Find the Latest Status about सोलह कलाएं from top creators only on Nojoto App. Also find trending photos & videos about, सोलह कलाएं.
AwadheshPSRathore_7773
*जेल में जन्मा लिखूं या गोकुल का पलना लिखूं...* *देवकी की गोदी लिखूं या यशोदा का ललना लिखूं...* *गोपियों का प्रिय लिखूं या राधा का प्रियतम लिखूं...* *देवकी का नंदन लिखूं या यशोदा का लाल लिखूं...* *वासुदेव का तनय लिखूं या नंद का गोपाल लिखूं...* *नदियों-सा बहता लिखूं या सागर-सा गहरा लिखूं...* *झरनों-सा झरता लिखूं या प्रकृति का चेहरा लिखूं...* *आत्मतत्व चिंतन लिखूं या प्राणेश्वर परमात्मा लिखूं...* *स्थिर चित्त योगी लिखूं या यताति सर्वात्मा लिखूं...* *कृष्ण तुम पर क्या लिखूं! कितना लिखूं....* *रहोगे तुम फिर भी अपरिभाषित चाहे जितना लिखूं...* *जन्माष्टमी की बधाई* *जय श्रीकृष्णा* 🙏🙏🙏 ©AwadheshPSRathore7773 प्रभु तो सर्व गुण संपन्न है,सर्व व्यापक है। अजर अमर और प्रकृति के पालनहार है। जन्माष्टमी के पावन पुनीत मौके पर और क्या लिखूं कान्हा तुम तो स
Er.Shivampandit
#प्रिया राईटर है, शांत समंदर है सोलह कलाएं छूपी हुई जिसके अन्दर है सुन्दर प्रभात सी पिघलती बर्फ से गिरता हुआ प्रपात सी
श्री कन्हैया शास्त्री जी
इस संसार में अनेक कलाएँ हैं, और इन कलाओं में सबसे अच्छी कला है ! दूसरों के हृदय को छू लेना। अच्छी कलाएं
Rajesh rajak
करके सोलह श्रृंगार, ताकती हूं द्वार, साजन नींद नहीं नैनन में, मेघा बरस रहे मधुवन में, खनक उठती हैं चूड़ियां, कर उठती है पैजनियां झनकार, बिजली चमके,बिंदिया दमके, मन मेरा बहके, मांग का टीका, रोली चंदन,हाथ की मेंहदी, साजन तुझ बिन सब कुछ फीका, चैन नहीं अब बिरहन को, भादों आया भूल गई सावन को, दिल धड़क रहा है बार बार, साजन जल्दी आओ अबकी बार। सोलह श्रृंगार
पंकजोम प्रेम
मुझ से सीखो कज़ा का माथा चूमना ऐ यारो , उस से बात किए कुछ सोलह घण्टे हो गए हैं.... सोलह घण्टे
komal Gupta
जब भी हमारे उनका आना हुआ करता था उनके दीदार के लिए हम सोलह सिंगार करा करते थे उनके दिल में तो हमारी सादगी बसी हुई थी फिर क्या हुआ जो उनको पसंद था वह हमें पसंद था इसी को तो सच्ची आशिकी कहते हैं काजल बना लिया हमने उनको अपनी आंखों का उनके आ जाने से हमारे चेहरे पर जो मुस्कुराहट आती थी वही तो हमारा सिंगार हुआ करती थी उनके जाने के बाद सुकून चैन सब अपने साथ लेकर चले गए। उनकी यादों को संभाल के रखा है अपने हर एक पल के जीवन में ©komal Gupta #boat सोलह सिंगार
Pratik Dasgupta
तुम्हे खेलना कहां आता है वरना इतने दिनों में समझ जाती मैं जानबूझकर हार क्यूं जाता हुं तुम्हे पढ़ना कहा आता है वरना अब तक समझ जाती की कोरे कागज पे में कुछ क्यूं नहीं लिख पाता हूं तुम्हे बोलना भी कहां आता है वरना इतने दिनों में तुम वह बोल ही देती जो मैं हमेशा से सुनना चाहता हूं और कुछ हो ना हो ज़िन्दगी भरपूर है तुम में आखिर तुमसे ज़िन्दगी उधार लेके ही तो बिना धड़कनों के जीना सीख जाता हूं। सोलह आने ज़िन्दगी के #yqdidi #random #diary