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Anil Siwach

|| श्री हरि: || 62 - भोला श्याम 'कनू तेरा पटुका कहाँ गया? ' दाऊ ने देखा कि उसके छोटे भाई के कंधे पर पीतपट नहीं है। यह कन्हाई की कोई नयी बात #Books

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|| श्री हरि: ||
62 - भोला श्याम

'कनू तेरा पटुका कहाँ गया? ' दाऊ ने देखा कि उसके छोटे भाई के कंधे पर पीतपट नहीं है। यह कन्हाई की कोई नयी बात

Anil Siwach

।।श्री हरिः।। 43 - किसकी वर्षगांठ? कन्हाई आज इतना क्यों व्यस्त है, यह बात गोप कुमारों की समझ में नहीं आयी। आज गोचारण से लौटने के पर्याप्त प

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।।श्री हरिः।।
43 - किसकी वर्षगांठ?

कन्हाई आज इतना क्यों व्यस्त है, यह बात गोप कुमारों की समझ में नहीं आयी। आज गोचारण से लौटने के पर्याप्त प

Shayaraa

भावभीनी श्रद्धांजलि सुषमा स्वराज का निधन ************************* कैसे तुम्हें सुनाऊँ? बिलख रहा है हृदय हमारा, मैं रोऊँ या गाऊँ? फॉरेन में #OpenPoetry

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#OpenPoetry भावभीनी श्रद्धांजलि
सुषमा स्वराज का निधन


read caption भावभीनी श्रद्धांजलि
सुषमा स्वराज का निधन
*************************
कैसे तुम्हें सुनाऊँ?
बिलख रहा है हृदय हमारा,
मैं रोऊँ या गाऊँ?

फॉरेन में

Anil Siwach

|| श्री हरि: || 65 - आँधी आयी 'हम्मा।' गायों ने कान खड़े का दिए हैं। चरना बंद करके वे स्वयं एकत्र हो गयी हैं झुण्ड की झुण्ड और अब लगता है कि #Books

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|| श्री हरि: ||
65 - आँधी आयी

'हम्मा।' गायों ने कान खड़े का दिए हैं। चरना बंद करके वे स्वयं एकत्र हो गयी हैं झुण्ड की झुण्ड और अब लगता है कि

Anil Siwach

|| श्री हरि: || 29 - चतुर चूड़ामणि कन्हाई परम सुकुमार है, सखाओं में दुर्बल है और भोला है, किन्तु चतुर चूड़ामणि है। इसे इतनी युक्तियाँ आती ह

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|| श्री हरि: ||
29 - चतुर चूड़ामणि

कन्हाई परम सुकुमार है, सखाओं में दुर्बल है और भोला है, किन्तु चतुर चूड़ामणि है। इसे इतनी युक्तियाँ आती ह

JALAJ KUMAR RATHOUR

#Love कहानियाँ और किस्से, मई और जून के गर्मियों से भरी छुट्टियों में जब भी शाम होती थी। तो हम निकल जाते बल्ले और गेंद को उठा कर, मुझे नही #जलज

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कहानियाँ  और किस्से, 
(भाग -१) 
मई और जून के गर्मियों से भरी छुट्टियों में जब  भी शाम होती थी। तो हम निकल जाते घर से बल्ले और गेंद को उठा कर, मुझे नही पता आपके यहाँ बल्ला कैसा होता है पर हमारे यहाँ तो बल्ले पर रेशम के धागे और फेवीकोल को लगाकर उसपर ट्यूब चढ़ा देते थे और रनर साइड वाले खिलाड़ी पर कपड़े धोने वाली पटुकुन्नीयाँ होती थी। ईंटो को कमर तक एक के उपर एक रख हम सिविल इंजीनीयर समझते थे। खुद को, मोहल्ले के हर घर की छत के चक्कर काटे थे हमने,ऐसे ही एक रोज तो हम हिट विकेट हुए थे, उसके इंनस्विंग जैसा गाना "क्या करते थे साजना तुम हमसे दूर रहके"पर,हमारी गेंद से फुटबॉल खेलती , कानों में हेडफोन लगाए वो और उसकी अदाओ पर मंत्रमुग्ध मैं, तभी नीचे से आवाज आई, रवि,गेंद मिली, मैंने कहा हाँ,उस दिन मेरी हालत उस मानव जैसी थी, जो जीवन के यथार्थ को खोजने इस धरा पर जन्म लेता है परंतु इस जग की मोह माया उसे स्वयं में लिप्त कर लेती है। मैं उसके पास गया और मैंने गेंद को वापस देने का इशारा किया, उसने गेंद को पैर मारते हुए मेरी और कर दिया गेंद पर उसके पैर की चोट मुझे ऐसी प्रतीत हो रही थी जैसे उसने मेरे उसके प्रति प्रेम जो कुछ वक्त पहले ही पनपा था का प्रतिकार किया हो, लेकिन हम प्रतिकार में भी प्रेम ढूंढने वाले थे और मैं उसका अब दीवाना हो चुका था। अब बस एक ही मिशन था। मोहल्ले और मेरे दिल में आयी, इस नई लड़की के  विषय में जानकारी जुटाने का....... 
.... #जलज राठौर #Love कहानियाँ  और किस्से, 
मई और जून के गर्मियों से भरी छुट्टियों में जब  भी शाम होती थी। तो हम निकल जाते बल्ले और गेंद को उठा कर, मुझे नही
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