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Hamari Umeed
कागज का फुल दे कर तुम अपनी मोहब्बत का इज़हार करते हो, इस से पता चलता है तुम प्यार नही, प्यार का व्यपार करते हो।। कागज का फुल।।
MADHUSUDHAN sharma
में कागज का वो टुकड़ा हु जो किसी काम का नही पर बहोत काम का हूं कागज काम का
Sunil Kumar Maurya Bekhud
उड़ा रहा हूं मैं कागज का इक जहाज थाह पाने के लिए आसमा की आज निकल पड़ा है चीरते हुए हवाओं को समझ करके मेरे दिल की भावनाओं को ऐसा लगता है उड़ चला है कोई बाज़ उसके पंखों पे बैठ उड़ चली मेरी खुशियां जैसे जलने लगी मन में तमाम फुलझड़िया उसके पंखों ने रख लिया हैमेरी लाज लौट आएगा बांध करके जीत का सेहरा सोच कर के ही खिल उठा है मेरा चेहरा उसको पहनाऊंगा मैं तालिया का ताज ©Sunil Kumar Maurya Bekhud कागज का जहाज
Neeraj Kumar
सिमट गया वो कागज का टूकड़ा बारिश में भीग कर यादें भी धुल गयी मिट कर अाखरी निशानी थी मगर मेरे ज़हन में लिखे पड़े है जो पढ़ें थे मैने रट रटकर कागज का टुकड़ा
DM Talks
ना कर घमंड इन कागज पर, जो कभी ना रुक पाएगा, ना कर घमंड उस ताकत पर.., जो कभी ना झुक पाए गा, तु कर घमंड अपनी ताकत पर, जो कभी ना रुकती किसी आफत पर.., वक्त के चक्रव्यूह में, फस जाएगा तू, जो किया घमंड इस कागज पर, ना चाह कर भी, लूट जाएगा तू, अगर जीना चाहता है तु खुशी से, तो ना कर घमंड इस कागज पर, यह कागज तो एक दिन मिट जाएगा, आज जिस रंग रूप का है, कल का इतिहास नजर आएगा, यह कागज का टुकड़ा, आज तो है पर कल चला जाएगा। ©DM Talks कागज एक समय का।
Pritam Nayak Chhotu
आज कल कुछ कागज के चंद टुकड़े जिंदगी के बड़े बड़े फैसले कर जाते है यू कहे तो किसकी की जिंदगी कागज के टुकड़ों के मौताज नही पर समय आने पर एक कागज का टुकड़ा जिंदगी बदल कर रख देती है ©Pritam Nayak Chhotu #Pattiyan कागज का टुकड़ा
Anjali Sharma
उस कागज का क्या कुसूर? क्यों नासमझी में उसे फाड़ कर रख दिया। हमने लिखे जज्बात अपने उस पर, उसने खुद को बस यूँ एहसास से भर लिया। खता हुयी उससे कि दिले हाल कह दिया, लाख मनाही बावजूद उसने हमारा पक्ष रख दिया। इस तरह मसलकर बेवजूद किया उसे, हर हर्फ़ के मायने को फिर जिल्लत से भर दिया। इस तरह जलील किया कि जी न भरा , तो शाम ए महफ़िल में यूँ सरेआम ही कर दिया। रिसते घाव की छपी स्याही न दिखी, मरहम नहीं,जख्म कुरेदने का इंतजाम कर दिया। खुद ही खुद से खरोंचना काफी न था, खरोंच पे नमक छिड़कने,औरों को तैयार कर दिया। जो किया अच्छा किया, एहसान किया, नजरों पे हमारे पट्टी बंधी थी,एक पल में ही खोल दिया। meri✍✍से Anjali sharma कागज का कुसूर #Book