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Trilok
थपकी, तसल्ली है मन की। ये ही तो है, जो बढ़ाती है जोश ये ही सोते हुए को लाती होश आशा है विश्वास है तरक्की का आभास है डूबते हुए का सहारा तैरते हुए का किनारा हवा है बसंत ऋतु की थपकी, तसल्ली है मन की। गम में थपकी सुकून देती है आगे बढ़ने वालों को जुनून देती है उमंग की उत्पादक लक्ष्य प्राप्ति में साधक खुशी में है उत्साह दिशाहीन की राह ये पर्याय है प्रोत्साहन की थपकी, तसल्ली है मन की। थपकी
Mohan Sardarshahari
ख़्वाबों के झूले में झुलाया सुबह हुई तो चांद गायब खुद को जमीं पर पाया मेरा सच्चा प्यार वही जिसने दे थपकी सुबह जगाया और फिर बिस्तर पर चाय लाया।। ©Mohan Sardarshahari दे थपकी जगाया
Rajesh rajak
जब भी उठाता हूं उस मासूम का बिस्तर,कलेजा मुंह को आता है,शायद मां ने न सुलाया हो,थपकियां दे कर। तभी तो हर दिन रजाई का कोना गीला मिलता है,उसके आंसुओं से। मां की थपकी
Pandey Satya
- थपकी प्यार की - हर फिक्र धुएं में उड़ती है, हर गम मिल जाता मिट्टी में। कहीं और नहीं वो ताकत है, मां, जैसी तेरी थपकी में।। - SATYA थपकी #प्यार की....... #peace
ABHISHEK MANI
प्यार की थपकी देकर जीवन का अस्तित्व समझाते है, धरा से उठाकर हमे आसमां तक ले जाते है, इनका दर्जा है ऊंचा नारायण से भी, ये वो कारीगर है जो देश के भविष्य की नीव मजबूत बनाते है।। थपकी देकर प्यार की जीवन का अस्तित्व समझाते है... कभी मां कभी पिता कभी भ्राता कभी अभिभावक बनते है, कभी अल्बर्ट कभी कलाम कभी गांधी को जनते है... कभी भी बन हम उम्र रोते को हंसना सिखाते है... कभी फिर सख्त बन बाहर से गलती का अहसास कराते है, इनके गुणों का वर्णन शास्त्र कर नहीं पाए, कलम भी रुक गई लेखक कुछ कर नही पाए, यही इतिहास बदलते है राजनीति का पाठ पढ़ाते है, थपकी देकर प्यार की जीवन का अस्तित्व बताते है ... ये महान मानव तुझको नमन बारम्बार है, तेरे एहसानों तले चल रहा संसार है, मेरे करने से कुछ भी तो होता नहीं तेरे आशीर्वाद वाला कभी रोता है... कर मेहर अपनी नजरों की हम नादान शीश झुकाते है.. थपकी देकर प्यार की जीवन का अस्तित्व बताते है... ©ABHISHEK MANI थपकी देकर प्यार की ...... #Teachersday
Anjali Raj
घटा बन कर बरसती है। हवा बन कर बहकती है। घनेरे बादलों में छुप ये बिजली सी चमकती है। कली सी मुस्कुराती है, नदी सी ये खनकती है। कभी हैरान कर जाती, कभी गुमसुम सिसकती है। कभी थपकी लगे मां की, कभी झिड़की सी लगती है। सभी रूपों में देखो ज़िन्दगी क्या खूब लगती है। #अंजलिउवाच #YQdidi #ज़िन्दगी #मां #थपकी #घटा #हवा
शिवानन्द
मां तेरी लोरियों की फिर से वह हनक सुनना चाहता हूं! पल भर में जो सुला देती थी मुझे तेरे आंचल में... आज फिर वही तेरे थपकियों की सनक देखना चाहता हूं! ~~शिवानन्द #माँ #लोरी #थपकी #आंचल #yqdidi #yqbaba #life
Seema Sharma
थपकी से मां तुम सुलादोगी क्या... पिछले कई रातों से ठीक से सोई नहीं मैं, आज थपकी से मां तुम सुलादोगी क्या, ये आस पास की हर चीज देखती हूं तो परेशान हो जाती हूं, अपने आंचल के नीचे छुपा लोगी क्या मुझे आज अपने बचपन के कुछ किस्से दोहरा दोगी क्या, वो आम का बगीचा जहां तुम्हारे जेठ के महीने बीते थे, वो छत की धूप जिससे तुम्हारे सवेरे होते थे, कुछ वैसे ही सुकून की कहानियां सुना दोगी क्या, मन नहीं लगता मां अब कभी कभी इस जहां में किसी और जहां की कोई बातें बताओगी क्या, परियों की कहानियां फिर से सुनाओगी क्या, वो मेरे बचपन का किसा ही दोहरा देना, जब मैंने जिद में फ्रॉक के बदले भैया के जैसे कपड़े मांगे थे, आज फिर एक जिद करूं पूरा करदोगी क्या, अपना हाथ माथे पर रखकर बस नींद आने तक बालों को सहला दोगी क्या, चैन से सोने का दिल करता है बहुत मां थपकी से मां तुम सुलादोगी क्या... थपकी से मां तुम सुलादोगी क्या..... #mywritingmywords #mywritingmythoughts #yqdidi #yqbaba #yqhindi #yqhindiwriters #मां #sleepless
Shivank Shyamal
तूफ़ान में थका हुआ परिंदा जब घर की ओर चलता है। जान हथेली पे रख कर, प्रयत्न हज़ार वो करता है।। लहरों की थप-थप में टूट जाते हैं, सलाखों से पंख उसके! फ़िर भी नौका सा गिरता उठता, मंज़िल की चाहत में उड़ता है।। Shivank Srivastava 'Shyamal' #Birds तूफ़ान में थका हुआ परिंदा जब घर की ओर चलता है। जान हथेली पे रख कर प्रयत्न हज़ार वो करता है।। लहरों की थप-थप में टूट जाते हैं सलाखों