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Nova Changmai
दर क्या है??? एक लंबा हट्टा कट्टा आदमी उसी आवाज से बात कर रही है, और तुम सुनकर डर रही हो, उसको को दर नहीं बोलता है। जो बीते हुए कल है उससे शिक्षा लो, और जो आज करने वाले हो उसे किया नया क्या कुछ कर सकते हो उसके बारे में सोचो ,और डरो उस समय के लिए जो भविष्य में तुम्हारे जीवन को सुनहरी अक्षर में लिखकर जीवन को बदल सकता है। #सीखना #शायरी#कविता#रोमांस#मीनिंग #Motivational #Good #evening
prashant Singh rajput
Call Drop मीनिंग इन हिंदी क्या है कॉल ड्रॉप जानिये हिंदी मे ? पूरा पढ़े नीचे दिए गए लिंक पर तुरंत क्लीक करें 👇👇👇👇👇👇👇 https://techadvicesps0
lalitha sai
एक कथा.. जिस कथा में हो एक ऐसा अर्थ सबके सोच के परे हो... कुछ लघुकथा ऐसे दिल चुरा लेते है.. कोई सोच भी नहीं सकता.. अंत में एक सुकून के एहसास को.. दिल और दिमाग़ में छा जाते है.. बहुत पहले से ही मैं शॉर्टफ़िल्म के शौकीन हूँ.. कुछ कुछ शॉर्टफिल्म्स ऐसे होते है.. जिसे title कुछ अलग होता है.. देखने के बाद पता चले.. कितना म
Lamha
Funny hindi memes हमें तो लूट लिया मिलके केमिस्ट्री के सवालों ने, रिलेटिव डेंसिटी ने, एटॉमिक मासों ने..... .......++++++...... पहले ही क्वेश्चन ने ये क्या कर दिया, कल तब तो सब आता था, आज कचरा कर दिया😛😛 .......+++++++........ और वो क्वेश्चन जिसे दस बार प्रैक्टिस किया था एक नंबर के MCQ में आए तो, बेवफा तेरा मासूम चेहरा aahan... ........+++++..... मैथ के exam में जब पांच मार्क्स का क्वेशन बन जाए... मैं तो नहीं हूं इंसानों में.. ....दुनिया बनाई मैंने हाथों से....... सबसे प्यारे दिखाई देने वाले टीचर का पेपर जब सबसे खतरनाक आए.... देख तेरे संसार की हालत क्या हो गई भगवान, कितना बदल गया इंसान।। और जब रिजल्ट का दिन आए... ओह आए मैया के आहा ओह आए महिया के नवराते...... टॉपर रिजल्ट लेने के बाद अच्छा चलता हूं दुआओं में याद रखना... हां भाई याद रखेंगे तू वही बंदा है जो लास्ट तक कहता था... यार कुछ नहीं पढ़ा कुछ नहीं आता.... दुश्मन ना करे दोस्त ने वो काम किया है 🥺🥺 ©Tanya Sharma (लम्हा) हमें तो लूट लिया मिलके केमिस्ट्री के सवालों ने, रिलेटिव डेंसिटी ने, एटॉमिक मासों ने..... .......++++++...... पहले ही क्वेश्चन ने ये क्या
Vikas Sharma Shivaaya'
श्री सूर्य चालीसा ॥दोहा॥ कनक बदन कुण्डल मकर, मुक्ता माला अङ्ग, पद्मासन स्थित ध्याइए, शंख चक्र के सङ्ग॥ सूर्यदेव का शरीर स्वर्ण रंग का है व कानों में मकर के कुंडल हैं एवं उनके गले में मोतियों की माला है। पद्मासन होकर शंख और चक्र के साथ सूर्य भगवान का ध्यान लगाना चाहिए। ॥चौपाई॥ जय सविता जय जयति दिवाकर!। सहस्त्रांशु! सप्ताश्व तिमिरहर॥ भानु! पतंग! मरीची! भास्कर!। सविता हंस! सुनूर विभाकर॥ विवस्वान! आदित्य! विकर्तन। मार्तण्ड हरिरूप विरोचन॥ अम्बरमणि! खग! रवि कहलाते। वेद हिरण्यगर्भ कह गाते॥ सहस्त्रांशु प्रद्योतन, कहिकहि। मुनिगन होत प्रसन्न मोदलहि॥ हे भगवान सूर्य देव आपकी जय हो, हे दिवाकर आपकी जय हो। हे सहस्त्राशुं, सप्ताश्व, तिमिरहर, भानु, पतंग, मरीची, भास्कर, सविता हंस, विभाकर, विवस्वान, आदित्य, विकर्तन, मार्तण्ड, विष्णु रुप विरोचन, अंबर मणि, खग और रवि कहलाने वाले भगवान सूर्य जिन्हें वदों में हिरण्यगर्भ कहा गया है। सहस्त्रांशु प्रद्योतन (देवताओं की रक्षा के लिए देवमाता अदिति के तप से प्रसन्न होकर सूर्य देव उनके पुत्र के रुप में हजारवें अंश में प्रकट हुए थे) कहकर मुनि गण खुशी से झूमते हैं। अरुण सदृश सारथी मनोहर। हांकत हय साता चढ़ि रथ पर॥ मंडल की महिमा अति न्यारी। तेज रूप केरी बलिहारी॥ उच्चैःश्रवा सदृश हय जोते। देखि पुरन्दर लज्जित होते॥ मित्र मरीचि भानु अरुण भास्कर। सविता सूर्य अर्क खग कलिकर॥ पूषा रवि आदित्य नाम लै। हिरण्यगर्भाय नमः कहिकै॥ द्वादस नाम प्रेम सों गावैं। मस्तक बारह बार नवावैं॥ चार पदारथ जन सो पावै। दुःख दारिद्र अघ पुंज नसावै॥ सूर्य देव के सारथी अरुण हैं, जो रथ पर सवार होकर सात घोड़ों को हांकते हैं। आपके मंडल की महिमा बहुत अलग है। हे सूर्यदेव आपके इस तेज रुप, आपके इस प्रकाश रुप पर हम न्यौछावर हैं। आपके रथ में उच्चै:श्रवा (घोड़े की प्रजाति जिसका रंग सफेद होता है जो उड़ते हैं और तेज गति से दौड़ते हैं देवराज इंद्र के पास यह घोड़ा होता था, सागर मंथन के दौरान निकले 14 रत्नों में एक उच्चै:श्रवा घोड़ा भी था जिसे देवराज इंद्र को दिया गया था।) के समान घोड़े जुते हुए हैं, जिन्हें देखकर स्वयं इंद्र भी शर्माते हैं। मित्र, मरीचि, भानु, अरुण, भास्कर, सविता, सूर्य, अर्क, खग, कलिकर पौष माह में रवि एवं आदित्य नाम लेकर और हिरण्यगर्भाय नम: कहकर बारह मासों में आपके इन नामों का प्रेम से गुणगान करके, बारह बार नमन करने से चारों पदार्थ अर्थ, बल, काम और मोक्ष की प्राप्ति होती है व दुख, दरिद्रता और पाप नष्ट हो जाते हैं। नमस्कार को चमत्कार यह। विधि हरिहर को कृपासार यह॥ सेवै भानु तुमहिं मन लाई। अष्टसिद्धि नवनिधि तेहिं पाई॥ बारह नाम उच्चारन करते। सहस जनम के पातक टरते॥ उपाख्यान जो करते तवजन। रिपु सों जमलहते सोतेहि छन॥ धन सुत जुत परिवार बढ़तु है। प्रबल मोह को फंद कटतु है॥ सूर्य नमस्कार का चमत्कार यह होता है कि यह भगवान सूर्यदेव की कृपा पाने का एक आसान तरीका है। जो भी मन लगाकर भगवान सूर्य देव की सेवा करता है, वह आठों सिद्धियां व नौ निधियां प्राप्त करता है। सूर्य देव के बारह नामों का उच्चारण करने से हजारों जन्मों के पापी भी मुक्त हो जाते हैं। जो जन आपकी महिमा का गुणगान करते हैं, आप क्षण में ही उन्हें शत्रुओं से छुटकारा दिलाते हो। जो भी आपकी महिमा गाता है धन, संतान सहित परिवार में समृद्धि बढ़ती है, बड़े से बड़े मोह के बंधन भी कट जाते हैं। अर्क शीश को रक्षा करते। रवि ललाट पर नित्य बिहरते॥ सूर्य नेत्र पर नित्य विराजत। कर्ण देस पर दिनकर छाजत॥ भानु नासिका वासकरहुनित। भास्कर करत सदा मुखको हित॥ ओंठ रहैं पर्जन्य हमारे। रसना बीच तीक्ष्ण बस प्यारे॥ कंठ सुवर्ण रेत की शोभा। तिग्म तेजसः कांधे लोभा॥ पूषां बाहू मित्र पीठहिं पर। त्वष्टा वरुण रहत सुउष्णकर॥ युगल हाथ पर रक्षा कारन। भानुमान उरसर्म सुउदरचन॥ बसत नाभि आदित्य मनोहर। कटिमंह, रहत मन मुदभर॥ जंघा गोपति सविता बासा। गुप्त दिवाकर करत हुलासा॥ विवस्वान पद की रखवारी। बाहर बसते नित तम हारी॥ सहस्त्रांशु सर्वांग सम्हारै। रक्षा कवच विचित्र विचारे॥ भगवान श्री सूर्यदेव अर्क के रुप में शीश की रक्षा करते हैं अर्थात शीश पर विराजमान हैं, तो मस्तक पर रवि नित्य विहार करते हैं। सूर्य रुप में वे आंखों में बसे हैं तो दिनकर रुप में कानों अर्थात श्रवण इंद्रियों पर रहते हैं। भानु रुप में वे नासिका में वास करते हैं तो भास्कर रुप सदा चेहरे के लिए हितकर होता है। सूर्यदेव होठों पर पर्जन्य तो रसना यानि जिह्वा पर तीक्ष्ण अर्थात तीखे रुप में बसते हैं। कंठ पर सुवर्ण रेत की तरह शोभायमान हैं तो कंधों पर तेजधार हथियार के समान तिग्म तेजस: रुप में। भुजाओं में पुषां तो पीठ पर मित्र रुप में त्वष्टा, वरुण के रुप में सदा गर्मी पैदा करते रहते हैं। युगल रुप में रक्षा कारणों से हाथों पर विराजमान हैं, तो भानुमान के रुप में हृदय में आनन्द स्वरुप रहते हुए उदर में विचरते हैं। नाभि में मन का हरण करने वाले अर्थात मन को मोह लेने वाले मनोहर रुप आदित्य बसते हैं, तो वहीं कमर में मन मुदभर के रुप में रहते हैं। जांघों में गोपति सविता रुप में रहते हैं तो दिवाकर रुप में गुप्त इंद्रियों में। पैरों के रक्षक आप विवस्वान रुप में हैं। अंधेरे का नाश करने के लिए आप बाहर रहते हैं। सहस्त्राशुं रुप में आप प्रकृति के हर अंग को संभालते हैं आपका रक्षा कवच बहुत ही विचित्र है। अस जोजन अपने मन माहीं। भय जगबीच करहुं तेहि नाहीं ॥ दद्रु कुष्ठ तेहिं कबहु न व्यापै। जोजन याको मन मंह जापै॥ अंधकार जग का जो हरता। नव प्रकाश से आनन्द भरता॥ ग्रह गन ग्रसि न मिटावत जाही। कोटि बार मैं प्रनवौं ताही॥ मंद सदृश सुत जग में जाके। धर्मराज सम अद्भुत बांके॥ धन्य-धन्य तुम दिनमनि देवा। किया करत सुरमुनि नर सेवा॥ जो भी व्यक्ति भगवान सूर्य देव को अपने मन में रखता है अर्थात उन्हें स्मरण करता है उसे दुनिया में किसी चीज से भय नहीं रहता। जो भी व्यक्ति सूर्यदेव का जाप करता है उसे किसी भी प्रकार के चर्मरोग एवं कुष्ठ रोग नहीं लगते। सूर्यदेव पूरे संसार के अंधकार को मिटाकर उसमें अपने प्रकाश से आनन्द को भरते हैं। हे सूर्यदेव मैं आपको कोटि-कोटि प्रणाम करता हूं क्योंकि आपके प्रताप से ही अन्य ग्रहों के दोष भी दूर हो जाते हैं। इन्हीं सूर्यदेव के धर्मराज के समान पुत्र हैं अर्थात भगवान शनिदेव जो धर्मराज की तरह न्यायाधिकारी हैं। हे दिनमनि आप धन्य हैं, देवता, ऋषि-मुनि, सब आपकी सेवा करते हैं। भक्ति भावयुत पूर्ण नियम सों। दूर हटतसो भवके भ्रम सों॥ परम धन्य सों नर तनधारी। हैं प्रसन्न जेहि पर तम हारी॥ अरुण माघ महं सूर्य फाल्गुन। मधु वेदांग नाम रवि उदयन॥ भानु उदय बैसाख गिनावै। ज्येष्ठ इन्द्र आषाढ़ रवि गावै॥ यम भादों आश्विन हिमरेता। कातिक होत दिवाकर नेता॥ अगहन भिन्न विष्णु हैं पूसहिं। पुरुष नाम रविहैं मलमासहिं॥ जो भी नियमपूर्वक पूरे भक्तिभाव से सूर्यदेव की भक्ति करता है, वह भव के भ्रम से दूर हो जाता है अर्थात उसे मोक्ष की प्राप्ति हो जाती है। जो भी आपकी भक्ति करते हैं, वे मनुष्य धन्य हैं। जिन पर आपकी कृपा होती है, आप उनके तमाम दुखों के अंधेरे को दूर कर जीवन में खुशियों का प्रकाश लेकर आते हैं। माघ माह में आप अरुण तो फाल्गुन में सूर्य, बसंत ऋतु में वेदांग तो उद्यकाल में आप रवि कहलाते हैं। बैसाख में उदयकाल के समय आप भानु तो ज्येष्ठ माह में इंद्र, वहीं आषाढ़ में रवि कहलाते हैं। भादों माह में यम तो आश्विन में हिमरेता कहलाते हैं, कार्तिक माह में दिवाकर के नाम से आपकी पूजा की जाती है। अगहन (कार्तिक के बाद और पूस के पहले का समय) में भिन्न नामों से पूजे जाते हैं तो पूस माह में विष्णु रुप में आपकी पूजा होती हैं। मलमास या पुरुषोत्तम मास (जब सूर्य दो राशियों में सक्रांति नहीं करता तो वह समय मलमास कहलाता है ऐसा अवसर लगभग तीन साल में एक बार आता है) में आपका नाम रवि लिया जाता है। ॥दोहा॥ भानु चालीसा प्रेम युत, गावहिं जे नर नित्य, सुख सम्पत्ति लहि बिबिध, होंहिं सदा कृतकृत्य॥ जो भी व्यक्ति भानु चालीसा को प्रेम से प्रतिदिन गाता है अर्थात इसका पाठ करता है, उसे सुख-समृद्धि तो मिलती ही है, साथ ही उसे हर कार्य में सफलता भी प्राप्त होती है। ॥इति श्री सूर्य चालीसा ॥ भैरव बाबा चमत्कारी मंत्र :- ” ॐ कर कलित कपाल कुण्डली दण्ड पाणी तरुण तिमिर व्याल यज्ञोपवीती कर्त्तु समया सपर्या विघ्न्नविच्छेद हेतवे जयती बटुक नाथ सिद्धि साधकानाम ॐ श्री बम् बटुक भैरवाय नमः “ 🌹बोलो मेरे सतगुरु श्री बाबा लाल दयाल जी महाराज की जय🙏 ©Vikas Sharma Shivaaya' श्री सूर्य चालीसा ॥दोहा॥ कनक बदन कुण्डल मकर, मुक्ता माला अङ्ग, पद्मासन स्थित ध्याइए, शंख चक्र के सङ्ग॥
Sanu Mishra
"वेदान्तप्रतिबोधिता विजयते विन्ध्याचलाधीश्वरी" वन्दे वांछित लाभाय चन्द्रार्द्वकृत शेखराम। वृषारूढ़ा शूलधरां शैलपुत्री यशस्विनीम॥ श्री दुर्
i am Voiceofdehati
शिवलिंग में "लिंग" शब्द का सही अर्थ (पूरा पढ़ें- अनुशीर्षक में) #विजयंत_सिंह_सनातनी: पढ़िए वास्तविक सच्चाई। #शिवलिंग_को_गुप्तांग_की_संज्ञा_कैसे_दी_दुष्टों_ने अब हम सनातनी हिन्दू खुद शिवलिंग को शिव् भगवा
RAJ SINGH ✔️
Unconditiona L💓ve😉
HAPPY Birthnight DEAR PANCHALI ✨️ 🎂👸🎂 💖💖💖 F͜͡O͜͡R͜͡ B͜͡E͜͡T͜͡T͜͡E͜͡R͜͡ R͜͡E͜͡A͜͡D͜͡ ::--)* 💟👰💦🌸 ᴅᴇᴀʀ ᴍɪᴛᴀʟɪ!!, ɪ'ᴍ ᴡɪ𝘀ʜɪɴɢ ʏᴏᴜ ᴀ ᴠᴇʀʏ ʜᴀᴘᴘʏ ʙɪʀᴛʜᴅᴀʏ, ᴍᴀɴʏ ᴍᴀɴʏ ᴄᴏɴɢʀᴀᴛᴜʟᴀᴛɪᴏ