवन में उन सभी चीजों को समय विश करना पड़ेगा जो जीवन को हर तरह से सफल और पूर्णता दिलाने का कार्य कर रही है आमतौर पर हम परंपराओं से इतने बने रहते हैं कि जीवन की वास्तविकता सफलता और उद्देश्य के बारे में शायद ही कभी निष्पक्ष ढंग से सोचते हो इसलिए हमेशा चिंतन करते रहना चाहिए कि किसी जीवन में पूर्णता आए और जीवन का आनंद में हो जाए ©Ek villain # जीवन विद्या का अर्थ #ZulmKabTak