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Vickram
उल्फत में जमाने की,,,,,,,, रहता है परेशान दिल जमाने के सितम से । हर मुश्किल का रस्ता मेरी तरफ ही खुलता है। खो दिया इस भीड़ में हमने खुद का हंसता हुआ चेहरा । हमें हर शख्स इस शहर का धोखेबाज सा लगता है। ©Vickram उल्फत में जमाने की,,,,
Jyotshna 24
मन की तस्वीर बनकर , तुम बसते हो , इन निगाहों में। दो आंखे बनकर , तुम ही तो हो , सुनी तन्हां राहों में। टुटे न जो , जन्मों का बंधन , वो मेरी उल्फत हो तुम , काश ताउमर गुजर जाये तेरी बांहों में। तुझ बिन बेरंग होगा , मेरे इश्क का रंग , जिन्दगी के हर एक पल, जहरीले होंगें,एक घुटन सी खलिश होगी इन हवाओं में। आज अपनी चाहत का ये,ऐलान करते हैं, बेशक,बेशुमार हम तुमसे प्यार करते हैं। तुम मेरे दिल के वो मेहताब हो,जो अनमोल है, अरबो,खरबो,करोड़ो हजारों में। उल्फत # हजारों में
lifelover
ज़माने की रुत लिए चलते गए हम, समझे ना ये की दिल में हो तुम। दिल ही ना माने दिल की बातें, बस अब कोई तुझे इस दिल से रूबरू करा दे। #ज़माने की रुत
पथिक..
दो शब्द चुराकर लाया में ज़माने भर की बुराई के लिए, अपने गिरेबां पर ना झांका कभी नज़र रही ज़माने के गिरेबां पर दो शब्द चुराकर लाया में ज़माने भर की बुराई के लिए दिखता क्यूँ नहीं मुझको झोल अपने, काले मन का ,जिसमें समाया है,ईर्ष्या भाव,और कुटिलता,अंधकार सा, दो शब्द चुराकर लाया में, ज़माने भर की बुराई के लिए, अपना किया मुझ को सब लागे, ज़माने का कछु नहीं, अपनी पीड़ा,सबसे गहरी दूजे की पीड़ा मन को, ना समाय ऐसा मेरा मन पगला ,दूसरे की खिल्ली देत उड़ाये,अपने गिरेबां पर ना झांका कभी,दूसरे के गिरेबां पर मैल बताये,दो शब्द चुराकर लाया में ज़माने भर की बुराई के लिए,अपनी गलती क्यूँ नस्वीकार करूँ में, मेरे मन का "में "(अहंकार) सबसे बड़ा है,बाकी सब तुच्छ दिखते मुझ सा ज्ञानी कोन यहां है,बात मुझे ये कभी ना भाये, भला कोन है, जो मुझे मेरे गिरेबां पे मैल दिखाए दो शब्द चुराकर लाया में ज़माने भर कि बुराई के लिए, खुद के गिरेबां पर ना झांका कभी, दूसरे के गिरेबां पर मैल दिखाए ©पथिक #ज़माने की बुराई
Naseem Ansari
हर रोज इन उजालों में तुझे ढूंढता हुं कहीं तू नज़र आजाय जाने वो रोशनी कहां गुम होगई ©Naseem Ansari #girl तलाश उल्फत की
Radha Gupta
ज़माने की बातें कभी खत्म नहीं होती तीखे शब्दों के बाण उसके जीने नहीं देती...!! ©Radha Gupta ##ज़माने की बातें
Shailendra Singh Yadav
आज फिक्र नहीं जमाने की। तमन्ना है किसी से दिल लगाने की। न कोई दंश न दहशत है दिल की एक चाहत है। किसी से इश्क है उल्फत है अब हसरत है उल्फत में डूब जाने की शायरः-शैलेन्द्र सिंह यादव #NojotoQuote शैलेन्द्र सिंह यादव की शायरी हसरत है उल्फत में डूब जाने की।