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अद्वैतवेदान्तसमीक्षा
समीप एवं सुदूर की शात्रोक्त परिभाषा
Rakesh Kumar Dogra
पत्थरों के ढेर देखे फिर पहाड़ पर सीढ़ी-नुमा खेत देखे, बेतरतीब से तरतीब-दार होना संगेमरमर की सीढ़ी देखी फिर पत्थर के सबब देखे। #NojotoQuote सुदूर पहाड़ों की चोटी पर मुश्किलों में सुकून देखे, हमने भक्ति के नये नये आयाम देखे।
Nir@j
दूसरे के लिए पहन नूपुर जाते हुए सच में तुझे देखा सुदूर जाते हुए दर्द के आख़िरी पड़ाव पर था मैं मैंने देखा तुम्हें अपने से दूर जाते हुए नुपूर:- स्त्रियों के पैर का गहना, घुँघरू; पाज़ेब सुदूर:- बहुत दूर #दूरजातेहुए #collab #yqhindi #YourQuoteAndMine Collaborating with Your
Alok Vishwakarma "आर्ष"
सुख शरीर में खोजता, मनुज होय बहिरंग । आत्म प्रेम अति श्रेष्ठ है, अमत असीम अनंग ।। सुदूर हैं प्रियतम.. उनके ही हाथों में डोर है मेरी.. मैं सुखी हूँ.. 💕💕 #soulmate #lovequotes #spiritual #immortal #yqdoha #yqdidi #yqhindi #Y
Shivam Verma
सुदूर संवेदना को दिल की वेदना से जोड़कर कुछ शब्दशः लिखने का प्रयत्न करता हूं मै कोई हरफों का जादूगर नहीं बस एक शब्दों की गलियों का मुसाफिर हूं कुछ पल यहां रुका कुछ चुन लिया कुछ पल वहां गया कुछ लिख दिया सुदूर संवेदना को दिल की वेदना से जोड़कर कुछ शब्दशः लिखने का प्रयत्न करता हूं मै कोई हरफों का जादूगर नहीं बस
Sarita Shreyasi
जल हो तुम जीवन हो, सबका तुमसे पोषण हो, बहो तुम सुदूर तक, हर ओर अभिनंदन हो। सान्निध्य हो तुम्हारा, मन शीतल सुगंधित चंदन हो, स्मृति चेतना तुम्हारी, निर्मल हो,धवल हो। गिरिवर से उतर आओ, सबकी जड़ो में समाओ, सबकी गति-उन्नति में, तुम्हीं तो स्पंदण हो। सागर की हो समृद्धि, बादल की निधि हो, विस्तार हिम-शिखर का हो, पुलकित प्रेम प्रखर हो। जल हो तुम जीवन हो, सबका तुमसे पोषण हो, बहो तुम सुदूर तक, हर ओर अभिनंदन हो। सान्निध्य हो तुम्हारा, मन शीतल सुगंधित चंदन हो, स्मृति चेतना तुम्
Vivek
पानी भरने chale ©Vivek पानी भरने चले कभी धूप ने सताया कभी प्यास ने सताया राह का रास्ता भी सता रहा था पर चलना जारी रखा गए भरने पानी पानी भरकर पहले प्यास बुझाई फिर च
K K Joshi
उभरे मन में कैसे विचार सब दृश्य दीखते निराधार एकांत सुदूर क्षितिज में जब देखा अदृश्य वो निराकार हो मुक्त, खुले हैं बुद्धि द्वार जो है, लगता है सब असार क्या तृषा? तृप्ति क्या? सुख- दुख क्या? क्या जन्म- मुक्ति? क्या जीत- हार? उभरे मन में कैसे विचार-- किसका हम पर है यह उधार? करता निष्फल जो श्रम अपार चुकता जो हमसे हो न सका भुगता जो हमने बार- बार उभरे मन में कैसे विचार-- उभरे मन में कैसे विचार #मन #विचार #चिंतन उभरे मन में कैसे विचार सब दृश्य दीखते निराधार एकांत सुदूर क्षितिज में जब देखा अदृश्य वो निराकार
Anita Saini
रौशन रहे जहाँ मेरा ऐसा कोई चश्मे-बद्दूर मिले मैंने कब चाहा था ख़ुदा कि मुझे कोई हूर मिले..! मैंने कब चाहा था ख़ुदा कि मुझे कोई हूर मिले रौशन रहे जहाँ मेरा ऐसा कोई चश्मे-बद्दूर मिले! ♥️ आइए लिखते हैं दो मिसरे प्यार के :) ♥️ इस पोस्ट