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kumaarkikalamse
उनके अकेलेपन में उन्हें सब दे दूँ बस वो मेरा अकेलापन देख ले..! तन्हा इंसान सबको पागल लगता है, पर उसकी तन्हाई कोई नहीं देखता ना समझता है उल्टा उसे ज्ञान ही मिलता है.. उसे समझो और उसका अकेलापन दूर करो वरना
Shivam Gupta
आपके सुख में साथ रहते जो आपके दुःख में साथ रहते जो जो दिन नहीं देखता ना रात हमेशा रहता आपके साथ आपके दिल ने उनके लिए जरा सा भी हो प्रेम सारे कष्ट हर लेते एक साथ प्यार से दुनिया कहती जिन्हें नाम है भोलेनाथ हर हर महादेव शुभ सोमवार Shivam writes आपके सुख में साथ रहते जो आपके दुःख में साथ रहते जो जो दिन नहीं देखता ना रात हमेशा रहता आपके साथ आपके दिल ने उनके लिए जरा सा भी हो प्रेम सा
brijesh mehta
.. ..— % & "अंदाज अपने देखते हैं आइने में वो अंदाज अपने देखते हैं अंदाज अपने देखते हैं आइने में वो और ये भी देखते हैं कोई देखता ना हो" बहुत ज्याद
Harshita Dawar
Written by Harshita ✍️✍️ #Jazzbaat कहा तक ये मुमकिन अंधेरे चलेंगे उदासी के दिन फिर ख़ुशी में दिखेंगे वहीं पुरानी सी ज़िन्दगी को नए ढंग से जीएंगे घरों में रहेंगे निकले भी तो फिर मुंह ढक कर रहेगें वक़्त जो भी है वो मिल के सहे गे लड़ेगे ख़ुद से बस हस के कहेंगे मिलन की कामना यूं खुदा से कहेंगे आपदा से लड़कर यूं डाट के केहेगे ना मंदिर की घटी ना मस्जिद की इबादत दिल से करो याद दिल में बसे ख़ुदा या हो भगवान मज़हब की तरह ना बंटा ये प्रभु का द्वार ना देखता ना उच्च ना नीच का ये महामारी का मौत का सहुकर एक जान भी कीमती इंसानियत है जीती ये सबको बताना बिखरने ना देंगे ये भारत की भूमि गर्व से कहेंगे #coronavirus #covid19 #fight #yqbaba #yqdidi Written by Harshita ✍️✍️ #Jazzbaat कहा तक ये मुमकिन अंधेरे चलेंगे उदासी के दिन फिर ख़ुशी में द
talvindra_writes
दोस्ती.......सच्चे दिलों का रिश्ता हैं ज़नाब जो ना धर्म देखता है, ना मज़हब देखता हैं ना दौलत देखता हैं, ना शौहरत देखता हैं ये तो बस दिलों का अटूट बंधन देखता हैं । दोस्ती.......सच्चे दिलों का रिश्ता हैं ज़नाब जो ना धर्म देखता है, ना मज़हब देखता हैं ना दौलत देखता हैं, ना शौहरत देखता हैं ये तो बस दिलों का
sunny kr talreja
सुसि ग़ाफ़िल
ना जाने कितने बलात्कार किए है नियति ने ना खुदा चीख़ सुनता है, ना आंसू देखता है |— % & ना जाने कितने बलात्कार किए है नियति ने ना खुदा चीख़ सुनता है, ना आंसू देखता है |
Manmohan Dheer
ज़ुबां देखता हूँ मुल्क़ की फ़िज़ा देखता हूँ शरारतें मुहब्बत की अंदाज़ ए बयां देखता हूँ . तुम क्या देखते हो फ़र्क़ नही पड़ता मुझको मैं खुद को देखता हूँ देखते तुम्हें देखता हूँ . रिश्तों की बुनियादों की वो घिसी पिटी दास्तां दुहाई देते देखता हूँ फरियाद होते देखता हूँ . कसमें देखता हूँ वादे देखता हूँ इज़हार भी इंकार भी अक़्ल देखता हूँ फिर पत्थर पड़ते उस पे देखता हूँ . आ बदजुबानी कर ले मेरे साथ भी आजमा ले कहा न ज़ुबां देखता हूँ मुल्क़ कि फ़िज़ा देखता हूँ . धीर क्या देखता है क्या तुम देखते हो , देखा करो मैं तुम में खुद को देखता हूँ तुमको मैं होते देखता हूँ . धीर देखता हूँ