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Jain Saroj
तेरे हाथ में,मेरा हाथ है मेरी जिंदगी में यहीं सबसे प्यारी बात है मेरे साथ को,मिल गया तेरा साथ है मुझे कहनी है ये मेरे दिल की बात है तेरे हाथों में मेरा हाथ है मुझे रहना हर पल तेरे साथ हैं यह मेरे दिल के जज्बात है तेरे हाथों में मेरा हाथ है ©Saroj Patwa #TereHaathMein मेरा हाथी हैं
Sri batsa Meher
जानवर तो बहुत सारा है उनमें तन से हाथी बड़ा। इंसान का तन छोटा है लेकिन वो बुद्धि से खड़ा। सबको अपना दिमाग की ताकत से वो सबसे जोड़ा। ©Sri batsa Meher हाथी और इंसान
writer abhay
वो दिल में है, या मेरा दिल है, इस बात मे तो बड़ी मुश्किल है. मैं महज़ तमाशा हूँ इस जहाँ मे, वो तो ख़ुद मे बड़ी महफ़िल है. रास्ते पर खड़ा पड़ाव ढूंढता हूँ, मैं सफ़र हूँ, और तू मज़िल है. मैं डूबता हूँ, तो डूबने ही दो, तू बस दूर दिखता साहिल है. रंग क्या ख़ूब बदले होगें उसके, जिसे तू चंद दिनों से हासिल है. ये ग़ज़ल सिर्फ और सिर्फ मेरा नन्हा हाथी के लिए.
Spl Someone ❤️
कई बार कोशिशें की पर इश्क़ ना हुआ पर तजुर्बा तो हुआ! के अकेले रहने मे बड़ा सुकून है..... # 💕 मे और मेरा दिल
Aakash Varma
एक राज्य में एक राजा का शासन था। हर सप्ताह पूरी शानो-शौकत से नगर में उसका जुलूस निकला करता था, जहाँ प्रजा उसके दर्शन किया करती थी।एक दिन एक नन्हा चूहा उसी राजमार्ग के किनारे-किनारे कहीं जा रहा था, जहाँ राजा का जुलूस निकलने वाला था। वह चूहा था तो छोटा सा, मगर उसका घमंड बहुत बड़ा था और वह ख़ुद को सर्वश्रेष्ठ और महान समझता था।कुछ देर बाद राजमार्ग से राजा का भव्य जुलूस निकला, जिसे देखने लोगों की भीड़ लगने लगी। राजा अपने पूरे दल-बल के साथ था। उसके सैनिक उसे घेरे हुए थे। कई मंत्री और अनुचर उसके पीछे थे। वह एक विशाल शाही हाथी पर सवार था। हाथी शाही था। इसलिए उसे भव्यता से सजाया गया था और उसकी शान भी देखते बनते थी। जुलूस में हाथी के साथ एक शाही बिल्ली और एक कुत्ता भी थे।राजा का जुलूस देखने को उमड़ी भीड़ राजा के साथ-साथ उसके शाही हाथी की भी प्रशंसा कर रहे थी। यह सुनकर घमंडी चूहे को बहुत बुरा लगा।वह हाथी को गौर से देखने लगा, फिर सोचने लगा – ‘इसमें ऐसी क्या ख़ास बात है, जो मुझमें नहीं। मैं भी उस जैसा ही हूँ। मेरे पास भी दो आँखें, दो कान, एक नाक और चार पैर हैं। फिर उसकी इतनी प्रसंशा क्यों? उसके विशाल शरीर के कारण, लंबी सूंड के कारण, छोटी-छोटी आँखों के कारण या झुर्रीदार चमड़ी के कारण। किस कारण? एक बार तुम लोग मुझे देख लो, उस हाथी को भूल जाओगे। मैं हाथी से ज्यादा महान हूँ।‘चूहा ये सब सोच ही रहा था कि शाही बिल्ली की नज़र उस पर पड़ गई और उसकी लार टपक गई. जुलुस छोड़ वह उसकी ओर लपकी। फिर क्या था? चूहा अपनी सारी महानता भूलकर दुम दबाकर भागा। भागते-भागते वह हाथी के सामने आ गया। आगे बढ़ते हाथी ने उस पिद्दी से चूहे को देखा तक नहीं और अपना विशाल पैर उठा लिया। चूहा उसके पैर के नीचे कुचलने ही वाला था, मगर किसी तरह उसने ख़ुद को बचाया।