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Mohit
ये शाम आखिरी न हो मकाम आखिरी न हो आ ज़ुल्फ छेड़ता चलूं ओ गाल चूमता चलूं ©Mohit आखिरी आखिरी #Love
Author Harsh Ranjan
बच्चों के लिए वो विस्तृत खेल-मैदान है, पिता के लिए बरामदे और छत का फर्श, माँ के लिये वो गोसाई घर की जमीन है, एक स्त्री के लिए वो उसका निष्कंटक राज्य! किसी ने उस छाती के भीतर की धधकती जमीन नहीं देखी। किसी ने नहीं जाना उस अथाह दलदल को! न उसमें सुलगते डायनामाइट देखे, न वो बीस योजन की गर्त! पिघले हुए लावे का सैलाब है या किसी ब्लैक होल की अंधी सुरंग! सारी पेचीदगियों को किनारे करते हुए वक़्त एक-एक कर उसके पिंजर तोड़ती है! घनी धुंध छाई है इस रोशन बस्ती में जिंदगियां अभागेपन के सफेद लिबास ओढ़ती हैं! मर गया मुर्दों को बेसहारा छोड़कर, ये चर्चाएं सूख चुकी नसों को आखिरी बार खीज में, यथासंभव निचोड़ती हैं। आखिरी
G.S
एक बार मुलाकात तो करना, आखिरी बार ही सही पर बात तो करना, मोहब्बत ना सही जनाब, आखिरी बार ही सही पर अहसास तो करना ।। ©G.S #आखिरी
S. ansari
लाश हू मै अब दफना भी डालो यही आखरी रसम बची है इसे निभा भी डालो Shifa Ansari आखिरी ,,,,,
Author Harsh Ranjan
बच्चों के लिए वो विस्तृत खेल-मैदान है, पिता के लिए बरामदे और छत का फर्श, माँ के लिये वो गोसाई घर की जमीन है, एक स्त्री के लिए वो उसका निष्कंटक राज्य! किसी ने उस छाती के भीतर की धधकती जमीन नहीं देखी। किसी ने नहीं जाना उस अथाह दलदल को! न उसमें सुलगते डायनामाइट देखे, न वो बीस योजन की गर्त! पिघले हुए लावे का सैलाब है या किसी ब्लैक होल की अंधी सुरंग! सारी पेचीदगियों को किनारे करते हुए वक़्त एक-एक कर उसके पिंजर तोड़ती है! घनी धुंध छाई है इस रोशन बस्ती में जिंदगियां अभागेपन के सफेद लिबास ओढ़ती हैं! मर गया मुर्दों को बेसहारा छोड़कर, ये चर्चाएं सूख चुकी नसों को आखिरी बार खीज में, यथासंभव निचोड़ती हैं। आखिरी
mamtaatoliya369 mamta
किसी रोज तुम मिलो तो, बतायेगे तुझे कि तुम सा मूझे आजतक नही मिला क्यो तुम मेरा पहला प्यार होकर आखरी प्यार क्यो नही बन पाये ©mamtaatoliya369 mamta आखिरी