वहाँ से बचा, तो खतरनाक कुत्ता सामने था, जो उसे देखकर गुर्राया। चूहा पूरी जान लगाकर वहाँ से भागा और राजमार्ग के किनारे स्थित एक छेद में घुस गया। उसका सारा घमंड उतर चुका था। उसे समझ आ चुका था कि वह इतना भी श्रेष्ठ और महान नहीं।सीख किसी से मात्र रूप रंग की समानता हमें महान नहीं बनाती। महान हमारे गुण और कार्य बनाते हैं। ©Aakash Varma हाथी और चूहा की कहानी
tanzim Khan
एक राज्य में एक राजा का शासन था। हर सप्ताह पूरी शानो-शौकत से नगर में उसका जुलूस निकला करता था, जहाँ प्रजा उसके दर्शन किया करती थी। एक दिन एक नन्हा चूहा उसी राजमार्ग के किनारे-किनारे कहीं जा रहा था, जहाँ राजा का जुलूस निकलने वाला था। वह चूहा था तो छोटा सा, मगर उसका घमंड बहुत बड़ा था और वह ख़ुद को सर्वश्रेष्ठ और महान समझता था। कुछ देर बाद राजमार्ग से राजा का भव्य जुलूस निकला, जिसे देखने लोगों की भीड़ लगने लगी। राजा अपने पूरे दल-बल के साथ था। उसके सैनिक उसे घेरे हुए थे। कई मंत्री और अनुचर उसके पीछे थे। वह एक विशाल शाही हाथी पर सवार था। हाथी शाही था। इसलिए उसे भव्यता से सजाया गया था और उसकी शान भी देखते बनते थी। जुलूस में हाथी के साथ एक शाही बिल्ली और एक कुत्ता भी थे। राजा का जुलूस देखने को उमड़ी भीड़ राजा के साथ-साथ उसके शाही हाथी की भी प्रशंसा कर रहे थी। यह सुनकर घमंडी चूहे को बहुत बुरा लगा।  वह हाथी को गौर से देखने लगा, फिर सोचने लगा – ‘इसमें ऐसी क्या ख़ास बात है, जो मुझमें नहीं। मैं भी उस जैसा ही हूँ। मेरे पास भी दो आँखें, दो कान, एक नाक और चार पैर हैं। फिर उसकी इतनी प्रसंशा क्यों? उसके विशाल शरीर के कारण, लंबी सूंड के कारण, छोटी-छोटी आँखों के कारण या झुर्रीदार चमड़ी के कारण। किस कारण? एक बार तुम लोग मुझे देख लो, उस हाथी को भूल जाओगे। मैं हाथी से ज्यादा महान हूँ।‘  चूहा ये सब सोच ही रहा था कि शाही बिल्ली की नज़र उस पर पड़ गई और उसकी लार टपक गई. जुलुस छोड़ वह उसकी ओर लपकी। फिर क्या था? चूहा अपनी सारी महानता भूलकर दुम दबाकर भागा। भागते-भागते वह हाथी के सामने आ गया। आगे बढ़ते हाथी ने उस पिद्दी से चूहे को देखा तक नहीं और अपना विशाल पैर उठा लिया। चूहा उसके पैर के नीचे कुचलने ही वाला था, मगर किसी तरह उसने ख़ुद को बचाया। वहाँ से बचा, तो खतरनाक कुत्ता सामने था, जो उसे देखकर गुर्राया। चूहा पूरी जान लगाकर वहाँ से भागा और राजमार्ग के किनारे स्थित एक छेद में घुस गया। उसका सारा घमंड उतर चुका था। उसे समझ आ चुका था कि वह इतना भी श्रेष्ठ और महान नहीं। सीख किसी से मात्र रूप रंग की समानता हमें महान नहीं बनाती। महान हमारे गुण और कार्य बनाते हैं। ©kashif Khan #हाथी # और चूहा की कहानी